संदर्भ:
भारत-इज़रायल कृषि समझौता: भारत और इज़रायल ने एक व्यापक कृषि समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसका उद्देश्य द्विपक्षीय कृषि सहयोग को बढ़ाना, खाद्य सुरक्षा को मजबूत करना और खेती की आधुनिक तकनीकों को अपनाना है। यह समझौता नई दिल्ली में भारत के केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान और इज़राइल के कृषि व खाद्य सुरक्षा मंत्री एवी डिक्टर के बीच हुआ।
भारत-इज़रायल कृषि समझौता: मुख्य क्षेत्र
दोनों देशों ने निम्नलिखित क्षेत्रों में सहयोग को विस्तार देने का निर्णय लिया :
- मिट्टी और जल प्रबंधन-
- बागवानी और कृषि उत्पादन-
- कटाई के बाद की प्रोसेसिंग तकनीक-
- कृषि यंत्रीकरण-
- पशुपालन
- अनुसंधान एवं विकास (R&D)
तकनीकी विस्तार और नवाचार:
- कीट प्रबंधन (Pest Management),
- क्षमता निर्माण (Capacity Building),
- उन्नत कृषि तकनीकों का विकास और प्रसार,
- पोस्ट-हार्वेस्ट टेक्नोलॉजी जैसे क्षेत्रों में साझेदारी पर विशेष बल दिया गया।
पाँच वर्षीय बीज सुधार योजना (Five-Year Seed Improvement Plan):
- दोनों देशों के बीच बीज सुधार की पाँच वर्षीय योजना पर चर्चा एक नई और महत्त्वपूर्ण पहल के रूप में सामने आई है।
- यह योजना बीज गुणवत्ता, उपज क्षमता और जलवायु अनुकूलन को बेहतर बनाएगी।
इतिहास:
- भारत और इज़राइल के बीच कृषि क्षेत्र में गहरा और दीर्घकालिक सहयोग है।
- पिछले दो दशकों में कई सहमति ज्ञापन और संयुक्त कार्य समूह के माध्यम से यह भागीदारी औपचारिक रूप से मजबूत हुई है।
Indo-Israel Agricultural Project (IIAP):
- वर्ष 2006 में IIAP की शुरुआतहु ई थी।
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इस परियोजना का उद्देश्य:
- किसानों को प्रशिक्षण देना
- आधुनिक कृषि तकनीकों का प्रदर्शनकरना
- बागवानी में सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाना
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प्रमुख तकनीकी नवाचार:
- ड्रिप सिंचाई (Drip Irrigation) – जल संरक्षण के साथ सटीक सिंचाई।
- सटीक कृषि (Precision Farming) – संसाधनों का कुशल उपयोग और उत्पादकता में वृद्धि।
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प्रभाव और विस्तार:
- इस सहयोग के अंतर्गत पूरे भारत में कई Centers of Excellence स्थापित किए गए हैं।
- इन केंद्रों ने किसानों को व्यावसायिक और आधुनिक कृषि तकनीक से जोड़ने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
Centers of Excellence (CoEs):
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मुख्य उद्देश्य (Core Purpose):
- ये केंद्र किसानों को तेज़ तकनीकी हस्तांतरण के लिए मंच प्रदान करते हैं।
- आधुनिक कृषि तकनीकों का प्रदर्शन करते हैं, अनुसंधान करते हैं किसानों को प्रशिक्षण देते हैं।
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प्रमुख विशेषताएँ (Key Features):
- 43 CoEs पूरे भारत में स्थापित किए गए हैं।
- ये कृषि परियोजनाओं की सफलता में अहम भूमिका निभा रहे हैं।
- प्रत्येक केंद्र विशिष्ट फसल या तकनीक पर केंद्रित होता है, जैसे:
- सब्जियों की खेती
- फलों का उत्पादन
- जल प्रबंधन