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प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) में कार्यान्वयन संबंधी कमियाँ

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संदर्भ:

संसदीय स्थायी समिति ने ग्रामीण विकास ने सरकार पर प्रधानमंत्री आवास योजनाग्रामीण (PMAY-G) के तहत वास्तविक लाभार्थियों की पहचान करने में विफल रहने का आरोप लगाया है। समिति ने योजना के कार्यान्वयन में खामियों को उजागर किया है, जिससे जरूरतमंद लोगों तक लाभ पहुंचाने में बाधाएं आ रही हैं।

प्रधानमंत्री आवास योजना – ग्रामीण (PMAY-G) का परिचय:

  1. शुरुआत:यह योजना 1 अप्रैल 2016 को शुरू की गई थी।
  2. उद्देश्य:
    • स्थायी आवास प्रदान करना: पात्र ग्रामीण परिवारों को पक्का मकान उपलब्ध कराना।
    • आवासीय अभाव को दूर करना: सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना (SECC) 2011 के माध्यम से पहचाने गए आवासीय अभाव को हल करना।
    • बुनियादी सुविधाएं सुनिश्चित करना: बिजली, स्वच्छता और स्वच्छ पेयजल जैसी सुविधाएं प्रदान करना।
    • महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देना: घर आवंटन में संयुक्त स्वामित्व को अनिवार्य करना।
  3. वित्तपोषण (Funding):
    • मैदानी क्षेत्र (Plains): केंद्र और राज्यों के बीच 60:40 का अनुपात।
    • उत्तर-पूर्व, हिमालयी राज्य, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख: 90:10 का अनुपात।
    • केंद्र शासित प्रदेश (Union Territories): 100% केंद्र सरकार द्वारा वित्तपोषित।
  4. लाभार्थियों को वित्तीय सहायता (Financial Assistance to Beneficiaries):
    1. मैदानी क्षेत्र में: प्रति इकाई ₹1.2 लाख।
    2. पहाड़ी और कठिन क्षेत्रों में: प्रति इकाई ₹1.3 लाख।
    3. चयन प्रक्रिया: SECC 2011 डेटा के आधार पर चयन, जिसे ग्राम सभा द्वारा सत्यापित किया जाता है।
  5. लाभार्थियों में शामिल:
    • अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति और मुक्त बंधुआ मजदूर।
    • गैर-एससी/एसटी बीपीएल परिवार।
    • विधवाएं और कार्रवाई में मारे गए रक्षा कर्मियों के परिजन।
    • पूर्व सैनिक, अर्धसैनिक बल, दिव्यांग व्यक्ति और अल्पसंख्यक।

प्रगति और लक्ष्य (Progress and Targets):

  1. लक्ष्य (2016-2029): 95 करोड़ घरों का निर्माण।
  2. स्थिति (2 फरवरी 2025 तक):
    • आवंटित लक्ष्य: 79 करोड़ घर।
    • स्वीकृत घर: 34 करोड़।
    • पूर्ण घर: 69 करोड़।
  3. अतिरिक्त लक्ष्य (2024-29): 2 करोड़ और घरों के निर्माण को मंजूरी।

सुधार के लिए सिफारिशें (Recommendations for Improvement):

  1. आवासों की संख्या बढ़ाना:
    • समिति ने योजना के तहत निर्धारित घरों की कुल संख्या को कम से कम 46 करोड़ तक बढ़ाने की सिफारिश की है।
    • यह आंकड़ा मौजूदा लंबित मामलों और नए आवंटनों दोनों को ध्यान में रखते हुए तय किया गया है।
  2. उद्देश्य: योजना को ग्रामीण आबादी की आवास संबंधी जरूरतों को प्रभावी ढंग से पूरा करने में सक्षम बनाना।

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