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भारत बनेगा iPhone निर्माण का मैनुफैक्चरिंग हब

सामान्य अध्ययन पेपर III: औद्योगिक नीति, वृद्धि एवं विकास

चर्चा में क्यों? 

रॉयटर्स की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, Apple ने भारत को अमेरिकी बाजार के लिए प्रमुख iPhone निर्माण केंद्र बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए चीन से भारत में अपने iPhone उत्पादन केंद्र को स्थानांतरित करने की योजना को तेजी से आगे बढ़ाना शुरू कर दिया है। 

भारत में iPhone निर्माण की वर्तमान स्थिति

  • iPhone के निर्माण में भारत एक महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में उभरा है। भारत में iPhone निर्माण की प्रक्रिया पिछले कुछ वर्षों में तेजी से बढ़ी है। 
  • पिछले साल भारत में iPhone उत्पादन में 60% की वृद्धि दर्ज की गई है, जो भारत में iPhone निर्माण की क्षमता को दर्शाता है।
  • भारत से iPhone का निर्यात भी तेजी से बढ़ रहा है। Apple का लगभग 70% iPhone उत्पादन भारत से निर्यात होता है, और भविष्य में यह आंकड़ा और बढ़ने की संभावना है। 
  • भारत में iPhone के निर्माण में Foxconn, Pegatron, और Tata Electronics जैसी प्रमुख कंपनियां शामिल हैं। 
    • Tata Electronics द्वारा हाल ही में तमिलनाडु के होसुर में एक नया iPhone असेंबली प्लांट स्थापित किया गया है। इस प्लांट में वर्तमान में पुराने iPhone मॉडलों की असेंबली हो रही है।
    • Foxconn बेंगलुरु में 2.6 अरब डॉलर की लागत से एक और फैक्ट्री बना रहा है। इस प्लांट में हर घंटे 300 से 500 iPhone यूनिट्स बनाने की क्षमता होगी, और इसमें iPhone 16 और iPhone 16e जैसे नए मॉडल्स का उत्पादन होगा। 
  • मार्च 2025 में ही Apple ने अमेरिका में 2 अरब डॉलर की कीमत के 600 टन iPhones भेजे, जो अब तक का मासिक रिकॉर्ड है। 
    • इनमें से Foxconn की हिस्सेदारी 1.3 अरब डॉलर थी, जबकि बाकी स्मार्टफोन्स Tata Electronics ने बनाए।
  • Apple का लक्ष्य अमेरिका के लिए 2026 तक भारत में अपने उत्पादन को और बढ़ाना है। 
    • Apple ने 2026 तक भारत में वैश्विक iPhone उत्पादन का 32% हिस्सा और अपने मूल्य का 26% हिस्सा हासिल करने का लक्ष्य तय किया है।
  • Apple ने 2017 में भारत में iPhone की मैन्युफैक्चरिंग की शुरुआत की थी, जब iPhone SE को स्थानीय स्तर पर बनाना शुरू किया गया। 
  • इसके बाद, iPhone 11, iPhone 12, और iPhone 13 जैसे प्रमुख मॉडल्स की मैन्युफैक्चरिंग भी भारत में की गई। 

Apple ने भारत में iPhone विनिर्माण बढ़ाने का फैसला क्यों लिया?

  • अमेरिकी व्यापार नीति और टैरिफ में बदलाव: Apple का भारत में iPhone मैन्युफैक्चरिंग शुरू करने का फैसला मुख्य रूप से अमेरिकी सरकार द्वारा चीन से आयात होने वाले उत्पादों पर 100% से अधिक टैरिफ लगाने के निर्णय के बाद आया। अमेरिकी सरकार ने चेतावनी दी थी कि चीनी उत्पादों पर यह टैरिफ बढ़ सकता है, जिससे iPhone की कीमतों में वृद्धि हो सकती है और ग्राहक प्रभावित हो सकते हैं।
  • चीन पर निर्भरता को कम करना: अब तक दुनिया भर में बनने वाले iPhones का 75% से अधिक हिस्सा चीन में निर्मित होता था। लेकिन Apple इस निर्भरता को कम करने की कोशिश कर रहा है। भारत एक संभावित विकल्प बनकर उभरा है। इससे Apple को भारतीय बाजार में मजबूती से अपनी पकड़ बनाने का अवसर मिल रहा है।
  • सप्लाई चेन की स्थिरता: Apple का प्रमुख उद्देश्य अपनी सप्लाई चेन को और स्थिर बनाना है, ताकि किसी भी देश में व्यापारिक अस्थिरता के कारण उत्पादन में रुकावट न आए। भारत में उत्पादन की शुरुआत से Apple को सप्लाई चेन की लचीलापन और वैश्विक वितरण में भी आसानी होगी। 

भारत में iPhone निर्माण में वृद्धि के लाभ

  • रोजगार सृजन: भारत में iPhone का निर्माण करने से आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा। Apple के लिए भारत में मैन्युफैक्चरिंग की शुरुआत न केवल कंपनी के लिए फायदेमंद है, बल्कि यह देश के आर्थ‍िक संरचना को भी सुदृढ़ करता है। नए मैन्युफैक्चरिंग प्लांट्स के निर्माण से लाखों नौकरियां सृजित होंगी, जिससे बेरोजगारी की समस्या को कम किया जा सकेगा। 
  • स्थानीय उद्योगों को बढ़ावा: iPhone के उत्पादन से भारतीय स्थानीय उद्योगों को भी बढ़ावा मिलेगा। Apple और उसके सहयोगी कंपनियों के साथ काम करने से ऑटोमोटिव पार्ट्स, इलेक्ट्रॉनिक कम्पोनेंट्स, और सप्लाई चेन से जुड़े उद्योगों को भी मजबूती मिलेगी। भारतीय कंपनियां इस प्रक्रिया में शामिल होकर तकनीकी नवाचार और उत्पादन क्षमता में सुधार कर सकेंगी।

  • वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला की मजबूती: भारत में iPhone का निर्माण करने से Apple की वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला और भी मजबूत होगी। Apple को चीन से बाहर निकलने और अन्य देशों पर निर्भरता कम करने का मौका मिलेगा। भारत में उत्पादन से न केवल लॉजिस्टिक लागत में कमी आएगी, बल्कि विभिन्न बाज़ारों में उत्पादों की उपलब्धता भी बढ़ेगी। 
  • विदेशी निवेश और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण: भारत में iPhone निर्माण से विदेशी निवेश आकर्षित होगा और साथ ही तकनीकी हस्तांतरण की प्रक्रिया भी तेज़ होगी। Apple जैसी कंपनियां अपने अत्याधुनिक तकनीकी ज्ञान को भारतीय कंपनियों के साथ साझा करेंगी, जिससे देश में स्मार्टफोन उत्पादन और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों के क्षेत्र में भी नवाचार बढ़ेगा। 

विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए सरकारी नीतियाँ और समर्थन

  • मेक इन इंडिया (Make in India): मेक इन इंडिया अभियान 2014 में शुरू किया गया था, जिसका उद्देश्य भारत को विनिर्माण का केंद्र बनाना है। इस अभियान के तहत सरकार ने घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने और विदेशी निवेश आकर्षित करने के लिए कई कदम उठाए हैं।
  • उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (PLI योजना): प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना का उद्देश्य विभिन्न क्षेत्रों में विनिर्माण को बढ़ावा देना है। यह योजना घरेलू उत्पादन को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ वैश्विक मानकों के अनुरूप निर्माण को सक्षम बनाने के लिए प्रोत्साहन प्रदान करती है। 
  • उदारीकृत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) नीति: भारत सरकार ने विनिर्माण क्षेत्र में एफडीआई को बढ़ावा देने के लिए उदारीकृत नीति अपनाई है। इस नीति के तहत कई क्षेत्रों में 100% एफडीआई की अनुमति दी गई है, जिससे विदेशी निवेश आकर्षित हो सके। इससे विनिर्माण क्षेत्र में नवाचार, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और आधुनिकतम तकनीक का प्रवेश होगा।
  • राष्ट्रीय विनिर्माण नीति: भारत सरकार ने राष्ट्रीय विनिर्माण नीति बनाई है, जिसका उद्देश्य 2025 तक भारत की जीडीपी में विनिर्माण क्षेत्र की हिस्सेदारी को 25% तक बढ़ाना है। इस नीति के तहत विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक विनियामक और संरचनात्मक सुधार किए गए हैं। 
  • ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस: ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस पहल के माध्यम से भारत सरकार ने व्यापार करने में आसानी को बढ़ावा देने के लिए कई सुधार किए हैं। इसके तहत प्रशासनिक प्रक्रियाओं को सरल किया गया है, ताकि विनिर्माण में लगने वाला समय और लागत कम हो सके। 
    • पीएम गतिशक्ति योजना के तहत, सरकार ने परिवहन और बुनियादी ढांचे को एकीकृत करने की योजना बनाई है, जिससे रसद लागत कम होगी और विनिर्माण क्षेत्र में दक्षता बढ़ेगी। 

UPSC पिछले वर्षों के प्रश्न (PYQs) 

प्रश्न (2017). “सुधारोत्तर अवधि में सकल-घरेलू-उत्पाद (जी.डी.पी.) की समग्र संवृद्धि में औद्योगिक संवृद्धि दर पिछड़ती गई है।” कारण बताइये। औद्योगिक-नीति में हाल में किये गए परिवर्तन औद्योगिक संवृद्धि दर को बढ़ाने में कहाँ तक सक्षम हैं?

प्रश्न (2014). सामान्यतः देश कृषि से उद्योग और बाद में सेवाओं को अंतरित होते हैं पर भारत सीधे ही कृषि से सेवाओं को अंतरित हो गया है। देश में उद्योग के मुकाबले सेवाओं की विशाल संवृद्धि के क्या कारण हैं? क्या भारत सशक्त औद्योगिक आधार के बिना एक विकसित देश बन सकता है? 

 

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