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संदर्भ:
चीता संरक्षण परियोजना: सेंटर फॉर वाइल्डलाइफ स्टडीज (CWS) द्वारा किए गए एक नए अध्ययन में अफ्रीकी चीताओं के भारत में स्थानांतरण (Translocation) को लेकर गंभीर चिंताएँ व्यक्त की गई हैं। अध्ययन में इस परियोजना की प्रभावशीलता और इसकी दीर्घकालिक स्थिरता पर सवाल उठाए गए हैं।
मुख्य बिंदु: चीता संरक्षण परियोजना की चुनौतियाँ:
चीता संरक्षण में आई समस्याएँ:
- अत्यधिक तनाव: चीतों को 90 से अधिक बार बेहोश करना पड़ा और बार-बार पशु चिकित्सा देखभाल की आवश्यकता हुई।
- उच्च मृत्यु दर: पहले चरण में मृत्यु दर 40%-50% रही, जबकि अपेक्षित जीवित रहने की दर 85% थी।
- मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर प्रभाव: लगातार तनाव के कारण चीतों के स्वास्थ्य को लेकर गंभीर चिंताएँ उठी हैं।
चीता संरक्षण परियोजना की प्रमुख चुनौतियाँ:
- संरक्षण चुनौतियाँ: अफ्रीकी चीतों की संख्या पहले से ही संकटग्रस्त है, और केवल 6,500 वयस्क ही जंगल में जीवित बचे हैं।
- सततता (Sustainability) की समस्या: अफ्रीका से लगातार चीतों का आयात करना पारिस्थितिक रूप से अस्थिर और नैतिक रूप से विवादास्पद माना जा रहा है।
चीता संरक्षण परियोजना की पृष्ठभूमि:
- परियोजना की शुरुआत: सितंबर 2022 और फरवरी 2023 में कुल 20 अफ्रीकी चीते मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान (KNP) में लाए गए।
- परियोजना का उद्देश्य: भारत में 1950 के दशक में विलुप्त हुए चीतों की फिर से बसावट (Reintroduction) करना।
- कहां से लाए गए चीते? नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से चीतों का आयात किया गया।
- परियोजना का नाम: इसे “प्रोजेक्ट चीता” कहा जाता है, जो भारत में चीतों के पुनर्वास की पहली पहल है।
भारत में चीता: इतिहास और विलुप्ति:
- प्राचीन अस्तित्व: मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले के चतुर्भुज नाला में निओलिथिक गुफा चित्र मिला है, जिसमें एक पतला, धब्बेदार चीता का शिकार किए जाने का दृश्य अंकित है।
- नाम की उत्पत्ति: संस्कृत में चीते को “चित्रक” कहा जाता है, जिसका अर्थ “धब्बेदार प्राणी” होता है।
- भारत में विलुप्ति: माना जाता है कि चीते 1947 में भारत से लुप्त हो गए, क्योंकि उन्हें बड़े पैमाने पर शिकार कर मार दिया गया था।
- औपचारिक विलुप्ति: भारत सरकार ने 1952 में चीतों को आधिकारिक रूप से विलुप्त घोषित किया।
- अन्य देशों में विलुप्ति: 1940 के दशक से 14 अन्य देशों में चीते विलुप्त हो चुके हैं, जिनमें जॉर्डन, इराक, इज़राइल, मोरक्को, सीरिया, ओमान, ट्यूनीशिया, सऊदी अरब, जिबूती, घाना, नाइजीरिया, कजाकिस्तान, पाकिस्तान और अफगानिस्तान शामिल हैं।
भारत में चीतों के पुनर्वास से जुड़े प्रयास:
- पहला प्रयास: भारत में चीता पुनर्वास का यह पहला प्रयास नहीं है। 1970 के दशक में, इंदिरा गांधी सरकार ने ईरान के साथ बातचीत की थी।
- सम्भावित स्थल: चीता पुनर्वास के लिए कई स्थलों का आकलन किया गया, जिनमें शामिल हैं:
- मुखुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व (राजस्थान)
- शेरगढ़ वन्यजीव अभयारण्य (राजस्थान)
- गांधी सागर वन्यजीव अभयारण्य (मध्य प्रदेश)
- कूनो राष्ट्रीय उद्यान (मध्य प्रदेश)
- माधव राष्ट्रीय उद्यान (मध्य प्रदेश)
- नौरादेही वन्यजीव अभयारण्य (मध्य प्रदेश)
- कूनो राष्ट्रीय उद्यान को चीता पुनर्वास के लिए उपयुक्त पाया गया।
- इस स्थल की2006 से निगरानी की जा रही है और इसे चीतों के पुनर्वास के लिए उपयुक्त घोषित किया गया।