सामान्य अध्ययन पेपर III: रोबोटिक्स, कृत्रिम बुद्धिमत्ता, वैज्ञानिक नवाचार और खोज, सूचना प्रौद्योगिकी और कंप्यूटर |
चर्चा में क्यों?
कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर पेरिस चार्टर 2025: हाल ही में 11 फरवरी 2025 को पेरिस चार्टर को अपनाया, जिसमें कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) को सार्वजनिक हित में उपयोग करने पर जोर दिया गया। यह कदम AI के सुरक्षित और नैतिक उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है। इन देशों में भारत भी शामिल है।
कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर पेरिस चार्टर 2025 क्या है?
पेरिस चार्टर, जो 11 फरवरी 2025 को 10 देशों द्वारा अपनाया गया, एक अंतरराष्ट्रीय समझौता है जिसका उद्देश्य कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के विकास और उपयोग को सार्वजनिक हित में सुनिश्चित करना है।
- पेरिस चार्टर पर हस्ताक्षर करने वाले देशों में चिली, फिनलैंड, फ्रांस, जर्मनी, भारत, केन्या, मोरक्को, नाइजीरिया, स्लोवेनिया और स्विट्ज़रलैंड शामिल हैं।
- इन देशों ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के विकास को सार्वजनिक हित में सुनिश्चित करने के लिए एकजुट होकर इस चार्टर को अपनाया है।
- चार्टर में AI के लाभों को समाज के सभी वर्गों तक पहुंचाने और इसके संभावित खतरों को कम करने के लिए दिशा-निर्देश दिए गए हैं।
- यह चार्टर AI के लोकतांत्रिक और पारदर्शी उपयोग को बढ़ावा देने, मानवाधिकारों का पालन करने, और डेटा सुरक्षा को प्राथमिकता देने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।
- इसके तहत जवाबदेही, समानता और सार्वजनिक भागीदारी को भी सुनिश्चित किया गया है।
कृत्रिम बुद्धिमत्ता पर पेरिस चार्टर 2025 के प्रमुख बिंदु
- मुक्त वातावरण और प्रतिस्पर्धा: पेरिस चार्टर में यह कहा गया है कि AI के विकास में मुक्त वातावरण एक प्रमुख कारक होगा। इसे बढ़ावा देने के लिए, यह सुनिश्चित किया जाएगा कि AI मॉडल्स और डेटा तक सभी की पहुंच हो, जिससे विज्ञान और नवाचार में प्रगति हो सके। यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि AI के विकास के लिए एक मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र तैयार किया जाए, जो खुले मॉडलों, मानक निर्धारण, उपकरणों और सर्वोत्तम प्रथाओं का समर्थन करेगा।
- जवाबदेही: AI के डिज़ाइन, विकास और कार्यान्वयन में जवाबदेही एक महत्वपूर्ण तत्व है। इसमें यह सुनिश्चित किया जाएगा कि AI के हर कदम पर जवाबदेही निर्धारित हो, और इसके लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कानूनी ढांचे का पालन किया जाएगा। इसके अतिरिक्त, अनुसंधान, निगरानी और सक्षम संस्थानों के सहयोग से जवाबदेही को निर्धारित किया जाएगा।
- लोकतांत्रिक भागीदारी और पारदर्शिता: इसमें AI के सार्वजनिक हित में लोकतांत्रिक शासन के लिए भागीदारी और पारदर्शिता को सुनिश्चित किया जाएगा। AI के विकास में सभी समुदायों की सक्रिय भागीदारी होगी, और पारदर्शिता बनाए रखा जाएगा। जिससे हर किसी को AI के कार्यान्वयन और इसके प्रभावों के बारे में जानकारी प्राप्त हो सके।
- उच्च गुणवत्ता वाले डेटा की उपलब्धता: डेटा की उच्च गुणवत्ता AI के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसमें नए तरीकों का समर्थन किया जाएगा जिससे उच्च गुणवत्ता वाले डेटा को प्राप्त किया जा सके। साथ ही, यह सुनिश्चित किया जाएगा कि डेटा गोपनीयता और सुरक्षा की संरचनाओं का पालन करते हुए डेटा का उपयोग किया जाए, ताकि AI प्रणाली में विश्वास पैदा हो सके और डेटा का सही तरीके से प्रवाह हो सके।
- पर्यावरणीय स्थिरता और छोटे मॉडल्स का विकास: पेरिस चार्टर के अंतर्गत यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि AI के छोटे मॉडल्स विकसित किए जाएं, जो विशेष रूप से समाज की स्थानीय और सांस्कृतिक जरूरतों के अनुसार हों। ये छोटे मॉडल्स कम डेटा और कम कंप्यूटेशनल शक्ति का उपयोग करेंगे, जिससे पर्यावरण पर उनका प्रभाव कम होगा।
- वैश्विक सहयोग: पेरिस चार्टर के तहत AI के सार्वजनिक हित में वैश्विक सहयोग को बढ़ावा दिया जाएगा। यह पहल देशों के बीच सहयोग को बढ़ावा देगी, ताकि सभी समुदायों को समान रूप से AI के लाभ मिल सकें। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि इस पहल के माध्यम से सभी हितधारकों को चर्चा और विचार-विमर्श का अवसर मिले, ताकि सार्वजनिक हित को लागू किया जा सके।
भारत-फ्रांस कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) घोषणापत्र
भारत और फ्रांस के बीच कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) पर हुए समझौते के अंतर्गत, दोनों देशों ने इस तकनीक के विकास और उसके सुरक्षित, सुरक्षित, और विश्वसनीय उपयोग के लिए साझा प्रतिबद्धता व्यक्त की है।
- साझा प्रतिबद्धताएँ और विकास: भारत और फ्रांस ने इस बात पर जोर दिया कि AI के विकास में मानवाधिकारों और मौलिक स्वतंत्रताओं का सम्मान किया जाना चाहिए। दोनों देशों ने 2030 एजेंडा के तहत सतत विकास के लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए AI के सकारात्मक प्रभाव को बढ़ावा देने का संकल्प लिया है। इसके अलावा, दोनों देशों ने AI क्षमता निर्माण के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को प्रोत्साहित करने का भी समर्थन किया है।
- न्यायिक और कानूनी ढांचा: भारत और फ्रांस ने इस बात पर जोर दिया कि AI के विकास के लिए एक ऐसा ढांचा तैयार किया जाए जो सार्वजनिक हित को सुनिश्चित करे और यह मानवीय अधिकारों और मौलिक स्वतंत्रताओं का पालन करता हो। इसके अंतर्गत, बौद्धिक संपत्ति अधिकारों, गोपनीयता और व्यक्तिगत डेटा के उपयोग से संबंधित कानूनी ढांचे के तहत AI को डिजाइन और विकसित किया जाएगा।
- असमानता का निषेध: दोनों देशों ने यह सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता जताई कि AI का विकास ऐसा हो जो भेदभाव और असमानता को बढ़ावा न दे, साथ ही किसी भी प्रकार की गलत सूचना और अफवाहों के प्रसार को रोक सके।
- वैश्विक कल्याण: भारत और फ्रांस ने AI के विकास को वैश्विक कल्याण के लिए लागू करने का संकल्प लिया है, जिसमें वैश्विक स्वास्थ्य, कृषि, शिक्षा, जलवायु परिवर्तन, आपदा प्रबंधन, जैव विविधता संरक्षण और खाद्य सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में इसका उपयोग किया जाएगा।
- सहयोग और अनुसंधान: दोनों देशों ने AI के क्षेत्र में आपसी उद्योग साझेदारी और शोध साझेदारी बढ़ाने का प्रस्ताव रखा है। विशेष रूप से, विस्तृत भाषा मॉडल्स के विकास में सहयोग बढ़ाने की बात की गई है, जो भाषाई और सांस्कृतिक विविधताओं को बढ़ावा देने के लिए समर्थ हों।
कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के लाभ और नुकसान
- लाभ:
- उत्पादकता में वृद्धि: कृत्रिम बुद्धिमत्ता समय और प्रयास को बचाते हुए कार्यों को स्वचालित कर सकती है, जिससे मानव श्रम कम हो जाता है और उत्पादकता में वृद्धि होती है। उदाहरण: वित्तीय क्षेत्र में रोबोटिक प्रक्रिया स्वचालन (RPA), जो डेटा एंट्री और रिपोर्ट जनरेशन में मदद करता है।
- बेहतर निर्णय-निर्माण: मशीन लर्निंग मॉडल डेटा का विश्लेषण करके पैटर्न और रुझान की पहचान करते हैं, जिससे निर्णय अधिक सटीक होते हैं। उदाहरण: खुदरा क्षेत्र में भविष्यवाणी विश्लेषण (Predictive Analytics) द्वारा मांग का पूर्वानुमान और इन्वेंट्री का अनुकूलन।
- संगत परिणाम: AI एल्गोरिदम परिभाषित नियमों का पालन करते हैं, जिससे प्रक्रियाओं में निरंतरता बनी रहती है। उदाहरण: बैंकिंग क्षेत्र में क्रेडिट रिस्क असेसमेंट के लिए मशीन लर्निंग मॉडल का उपयोग।
- नई खोजें और नवाचार: AI चिकित्सा, अनुसंधान और शिक्षा के क्षेत्रों में बड़ी प्रगति को संभव बनाता है। उदाहरण: AI द्वारा दवाओं का खोज और व्यक्तिगत चिकित्सा के क्षेत्र में सहायता।
- नुकसान:
- रोजगार का नुकसान: AI स्वचालन से कई क्षेत्रों में काम की आवश्यकता कम हो सकती है, जिसके कारण नौकरी की कमी हो सकती है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां कार्यों को स्वचालित किया जा सकता है।
- नैतिक समस्याएं: AI प्रणाली के प्रशिक्षण डेटा या एल्गोरिदम में मौजूद पूर्वाग्रह को AI सिस्टम भी अपना सकते हैं, जिससे भेदभाव हो सकता है।
- गलत उपयोग का खतरा: AI तकनीकों का दुरुपयोग हो सकता है, जैसे कि गोपनीयता का उल्लंघन या साइबर हमले। उदाहरण: DeepFake वीडियो का इस्तेमाल गलत जानकारी फैलाने या प्रचार करने के लिए।
- डेटा पर निर्भरता: AI मॉडल को प्रभावी रूप से प्रशिक्षण देने के लिए बड़े और उच्च गुणवत्ता वाले डेटा की आवश्यकता होती है।
- उच्च लागत: AI प्रणाली के विकास और कार्यान्वयन में संसाधनों का बड़ा निवेश होता है, जो महंगा हो सकता है। उदाहरण: AI अनुसंधान और विकास में भारी निवेश की आवश्यकता।
- विवेचना में कठिनाई: जटिल AI मॉडल को समझना और उनका विश्लेषण करना मुश्किल हो सकता है, क्योंकि इनके निर्णय-निर्माण की प्रक्रिया पारदर्शी नहीं होती। उदाहरण: AI आधारित ऋण अनुमोदन प्रणाली में निर्णय की अस्पष्टता।
भारत सरकार द्वारा कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के विकास के लिए प्रमुख पहलें
भारत सरकार कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के क्षेत्र में देश के विकास के लिए कई प्रमुख पहलें लेकर आई है, ताकि इस तकनीकी को स्वास्थ्य, शिक्षा और प्रशासन में प्रभावी रूप से लागू किया जा सके। ये पहलें न केवल AI के उपयोग को बढ़ावा देंगी, बल्कि देश में इसके लिए एक मजबूत इकोसिस्टम भी तैयार करेंगी।
- तेलंगाना में AI अनुसंधान केंद्र (INAI): तेलंगाना राज्य ने हाल ही में INAI (Intel AI) के नाम से एक उन्नत AI अनुसंधान केंद्र की शुरुआत की है, जो हैदराबाद में स्थित है। यह केंद्र स्वास्थ्य और स्मार्ट मोबिलिटी से जुड़ी समस्याओं का समाधान निकालने के लिए AI का उपयोग करेगा। आने वाले समय में, यह केंद्र ग्रामीण इलाकों और कठिन भौगोलिक क्षेत्रों में सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं और स्मार्ट मोबिलिटी में सुधार करेगा।
- यूएस-भारत AI पहल (US-India AI Initiative): भारत और अमेरिका के बीच AI सहयोग को मजबूत करने के लिए IUSSTF ने ‘US-India AI Initiative’ की शुरुआत की है। इस पहल के तहत AI का उपयोग ऊर्जा, स्वास्थ्य, कृषि और अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में किया जाएगा, ताकि देश की समग्र विकास योजनाओं को मजबूती मिल सके। इस पहल के अंतर्गत दोनों देशों के विशेषज्ञों के विचारों और सुझावों को साझा किया जाएगा, ताकि AI के विकास को गति मिले और विविधता का लाभ लिया जा सके।
- एमसीए 3.0 पोर्टल (MCA 3.0 Portal): कंपनियों के लिए सरकारी रजिस्ट्रेशन और अन्य कागजी कार्यवाहियों को सरल बनाने के लिए Ministry of Corporate Affairs (MCA) ने MCA 3.0 पोर्टल लॉन्च किया है। इस पोर्टल में AI और मशीन लर्निंग (ML) तकनीकों का उपयोग किया जाएगा, जो कंपनियों को अपने दस्तावेज़ीकरण और अनुपालन की प्रक्रिया को सरल और तेज़ बनाने में मदद करेगा। यह पोर्टल व्यापारिक वातावरण को सुधारने के साथ-साथ प्रभावी शासन प्रणाली के निर्माण में भी सहायक होगा।
- युवाओं के लिए जिम्मेदार AI (Responsible AI for Youth): कृत्रिम बुद्धिमत्ता के क्षेत्र में युवाओं को प्रशिक्षित करने और कौशल अंतर को खत्म करने के लिए ‘Responsible AI for Youth’ पहल को शुरू किया गया है। इसमें सरकारी स्कूलों के छात्रों को AI की उचित शिक्षा प्रदान की जाएगी, ताकि उन्हें इस क्षेत्र में व्यावहारिक कौशल प्राप्त हो सके। यह पहल छात्रों को न केवल तकनीकी कौशल से लैस करेगी, बल्कि उन्हें समाज की प्रमुख समस्याओं के समाधान में भी शामिल करेगी। इसके द्वारा AI का लाभ युवा वर्ग को मिलेगा, जिससे वे रोजगार के अवसरों के लिए तैयार हो सकेंगे।
- AI पोर्टल (AI Portal): ‘AI पोर्टल’ एक संयुक्त पहल है, जो MeitY और NASSCOM द्वारा बनाई गई है। यह एक केंद्रीय प्लेटफॉर्म है, जो AI के क्षेत्र में भारत की सभी पहल, संसाधन और नवीनतम जानकारी को साझा करेगा। इस पोर्टल का उद्देश्य सभी आयु वर्ग और शैक्षिक पृष्ठभूमि के व्यक्तियों को AI समुदाय का हिस्सा बनाना है।
UPSC पिछले वर्ष का प्रश्न (PYQ) प्रश्न (2020): विकास की वर्तमान स्थिति में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence), निम्नलिखित में से किस कार्य को प्रभावी रूप से कर सकती है?
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1, 2, 3 और 5 (b) केवल 1, 3 और 4 (c) केवल 2, 4 और 5 (d) 1, 2, 3, 4 और 5 उत्तर: (b) |
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