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CAG ने 14 लंबित रिपोर्टें संसद में पेश की

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संदर्भ:

CAG रिपोर्ट: नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) ने हाल ही में दिल्ली की पिछली आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार से संबंधित 14 लंबित रिपोर्टें संसद में पेश की हैं। इनमें रद्द की गई आबकारी नीति से जुड़े एक मामले में दिल्ली सरकार को अनुमानित ₹2,002 करोड़ के नुकसान की बात कही गई है।

CAG रिपोर्ट की प्रमुख निष्कर्ष:

  • नीतिगत अनियमितताएँ:
    • शराब लाइसेंस कुछ ही लोगों के हाथों में केंद्रित कर दिए गए, जिससे एकाधिकार (Monopoly) और कार्टेल (Cartel) बनने का खतरा बढ़ा।
    • नीति निर्माण के दौरान आवश्यक स्वीकृतियाँ और सक्षम प्राधिकरण की अनुमति नहीं ली गई।
    • सरकारी निगमों को दरकिनार कर लाइसेंस निजी कंपनियों को दिए गए।
  • आर्थिक हानि:
    • नीति से सरकार को ₹2,000 करोड़ का भारी राजस्व नुकसान हुआ।
    • ज़ोनल लाइसेंस छूट (Zonal License Exemptions) के कारण ₹941 करोड़ का नुकसान।
    • रिटेल लाइसेंस की निविदा प्रक्रिया (Non-Tendering of Retail Licenses) को न अपनाने से ₹890 करोड़ की हानि।

भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) – प्रमुख बिंदु

  • संवैधानिक प्रावधान:
    • अनुच्छेद 151:
      • सीएजी केंद्र सरकार के खातों की ऑडिट रिपोर्ट राष्ट्रपति को प्रस्तुत करता है, जो इसे संसद के समक्ष रखता है।
      • राज्य सरकार के खातों की ऑडिट रिपोर्ट राज्यपाल को प्रस्तुत की जाती है, जो इसे राज्य विधानसभा के समक्ष रखता है।
    • लोक लेखा समिति (PAC) चयनित रिपोर्टों की समीक्षा करती है, सरकार से जवाब मांगती है और ‘कार्रवाई की गई रिपोर्ट’ (Action Taken Report) प्रस्तुत करने को कहती है।
  • CAG द्वारा किए जाने वाले ऑडिट के प्रकार:
    • अनुपालन ऑडिट – कानूनों और नियमों के पालन की जांच करता है।
    • प्रदर्शन ऑडिट – सरकारी योजनाओं के कार्यान्वयन का मूल्यांकन करता है।
    • वित्तीय ऑडिट– सरकारी खातों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (PSU) की वित्तीय स्थिति की प्रमाणिकता की पुष्टि करता है।

ऑडिट विषयों का चयन:

  • सीएजी जोखिम मूल्यांकन (Risk Assessment) के आधार पर ऑडिट विषयों का चयन करता है।
  • परियोजनाओं के आकार, मीडिया कवरेज और पिछले निरीक्षण रिपोर्टों का विश्लेषण किया जाता है।
  • सीएजी अंतर्राष्ट्रीय सर्वोच्च ऑडिट संस्थानों (INTOSAI) के दिशानिर्देशों का पालन करते हुए वार्षिक ऑडिट योजना तैयार करता है।
  • एक ऑडिट सलाहकार बोर्ड (Audit Advisory Board) विषयों और कार्यप्रणाली का सुझाव देता है।
  • सरकार या अदालतें भी ऑडिट की सिफारिश कर सकती हैं।

ऑडिट प्रक्रिया:

  1. प्रवेश सम्मेलन (Entry Conference)– संबंधित विभाग के साथ बैठक कर ऑडिट योजना, कार्यप्रणाली और समयसीमा तय की जाती है।
  2. ऑडिट निष्कर्ष (Findings)– ऑडिट पूरा होने के बाद एक निकास सम्मेलन (Exit Conference) आयोजित किया जाता है, जिसमें निष्कर्षों पर चर्चा होती है।
  3. ड्राफ्ट रिपोर्ट– विभाग को भेजी जाती है और उसे छह सप्ताह के भीतर उत्तर देना होता है।
  4. अंतिम रिपोर्ट– सरकार को प्रस्तुत की जाती है और विधायिका के समक्ष रखी जाती है।

CAG रिपोर्ट का प्रस्तुतिकरण:

  • अनुच्छेद 151 के तहत सीएजी रिपोर्ट को संसद या राज्य विधानमंडल में प्रस्तुत करना अनिवार्य है, लेकिन इसके लिए कोई निश्चित समय सीमा निर्धारित नहीं है।
  • इस कारण रिपोर्ट प्रस्तुत करने में देरी होती है। उदाहरण के लिए, दिल्ली सरकार ने कुछ सीएजी रिपोर्टें चार साल तक विधानसभा में प्रस्तुत नहीं कीं, जबकि वे उपराज्यपाल को सौंपी जा चुकी थीं।

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