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ग्रीन म्यूनिसिपल बॉन्ड (Green Municipal Bond)

Green Municipal Bond

संदर्भ:

उत्तर प्रदेश के गाज़ियाबाद नगर निगम ने स्वच्छ भारत मिशन–अर्बन के तहत देश का पहला प्रमाणित ग्रीन म्यूनिसिपल बॉन्ड (Green Municipal Bond) जारी कर एक नई शुरुआत की है। यह बॉन्ड सतत जल प्रबंधन (Sustainable Water Management) को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिससे शहरी विकास को हरित और पर्यावरण-संवेदनशील तरीके से आगे बढ़ाया जा सकेगा।

ग्रीन म्यूनिसिपल बॉन्ड (GMBs) क्या हैं?

  • म्यूनिसिपल बॉन्ड एक ऋण साधन (debt instrument) होता है, जिसे शहरी स्थानीय निकाय (ULBs) या नगर निगम द्वारा बुनियादी ढांचा (infrastructure) और जनसेवा परियोजनाओं के लिए धन जुटाने हेतु जारी किया जाता है।
  • ग्रीन म्यूनिसिपल बॉन्ड, म्यूनिसिपल बॉन्ड का एक विशेष प्रकार है, जिसका प्रयोग केवल पर्यावरणीय रूप से टिकाऊ और जलवायु सहनशील परियोजनाओं को वित्तपोषित करने हेतु किया जाता है।
    • जैसे: नवीकरणीय ऊर्जा, जल उपचार, कचरा प्रबंधन आदि।
  • भारतीय संविधान का अनुच्छेद 243W, शहरी स्थानीय निकायों को जल आपूर्ति, स्वच्छता, और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन जैसे कार्यों की जिम्मेदारी सौंपता है, जिससे उन्हें ऐसे बॉन्ड जारी करने का अधिकार मिलता है।

ग्रीन म्यूनिसिपल बॉन्ड्स का महत्व

  1. सतत विकास में योगदान: ये बॉन्ड ESG (Environment, Social, Governance) निवेश सिद्धांतों के अनुरूप होते हैं, जो आजकल वैश्विक निवेशकों की रणनीतियों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुके हैं।
  2. कम लागत वाला पूंजी स्रोत: ये बॉन्ड अक्सर बैंकों के वाणिज्यिक ऋणों की तुलना में सस्ता और दीर्घकालिक वित्त प्रदान करते हैं।
  3. निवेशकों का विस्तृत आधार: ये बॉन्ड संस्थागत और अंतरराष्ट्रीय निवेशकों को आकर्षित करते हैं, जिससे पारंपरिक घरेलू ऋण स्रोतों पर निर्भरता कम होती है।
  4. शहरी बुनियादी ढांचे को बढ़ावा: जल उपचार, स्वच्छता और कचरा प्रबंधन जैसे शहरी सेवाओं की क्षमता निर्माण में सहायक होते हैं

गाज़ियाबाद की सफलता:

भारत का पहला ग्रीन म्युनिसिपल बॉन्ड जारी:

  • गाज़ियाबाद नगर निगम ने ₹150 करोड़ जुटाए।
  • यह भारत का पहला “ग्रीन म्युनिसिपल बॉन्ड” था।

प्रोजेक्ट का उद्देश्य: इस फंड से एक आधुनिक टर्शियरी सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (TSTP) बनाया गया।

प्रोजेक्ट मॉडल:

  • यह परियोजना PPP-HAM मॉडल पर आधारित है।
  • इसमें नगर निगम की 40% निवेश भागीदारी है।

बॉन्ड की सफलता का असर: इस बॉन्ड की सफलता से शहरी निकायों में निवेशकों का विश्वास बढ़ा।

राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता: गाज़ियाबाद को 2024–25 का “सर्वश्रेष्ठ म्युनिसिपल ट्रीटेड वॉटर अवार्ड” प्राप्त हुआ।

चुनौतियाँ: ग्रीन म्युनिसिपल बॉन्ड्स के संदर्भ में:

  • सीमित नगरपालिका क्षमता:
    • अधिकांश शहरी स्थानीय निकाय (ULBs) के पास वित्तीय विशेषज्ञता और क्रेडिट रेटिंग की कमी है।
    • स्वतंत्र रूप से बॉन्ड जारी करने में असमर्थ रहते हैं।
  • नियामकीय अड़चनें:
    • स्वीकृति प्रक्रियाएँ जटिल और समय लेने वाली हैं।
    • बाजार की सीमित गहराई ग्रीन बॉन्ड्स को व्यापक स्तर पर अपनाने में बाधा बनती है।
  • निगरानी और जवाबदेही: फंड के पारदर्शी उपयोग और पर्यावरणीय प्रभाव के मूल्यांकन को सुनिश्चित करना कठिन होता है।
  • कम निवेशक जागरूकता: घरेलू निवेशकों में ग्रीन वित्तीय साधनों को लेकर जागरूकता की कमी है।
    • इससे मांग में कमी आती है।

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