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संदर्भ:
वैश्विक समुद्री बर्फ़ आवरण: अमेरिकी राष्ट्रीय हिम और बर्फ़ डेटा केंद्र (NSIDC) के आंकड़ों के बीबीसी विश्लेषण के अनुसार, 8 से 13 फरवरी के बीच आर्कटिक और अंटार्कटिक में समुद्री बर्फ़ का कुल क्षेत्रफल घटकर 15.76 मिलियन वर्ग किलोमीटर रह गया। यह 2023 की शुरुआत में दर्ज 15.93 मिलियन वर्ग किलोमीटर के पिछले न्यूनतम रिकॉर्ड को तोड़ते हुए अब तक का सबसे कम स्तर है।
समुद्री बर्फ (Sea Ice):
- परिभाषा: ध्रुवीय क्षेत्रों में तैरने वाली बर्फ, जो हिमखंडों (Icebergs), हिमनदों (Glaciers), आइस शीट (Ice Sheets) और आइस शेल्फ़ (Ice Shelves) से अलग होती है, क्योंकि ये भूमि पर बनते हैं।
- मौसमी बदलाव: यह सर्दियों में बढ़ती है और गर्मियों में पिघलती है, लेकिन कुछ बर्फ पूरे वर्ष बनी रहती है।
वर्तमान स्थिति:
- 13 फरवरी 2025: वैश्विक समुद्री बर्फ क्षेत्र घटकर 15.76 मिलियन वर्ग किमी रह गया, जो जनवरी-फरवरी 2023 में 15.93 मिलियन वर्ग किमी के पिछले रिकॉर्ड को तोड़ चुका है।
- ऐतिहासिक गिरावट: 1970 के दशक से उपग्रह डेटा के अनुसार, आर्कटिक और अंटार्कटिक समुद्री बर्फ का स्तर इतिहास में सबसे कम या निकटतम स्तर पर पहुंच चुका है।
वैश्विक समुद्री बर्फ़ आवरण में कमी के कारण:
- वैश्विक तापमान में वृद्धि:
- आर्कटिक और अंटार्कटिक क्षेत्रों में तेज़ी से गर्मी बढ़ रही है।
- आर्कटिक क्षेत्र वैश्विक औसत से चार गुना तेज़ गर्म हो रहा है।
- महासागरों का बढ़ता तापमान समुद्री बर्फ के जमने में देरी और उसके तेजी से पिघलने का कारण बन रहा है।
- आइस-अल्बेडो प्रभाव (Ice-Albedo Feedback Effect):
- जब बर्फ पिघलती है, तो इसकी जगह गहरे रंग का समुद्र दिखाई देता है, जो अधिक सौर ऊर्जा अवशोषित करता है।
- इससे महासागरों का तापमान बढ़ता है और बर्फ के पिघलने की प्रक्रिया तेज़ हो जाती है।
- हवा के पैटर्न और तूफान: आर्कटिक क्षेत्र में तूफानों ने बारेंट्स सागर (नॉर्वे और रूस के पास) और बेरिंग सागर (अलास्का और रूस के बीच) की बर्फ को तोड़ दिया है। अंटार्कटिका में समुद्री बर्फ महाद्वीपों के बजाय महासागरों से घिरी होती है, जिससेयह अधिक गतिशील और पतली होती है, जिससे तेजी से पिघलती है।
वैश्विक समुद्री बर्फ़ आवरण में कमी के प्रभाव:
- गर्मी का अधिक अवशोषण: कम बर्फ होने से अधिक सूर्य के प्रकाश का अवशोषण होता है, जिससे तापमान और बढ़ता है।
- ध्रुवीय क्षेत्रों में तेजी से गर्मी बढ़ना: आर्कटिक और अंटार्कटिक क्षेत्र अन्य भागों की तुलना मेंतेजी से गर्म हो रहे हैं।
- महासागरीय धाराओं में गड़बड़ी:
- पिघलती बर्फ से ताज़ा पानी महासागरों में मिलकर उनकी लवणता (salinity) को कम कर देता है।
- इससे महासागरीय धाराओं की गति धीमी पड़ जाती है, जिससे जलवायु परिवर्तन की गति बढ़ सकती है।
- समुद्री जीवन पर प्रभाव: खाद्य श्रृंखला में बाधा और समुद्री जीवों के प्राकृतिक आवास नष्ट हो सकते हैं।
- हिमखंडों को खतरा: धीमी महासागरीय धाराएं हिमखंडों की स्थिरता को कमजोर करती हैं, जिससे समुद्र के स्तर में और वृद्धि हो सकती है।
आगे का रास्ता (Way Ahead):
- पेरिस समझौते के लक्ष्यों का पालन: वैश्विक तापमान वृद्धि को 5°C तक सीमित करने के लिए ठोस प्रयास करने होंगे।
- वैज्ञानिक अनुसंधान और निगरानी बढ़ाना: सैटेलाइट अवलोकन और वैज्ञानिक अभियानोंका विस्तार करके ध्रुवीय क्षेत्रों में हो रहे परिवर्तनों को बेहतर समझना होगा।
- समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा: अंतरराष्ट्रीय समझौतों को मजबूत किया जाए ताकि ध्रुवीय जैव विविधता और समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा की जा सके।
- ध्रुवीय क्षेत्रों में सख्त नियम लागू करना: उद्योगों, मत्स्य पालन (fishing) और संसाधन दोहन पर सख्त नियंत्रण जरूरी है ताकि इन संवेदनशील क्षेत्रों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।