संदर्भ:
फ्लोराइड प्रदूषण: भारत में भूजल प्रदूषण एक बढ़ती हुई चिंता का विषय बनता जा रहा है। उत्तर प्रदेश के सोनभद्र ज़िले में ग्रेनाइट की समृद्ध परतों से निकला अत्यधिक फ्लोराइड भूजल में घुलकर इसे पीने योग्य नहीं बना रहा है। इससे स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है, विशेषकर हड्डियों और दाँतों से जुड़ी बीमारियों के मामले बढ़ रहे हैं।
भूमिगत जल प्रदूषण (Groundwater Pollution):
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परिभाषा:
- भूमिगत जल प्रदूषण तब होता है जब प्रदूषक जल स्रोतों में मिलकर उन्हें दूषित कर देते हैं।
- यह अक्सर गलत कचरा निपटान, कृषि प्रथाओं या औद्योगिक गतिविधियों के कारण होता है।
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प्रमुख प्रदूषक:
- आर्सेनिक, फ्लोराइड, नाइट्रेट, भारी धातुएं, कीटनाशक , औद्योगिक कचरा।
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प्रभाव:
- मानव स्वास्थ्य पर खतरा (पेयजल की गुणवत्ता घटती है)।
- पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान (जलचरों और मिट्टी की गुणवत्ता पर प्रभाव)।
भूमिगत जल प्रदूषण के स्रोत (Sources of Groundwater Pollution):
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मानवजनित स्रोत (Human Activities):
- गलत कचरा निपटान: कचरा भराव स्थल, लीक होते सीवर और स्थानीय स्वच्छता प्रणाली से प्रदूषक जल में मिल सकते हैं।
- औद्योगिक गतिविधियाँ: लीक होते भंडारण टैंक, औद्योगिक अपशिष्ट जल और खनन अपशिष्ट भूमिगत जल को दूषित कर सकते हैं।
- कृषि प्रथाएँ: कीटनाशक, उर्वरक और पशु मलमूत्र का अत्यधिक उपयोग भूमिगत जल में प्रदूषकों के रिसाव का कारण बनता है।
- अन्य स्रोत: लीक होते भूमिगत भंडारण टैंक, पेट्रोल पंप और हाइड्रोलिक फ्रैक्चरिंग से भी जल प्रदूषण हो सकता है।
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प्राकृतिक स्रोत (Natural Sources):
- स्वाभाविक रूप से मौजूद प्रदूषक: आर्सेनिक, फ्लोराइड और अन्य खनिज भूगर्भीय संरचनाओं से जल में मिल सकते हैं।
- लवणीय घुसपैठ: अत्यधिक भूजल निकासी से लवणीय जल मीठे जलभृतों में प्रवेश कर सकता है।
फ्लोराइड प्रदूषण: एक बढ़ती वैश्विक चिंता
फ्लोराइड प्रदूषण प्राकृतिक और मानवजनित दोनों स्रोतों से उत्पन्न होता है, जिससे जल, मिट्टी और वायु दूषित होती है। इसके कारण डेंटल और स्केलेटल फ्लोरोसिस जैसी स्वास्थ्य समस्याएँ हो सकती हैं।
फ्लोराइड प्रदूषण के स्रोत (Sources of Fluoride Pollution):
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प्राकृतिक स्रोत:
- फ्लोराइड स्वाभाविक रूप से चट्टानों, मिट्टी और जल में मौजूद होता है।
- ज्वालामुखीय गतिविधि, ज्वालामुखीय चट्टानें और क्षारीय घुसपैठ भूजल में फ्लोराइड छोड़ सकती हैं।
- शुष्क और अर्ध-शुष्क क्षेत्र उच्च फ्लोराइड स्तर वाले भूजल के लिए अधिक संवेदनशील होते हैं।
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मानवजनित स्रोत:
- औद्योगिक गतिविधियाँ जैसे कोयला जलाना, ऊर्जा उत्पादन और निर्माण कार्य फ्लोराइड उत्सर्जित कर सकते हैं।
- फॉस्फेट उर्वरकों के खनन और प्रसंस्करण से फ्लोराइड प्रदूषण बढ़ सकता है।
- औद्योगिक अपशिष्ट जल का निर्वहन जल स्रोतों को दूषित कर सकता है।
- अत्यधिक भूजल दोहन और चट्टानों से फ्लोराइड का रिसाव जल में इसके स्तर को बढ़ा सकता है।
- फॉस्फेट उर्वरकों का अत्यधिक उपयोग भी फ्लोराइड के भूजल में रिसाव का कारण बन सकता है।
प्रभावित क्षेत्रों में जनसंख्या को सुरक्षित पेयजल सुनिश्चित करने के लिए भूजल गुणवत्ता की नियमित निगरानी और उपयुक्त प्रबंधन रणनीतियों को लागू करना अत्यंत आवश्यक है। इससे न केवल जल जनित बीमारियों को रोका जा सकता है, बल्कि स्थायी जल संसाधन प्रबंधन की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम उठाए जा सकते हैं।