Thorium based Nuclear Reactors
संदर्भ:
चीन ने परमाणु तकनीक के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है। देश ने दुनिया की पहली बार एक चालू 2 मेगावाट थोरियम-ईंधन वाले मोल्टन सॉल्ट रिएक्टर को बिना बंद किए सफलतापूर्वक फिर से ईंधन से भरने में सफलता पाई है। यह उपलब्धि परमाणु नवाचार में चीन की अग्रणी भूमिका को दर्शाती है।
थोरियम आधारित न्यूक्लियर रिएक्टर: भविष्य की सुरक्षित और कुशल ऊर्जा तकनीक:
थोरियम की प्रकृति:
- थोरियम-232 एक फर्टाइल सामग्री है, जो सीधे विखंडन योग्य नहीं होती।
- इसे न्यूट्रॉन अवशोषित कर यूरेनियम–233 में परिवर्तित करना होता है, जो एक फिशाइल (विखंडन योग्य) तत्व है।
ऊष्मा उत्पादन की प्रक्रिया: जब थोरियम-232 को रिएक्टर में न्यूट्रॉन विकिरण के संपर्क में लाया जाता है, तो यह यूरेनियम-233 में बदलकर ऊष्मा उत्पन्न करता है, जिससे बिजली बनाई जाती है।
कूलेंट: पिघला हुआ लवण (Molten Salt):
- चीन जैसे देश फ्लोराइड–आधारित पिघले लवण का उपयोग करते हैं, जो लगभग 450°C तापमान पर तरल बनते हैं।
- यह लवण रिएक्टर कोर से ऊष्मा को हटाने वाले कूलेंट का काम करते हैं।
ईंधन स्वरूप में भिन्नता: पारंपरिक न्यूक्लियर रिएक्टरों में ठोस ईंधन रॉड होते हैं, जबकि मोल्टन सॉल्ट रिएक्टर में थोरियम को पिघले हुए लवण में घोल कर सीधे रिएक्टर कोर में डाला जाता है।
ऊंचा तापमान, अधिक दक्षता: मोल्टन सॉल्ट रिएक्टर पारंपरिक लाइट वॉटर रिएक्टरों की तुलना में कहीं अधिक तापमान पर काम करते हैं, जिससे विद्युत उत्पादन अधिक कुशल बनता है।
चीन में थोरियम रिएक्टर की प्रगति:
- स्थान और प्रारंभ: चीन ने गॉबी मरुस्थल (मंगोलिया सीमा के पास) में 2 मेगावाट क्षमता वाला एक प्रयोगात्मक थोरियम न्यूक्लियर रिएक्टर विकसित किया है, जो 2024 से परिचालन में है।
- भविष्य की योजना: चीन 2030 तक 10 मेगावाट का वाणिज्यिक थोरियम रिएक्टर विकसित करने की योजना पर काम कर रहा है।
- वैज्ञानिक उपलब्धि: चीन अब थोरियम आधारित ईंधन ब्रीडिंग और मोल्टन-सॉल्ट रिएक्टर तकनीक दोनों में वैश्विक नेतृत्व की ओर अग्रसर है।
भारत में थोरियम रिएक्टर की योजना:
- थोरियम भंडार: भारत के पास दुनिया का सबसे बड़ा थोरियम भंडार (लगभग 10 लाख टन) है, जो मोनाजाइट युक्त तटीय रेत में पाया जाता है।
- तीन–चरणीय परमाणु कार्यक्रम: भारत के तीन-चरणीय परमाणु कार्यक्रम की परिकल्पना प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ. होमी भाभा ने की थी:
- पहला चरण: प्राकृतिक यूरेनियम और भारी जल रिएक्टर
- दूसरा चरण: फास्ट ब्रीडर रिएक्टर, जो 2024 में शुरू हुआ
- तीसरा चरण: थोरियम आधारित रिएक्टर, जो भविष्य में लागू किया जाएगा।
थोरियम आधारित रिएक्टरों के लाभ:
- कम रेडियोधर्मी अपशिष्ट
- यूरेनियम की तुलना में सस्ता और अधिक ईंधन-कुशल
- अधिक सुरक्षित संचालन
- परमाणु हथियारों के प्रसार का कम जोखिम
- जलस्रोतों के पास स्थापित करने की आवश्यकता नहीं