14 फरवरी 2019, भारत के इतिहास का एक काला दिन। इस दिन जम्मू-कश्मीर के Pulwama जिले में हुए एक आतंकी हमले में 40 सीआरपीएफ जवान शहीद हो गए थे। ये कश्मीर में 30 साल से जारी आतंकवाद के दौर का अब तक का सबसे बड़ा हमला था। यह हमला भारत के लिए एक बड़ा झटका था और इसने देश भर में आक्रोश और गुस्से की लहर पैदा कर दी थी।
हमला कैसे हुआ?
जम्मू कैंप में 2500 से ज्यादा जवान ठहरे हुए थे। उन्हें कश्मीर के अलग-अलग हिस्सों में भेजा जाना था। 14 फरवरी की सुबह सुरक्षाबलों को जम्मू के कैंप से रवाना करने का फैसला लिया गया। सुबह 3 बजे: जम्मू कैंप से 2500 जवान 78 बसों के काफिले में जम्मू से श्रीनगर के लिए रवाना हो गए।
दोपहर 2.15 बजे: श्रीनगर की ओर बढ़ रहा काफिल जम्मू-कश्मीर में काजीगुंड नामक जगह पर पहुंचा। यहां 14 गाड़ियां रुकीं, जबकि दो बसों के खराब होने की वजह से इनके 23 जवानों को दूसरी बस में शिफ्ट किया गया। इस तरह 16 गाड़ियां यहीं रुक गईं। जब काफिला आगे बढ़ा तो 16 बुलेटप्रूफ गाड़ियां इस काफिले में शामिल हो गईं। इस तरह एक बार फिर काफिले में 78 गाड़ियां शामिल हो गई थीं।
दोपहर 3.15 बजे: काफिला श्रीनगर से करीब 30 किलोमीटर दूर Pulwama जिले के लेथपोरा नामक जगह पर लाडूरा क्रॉसिंग से गुजर रहा था। तभी जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी आदिल ने विस्फोटक से भरी कार काफिले की दो बसों से भिड़ा दी। विस्फोट इतना जबरदस्त हुआ कि इसमें बस पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई और 40 जवान शहीद हो गए। जांच में पता चला कि आतंकियों ने पुलवामा के लेथपोरा नामक जगह को पहले ही चुन लिया था। इसकी वजह यह थी कि यहां चढ़ाई की वजह से गाड़ियों की स्पीड कम हो जाती है। ये जगह हमले के लिए मुफीद थी।
हमले की जिम्मेदारी
इस हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ली थी। हमलावर का नाम आदिल अहमद डार था, जो पुलवामा का ही रहने वाला था।
हमले की जाँच –
पुलवामा हमले के 6 दिन बाद 20 फरवरी को इसकी जांच नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी ने शुरू कर दी थी। करीब डेढ़ साल बाद 25 अगस्त 2020 को NIA ने 13 हजार 500 पन्नों की चार्जशीट दाखिल की। इस चार्जशीट में NIA ने आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद और उसके सरगना मसूद अजहर को मास्टरमाइंड बताया था। यह वही आतंकवादी था जिसे 1999 में भारत की सरकार के द्वारा अपहृत विमान इण्डियन एयरलाइन्स फ्लाइट IC814 के यात्रियों के बदले छोड़ दिया था।
हमले का प्रभाव
Pulwama हमले का भारत पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा। पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई और लोगों में आतंकवाद के खिलाफ गुस्सा और आक्रोश बढ़ गया। भारत सरकार ने इस हमले का कड़ा जवाब देने का फैसला किया।
भारत का जवाब
पुलवामा हमले के 12 दिन बाद, 26 फरवरी 2019 को भारतीय वायु सेना ने पाकिस्तान के बालाकोट में स्थित जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी शिविर पर हवाई हमला किया। इस हमले में बड़ी संख्या में आतंकवादी मारे गए।
पुलवामा हमले की याद
Pulwama हमले की याद में हर साल 14 फरवरी को शहीदी दिवस मनाया जाता है। इस दिन देश भर में शहीद जवानों को श्रद्धांजलि दी जाती है।
पुलवामा हमले से सीख
पुलवामा हमले ने भारत को आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में और अधिक सतर्क रहने के लिए प्रेरित किया। इस हमले के बाद भारत ने अपनी सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए कई कदम उठाए हैं।
निष्कर्ष
Pulwama हमला भारत के लिए एक त्रासदी थी। इस हमले में शहीद हुए जवानों को हम कभी नहीं भूल सकते। हमें आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई जारी रखनी होगी और इस जघन्य अपराध के लिए जिम्मेदार लोगों को सजा दिलाने के लिए हर संभव प्रयास करना होगा।
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