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संदर्भ:
भारतीय संविधान में 22 मूल चित्रकलाएं: राज्यसभा में यह मुद्दा उठाया गया कि वर्तमान में उपलब्ध संविधान की अधिकांश प्रतियों में नंदलाल बोस द्वारा बनाई गई 22 मूल चित्रकलाएं शामिल नहीं हैं, जिससे इसकी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत प्रभावित हो रही है।
भारतीय संविधान की चित्रकलाएँ:
- भारतीय संविधान, जो 26 जनवरी 1950 को अपनाया गया, में 22 अनूठी चित्रकलाएँ शामिल हैं।
- इन चित्रों को प्रसिद्ध कलाकार नंदलाल बोस और उनकी टीम ने बनाया।
- ये चित्र भारत के इतिहास को दर्शाते हैं, जिसमें सिंधु घाटी सभ्यता से लेकर स्वतंत्रता संग्राम तक की झलक शामिल है।
- रामायण और महाभारत जैसे हिंदू महाकाव्यों के दृश्यों को भी चित्रित किया गया है।
- इन कलाकृतियों का उद्देश्य भारत की ऐतिहासिक यात्रा को रेखांकित करना था।
चित्रण की कलात्मक प्रक्रिया:
- नंदलाल बोस को अक्टूबर 1949 में इन चित्रों को बनाने की जिम्मेदारी दी गई।
- उनकी टीम में कृपाल सिंह शेखावत और ए. पेरुमल जैसे कलाकार शामिल थे।
- प्रत्येक कलाकार ने अपनी अनूठी शैली और दृष्टिकोण से योगदान दिया।
- चित्रों को संविधान के पाठ के पूरक के रूप में बनाया गया, लेकिन उनका सीधा संबंध संविधान की सामग्री से नहीं है।
भारतीय संविधान की 22 चित्रकलाओं का विवरण
- सिंधु घाटी सभ्यता: मोहनजो-दड़ो के महान स्नानागार को दर्शाता है, जो प्राचीन नगर नियोजन और संस्कृति का प्रतीक है।
- गुरुकुल प्रणाली: वैदिक काल के गुरुकुल में शिक्षकों और शिष्यों को प्राकृतिक वातावरण में शिक्षा प्राप्त करते हुए दिखाया गया है।
- रामायण दृश्य: भगवान राम, सीता और लक्ष्मण को पुष्पक विमान में अयोध्या लौटते हुए चित्रित किया गया है।
- महाभारत दृश्य: कुरुक्षेत्र युद्ध में भगवान कृष्ण द्वारा अर्जुन को गीता का उपदेश देते हुए दिखाया गया है।
- गौतम बुद्ध: बोधगया में बुद्ध को ज्ञान प्राप्त करते हुए दिखाया गया है, जो बौद्ध धर्म के मूल सिद्धांतों का प्रतीक है।
- भगवान महावीर: ध्यान मुद्रा में महावीर स्वामी को दर्शाया गया है, जो अहिंसा और सत्य के सिद्धांतों का प्रतीक है।
- सम्राट अशोक: सम्राट अशोक को बौद्ध धर्म का प्रचार करते हुए दिखाया गया है, जो शांति और धर्म के प्रसार को दर्शाता है।
- गुप्त काल की कला: हनुमान जी के एक दृश्य के माध्यम से गुप्त काल की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को दर्शाया गया है।
- विक्रमादित्य का दरबार: राजा विक्रमादित्य को सिंहासन बत्तीसी पर विराजमान दिखाया गया है।
- नालंदा विश्वविद्यालय: प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय की मुहर और दृश्य को प्रदर्शित किया गया है, जो उच्च शिक्षा के स्तर को दर्शाता है।
- राजा भरत: राजा भरत को एक घोड़े के साथ दिखाया गया है, जो भारत के नामकरण का प्रतीक है।
- नटराज प्रतिमा: भगवान शिव के तांडव नृत्य को दर्शाया गया है, जो सृष्टि, पालन और संहार के चक्र का प्रतीक है।
- भगीरथ की तपस्या: राजा भगीरथ की तपस्या को दर्शाया गया है, जिसके फलस्वरूप गंगा का पृथ्वी पर अवतरण हुआ।
- अकबर का दरबार: मुगल सम्राट अकबर को उनके दरबारियों के साथ दिखाया गया है।
- छत्रपति शिवाजी और गुरु गोबिंद सिंह: मराठा शासक छत्रपति शिवाजी और सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह को दर्शाया गया है।
- रानी लक्ष्मीबाई और टीपू सुल्तान: स्वतंत्रता संग्राम के वीरों, रानी लक्ष्मीबाई और टीपू सुल्तान को दर्शाया गया है।
- महात्मा गांधी: डांडी मार्च को चित्रित किया गया है।
- नोआखाली में गांधीजी: महात्मा गांधी को नोआखाली के दंगा पीड़ितों के बीच दिखाया गया है, जो अहिंसा और शांति के संदेश को दर्शाता है।
- नेताजी सुभाष चंद्र बोस: नेताजी को आजाद हिंद फौज के साथ दिखाया गया है।
- हिमालय का दृश्य: हिमालयी पर्वत श्रृंखला को दर्शाया गया है, जो भारत की भौगोलिक विविधता का प्रतीक है।
- रेगिस्तान का दृश्य: थार मरुस्थल को चित्रित किया गया है, जो देश की भौगोलिक विविधता को दर्शाता है।
- समुद्र का दृश्य: हिंद महासागर को प्रदर्शित किया गया है, जो भारत की समुद्री सीमाओं और समुद्री संपदा का प्रतीक है।