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संदर्भ:
अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध: अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध और तेज हो गया है, क्योंकि चीन ने 10% अमेरिकी टैरिफ के जवाब में विभिन्न अमेरिकी उत्पादों पर प्रतिशोधी शुल्क लगाने की घोषणा की। इसी संदर्भ में, 1 फरवरी 2025 को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मैक्सिको, कनाडा और चीन से आयातित वस्तुओं पर भारी शुल्क लगाने का आदेश जारी किया, जिससे वैश्विक व्यापारिक तनाव और बढ़ गया।
नए टैरिफ आदेश:
1 फरवरी को, अमेरिका ने प्रारंभिक रूप से निम्नलिखित टैरिफ लगाए:
- मैक्सिको और कनाडा से सभी आयात पर 25% टैरिफ।
- कैनेडियन तेल, प्राकृतिक गैस और बिजली पर 10% टैरिफ।
- चीन से आयातित वस्तुओं पर 10% टैरिफ।
अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध की शुरुआत:
- 2018 में, तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन से आयातित $34 बिलियन के सामान पर 25% टैरिफ लगाया, जिसे बाद में 2018 और 2019 में और बढ़ाया गया।
- अमेरिका ने चीन पर “अनुचित व्यापार नीतियों” और “प्रौद्योगिकी चोरी“ का आरोप लगाया।
- राष्ट्रपति जो बाइडेन के प्रशासन ने इस व्यापार युद्ध को जारी रखा।
- अमेरिका ने चीन को आधुनिक तकनीकों, अर्धचालकों (Semiconductors), और 5G टेक्नोलॉजी से जुड़ी आवश्यक सामग्रियों और बाज़ारों तक पहुँचने से रोक दिया था ।
अब अमेरिका द्वारा टैरिफ लगाने के प्रमुख कारण:
- चुनावी वादों की पूर्ति: डोनाल्ड ट्रंप ने अपने चुनाव प्रचार में चीन, मैक्सिको और कनाडा पर आयात शुल्क लगाने का वादा किया था।
- अमेरिकी विनिर्माण और नौकरियों को बढ़ावा: ट्रंप प्रशासन का मानना है कि टैरिफ से घरेलू उद्योगों को विदेशी प्रतिस्पर्धा से सुरक्षा मिलेगी।
- सरकारी राजस्व बढ़ाना: टैरिफ के जरिए विदेशी वस्तुओं पर कर लगाकर सरकारी राजस्व में वृद्धि होती है।
- फेंटानाइल तस्करी रोकना: अमेरिका का दावा है कि चीन फेंटानाइल बनाने वाले रसायन उपलब्ध कराता है, जबकि मैक्सिकन ड्रग कार्टेल और कनाडाई लैब इस नशीले पदार्थ की तस्करी अमेरिका में करते हैं।
- आर्थिक दबाव बनाना: कनाडा, मैक्सिको और चीन मिलकर अमेरिका के कुल आयात का 40% हिस्सा रखते हैं।
व्यापार युद्ध (Trade War) क्या है?
व्यापार युद्ध एक आर्थिक संघर्ष है, जिसमें दो या अधिक देश एक–दूसरे के व्यापारिक उत्पादों और सेवाओं पर टैरिफ, कोटा और अन्य व्यापारिक प्रतिबंध लगाते हैं। यह आमतौर पर अनुचित व्यापार नीतियों के जवाब में किया जाता है।
व्यापार युद्ध की प्रमुख विशेषताएँ:
- टैरिफ लगाना: देश विदेशी सामानों पर आयात शुल्क (Import Duties) बढ़ाते हैं।
- प्रतिशोधी कदम: प्रभावित देश जवाबी टैरिफ लगाते हैं, जिससे आर्थिक तनाव बढ़ता है।
- गैर–टैरिफ बाधाएँ:
- इसमें आयात कोटा, सब्सिडी और नियामक प्रतिबंध (Regulatory Restrictions) शामिल होते हैं।
- आर्थिक और राजनीतिक उद्देश्य : व्यापार युद्ध घरेलू उद्योगों की रक्षा, नौकरियों की वृद्धि या भू-राजनीतिक रणनीतियों से जुड़ा होता है।
- वैश्विक व्यापार में बाधा: इससे आपूर्ति श्रृंखला (Supply Chain) प्रभावित होती है, मुद्रास्फीति (Inflation) बढ़ती है और आर्थिक मंदी का खतरा पैदा होता है।
अमेरिकी टैरिफ और भारत के लिए संभावित लाभ
- अमेरिका द्वारा चीनी उत्पादों पर टैरिफ लगाने से अन्य देशों, खासकर भारत के लिए निर्यात के अवसर बढ़े।
- ऑक्सफोर्ड इकोनॉमिक्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2017-2023 के बीच व्यापार मोड़ (Trade Diversion) से भारत को चौथा सबसे बड़ा लाभ मिला, ट्रंप की टैरिफ नीति के बाद।
- इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में बड़ा उछाल देखा गया, खासकर दूरसंचार उपकरण (iPhones सहित), जिससे भारत का अमेरिकी आयात में हिस्सा 2017 के बाद दस गुना बढ़ गया।
- चीन पर 10% नए टैरिफ के साथ, भारतीय निर्यातकों को अमेरिकी बाजार में अपनी हिस्सेदारी और बढ़ाने की संभावना दिख रही है।