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संदर्भ:
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025: दिल्ली विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने बहुमत हासिल करते हुए 70 में से 48 सीटों पर जीत दर्ज की और 27 साल बाद सत्ता में वापसी की।
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के परिणाम:
दिल्ली विधानसभा: एक संक्षिप्त परिचय
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि:
- 1952: दिल्ली की पहली विधानसभा बनी, लेकिन इसकी शक्तियाँ सीमित थीं (Part-C राज्य के रूप में)।
- 1956: विधानसभा को समाप्त कर दिल्ली को केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया।
- 1993: 37 वर्षों के बाद दिल्ली को फिर से 70 सीटों वाली विधानसभा मिली।
शासन संरचना:
- 1956-1993: दिल्ली मेट्रोपॉलिटन काउंसिल द्वारा शासित थी, जिसकी सिफारिशी शक्तियाँ थीं, जबकि केंद्रीय सरकार के पास कानून–व्यवस्था और भूमि जैसे महत्वपूर्ण विषयों का नियंत्रण था।
- 1993 के बाद: दिल्ली को विधानसभा मिली, लेकिन पुलिस और भूमि जैसे प्रमुख विषय केंद्र सरकार के अधीन ही रहे।
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 239AA
- प्रवेश और विशेष दर्जा:
- 69वां संविधान संशोधन अधिनियम, 1991 के तहत जोड़ा गया।
- एस बालकृष्णन समिति (1987) की सिफारिशों के आधार पर दिल्ली को विशेष दर्जा प्रदान किया गया।
- संरचना और प्रतिनिधित्व:
- दिल्ली विधानसभा में 70 निर्वाचित सदस्य होते हैं।
- सरकार बनाने के लिए कम से कम 36 सीटों पर जीत आवश्यक है।
- मंत्रिपरिषद विधानसभा के कुल सदस्यों के 10% तक सीमित है, यानी दिल्ली में अधिकतम 7 मंत्री हो सकते हैं।
- विधान बनाने की शक्तियाँ:
- विधानसभा राज्य सूची और समवर्ती सूची के विषयों पर कानून बना सकती है।
- लोक व्यवस्था, पुलिस, भूमि (राज्य सूची की प्रविष्टियाँ 64, 65, 66) केंद्रीय नियंत्रण में रहती हैं।
- शासन संरचना:
- मुख्यमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति करते हैं, और वे मंत्रियों की नियुक्ति की सिफारिश करते हैं।
- उपराज्यपाल (LG) प्रशासक के रूप में कार्य करते हैं, और उन्हें विधानसभा को बुलाने, स्थगित करने और भंग करने की शक्ति प्राप्त है।
- न्यायिक व्याख्या:
- 2018 और 2023 में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठों ने दिल्ली के शासन ढांचे और उसकी विधानमंडलीय एवं कार्यकारी शक्तियों को स्पष्ट किया।
- सहायक विधायी प्रावधान: राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार अधिनियम, 1991 लागू किया गया, जिससे अनुच्छेद 239AA के तहत दिल्ली के प्रशासन और शासन का ढांचा परिभाषित किया गया।