संदर्भ:
भारत में सड़क दुर्घटनाएँ: केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बताया कि भारत को हर साल 5 लाख सड़क दुर्घटनाओं के कारण GDP का 3% नुकसान होता है, जिससे 1.88 लाख मौतें होती हैं। खासतौर पर 18-45 आयु वर्ग सबसे अधिक प्रभावित होता है। उन्होंने खराब परियोजना रिपोर्टों को दुर्घटनाओं का प्रमुख कारण बताया।
भारत में सड़क दुर्घटनाएँ:
- वर्ष 2022 में भारत में कुल 4,61,312 सड़क दुर्घटनाएँ हुईं, जिनमें 4,43,366 लोग घायल हुए और 1,68,491 लोगों की मृत्यु हुई।
- 2021 की तुलना में, 2022 में सड़क दुर्घटनाओं की संख्या 11.9%, मौतों की संख्या 9.4%, और घायलों की संख्या 15.3% बढ़ी।
- सड़क दुर्घटनाओं की गंभीरता (प्रति 100 दुर्घटनाओं पर मृत्यु दर) 2021 में 37.3 थी, जो 2022 में घटकर 36.5 हो गई।
- 18 से 45 वर्ष के युवा वयस्कों की हिस्सेदारी कुल सड़क दुर्घटना पीड़ितों में 66.5% रही, जबकि 18 से 60 वर्ष की आयु वर्ग के लोग 83.4% मौतों के शिकार हुए।
- दोपहिया वाहन सड़क दुर्घटनाओं में मृत्यु का सबसे बड़ा कारण बने, जिनकी हिस्सेदारी 44.5% रही। इसके बाद पैदल यात्री (19.5%), कार/टैक्सी/वैन (12.5%), और ट्रक (6.3%) का स्थान रहा।
- ओवरस्पीडिंग (अत्यधिक तेज़ गति) सड़क दुर्घटनाओं का सबसे प्रमुख कारण बना, जो 2022 में 72.3% दुर्घटनाओं और 71.2% मौतों के लिए जिम्मेदार रहा।
भारत में सड़क दुर्घटनाओं के प्रमुख कारण:
- सुरक्षा सुविधाओं की कमी– भारत में कई बजट कारों में एयरबैग जैसी आवश्यक सुरक्षा सुविधाएँ नहीं होतीं।
- सड़कों पर भीड़भाड़– सड़क पर अत्यधिक वाहन, पैदल यात्री और पशुओं की मौजूदगी दुर्घटनाओं की संभावना बढ़ाती है।
- व्यवहारगत समस्याएँ– यातायात नियमों का पालन न करना, ओवरस्पीडिंग और लापरवाह ड्राइविंग प्रमुख कारण हैं।
- सड़क संरचना में खामियाँ– गड्ढे, ब्लैक स्पॉट और अधूरी सड़क अवसंरचना दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं।
- कानूनों का कमजोर प्रवर्तन– विशेषकर राज्य और जिला स्तर पर यातायात नियमों का प्रभावी क्रियान्वयन नहीं हो पाता।
- वाहन मानक– ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग और तकनीक को और बेहतर बनाने की आवश्यकता है।
- जागरूकता और शिक्षा की कमी– सड़क सुरक्षा से संबंधित जागरूकता कार्यक्रमों की संख्या और प्रभाव कम है।
भारत में सड़क दुर्घटनाओं से GDP को नुकसान:
- कामकाजी आयु वर्ग की हानि– 18 से 45 वर्ष के युवाओं और कामकाजी लोगों की मृत्यु और उत्पादकता में कमी से GDP की वृद्धि पर सीधा असर पड़ता है।
- पर्यटन और परिवहन पर प्रभाव– सड़क दुर्घटनाएँ पर्यटन और व्यावसायिक परिवहन की दक्षता को कम करती हैं, जिससे अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
- बीमा और कानूनी खर्चों में वृद्धि– दुर्घटनाओं से बीमा और कानूनी प्रक्रियाओं का खर्च बढ़ जाता है, जो व्यक्तियों और व्यवसायों के लिए आर्थिक बोझ बनता है।
- आय का नुकसान– दुर्घटना पीड़ितों की अस्थायी या स्थायी विकलांगता के कारण उनकी आय प्रभावित होती है, जिससे आर्थिक उत्पादकता घटती है।
- चिकित्सा खर्चों में वृद्धि– दुर्घटना पीड़ितों के इलाज पर भारी खर्च होता है, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं पर दबाव बढ़ता है।
- सड़कों की मरम्मत पर व्यय– दुर्घटनाओं से बुनियादी ढांचे को नुकसान होता है, जिसे ठीक करने के लिए वित्तीय संसाधनों की आवश्यकता होती है।