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जलवायु जोखिम सूचकांक रिपोर्ट, 2025

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संदर्भ:

नए जलवायु जोखिम सूचकांक रिपोर्ट के अनुसार, 1993 से 2023 के बीच चरम मौसम घटनाओं से सबसे अधिक प्रभावित शीर्ष 10 देशों में भारत छठे स्थान पर है। यह रिपोर्ट जलवायु परिवर्तन के बढ़ते प्रभावों और भारत की जोखिम संवेदनशीलता को उजागर करती है।

The 10 countries most affected in 1993-2022

जलवायु जोखिम सूचकांक रिपोर्ट के मुख्य बिंदु:

  1. भारत की स्थिति:
    • भारत 1993 से 2022 के बीच अत्यधिक मौसम घटनाओं से सबसे अधिक प्रभावित 10 देशों में शामिल था।
    • भारत ने इन घटनाओं से होने वाली वैश्विक मौतों का 10% और नुकसान (डॉलर में) का 3% हिस्सा झेला।
  2. रैंकिंग: 2025 के क्लाइमेट रिस्क इंडेक्स में भारत को छठी रैंक प्राप्त हुई, जो जलवायु संकट के प्रति इसकी संवेदनशीलता को दर्शाता है।
  3. अग्रणी देशों के मुकाबले: डोमिनिका, चीन, होंडुरस, म्यांमार, और इटली भारत से ऊपर रैंक किए गए हैं।
  4. भारत पर प्रभाव: भारत में 400 से अधिक अत्यधिक मौसम घटनाएँ हुईं, जिनसे $180 बिलियन का नुकसान हुआ और कम से कम 80,000 जानें गईं।
  5. मुख्य घटनाएँ:
    • भारत ने 1993, 1998, और 2013 में विनाशकारी बाढ़ का सामना किया।
    • 2002, 2003, और 2015 में भारत में अत्यधिक गर्मी की लहरें आईं, साथ ही चक्रवातों का भी सामना करना पड़ा।

1993-2022 के दौरान प्रमुख आपदाएँ और उनका प्रभाव:

  1. तूफान (35%): सबसे अधिक आर्थिक नुकसान (~$2.33 ट्रिलियन) हुआ।
  2. गर्मी की लहरें (30%): इनमें सबसे अधिक मृत्यु दर दर्ज की गई।
  3. बाढ़ (27%): सबसे अधिक लोगों को प्रभावित किया।

जलवायु जोखिम सूचकांक (Climate Risk Index):

  1. प्रकाशन और इतिहास:
    • यह 2006 से प्रकाशित हो रहा है।
    • यह एक लंबा चलने वाला वार्षिक जलवायु प्रभाव संबंधित सूचकांक है।
  2. क्रियावली:
    • CRI जलवायु-संबंधित अत्यधिक मौसम घटनाओं के देशों पर पड़ने वाले प्रभाव के स्तर का विश्लेषण करता है।
    • यह देशों पर वास्तविक जोखिमों के परिणामों को मापता है।
  3. सूचकांक की विशेषताएँ: यह एक बैकवर्ड-लुकिंग सूचकांक है, जो देशों के आर्थिक और मानव प्रभावों (मृत्यु दर, प्रभावित, घायल, और बेघर व्यक्तियों) के आधार पर देशों को रैंक करता है। सबसे प्रभावित देश को उच्च रैंक प्राप्त होता है।
  4. डेटा स्रोत: इस रिपोर्ट के निष्कर्ष International Disaster Database (Em-dat) से अत्यधिक मौसम घटनाओं के डेटा और International Monetary Fund (IMF) से समाज-आर्थिक डेटा पर आधारित होते हैं।
  5. प्रकाशक: यह Germanwatch द्वारा प्रकाशित किया जाता है, जो कि एक स्वतंत्र विकास, पर्यावरण, और मानवाधिकार संगठन है, जिसका मुख्यालय बॉन और बर्लिन में है।

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