Sutlej-Yamuna Link
संदर्भ:
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने सतलुज–यमुना लिंक (SYL) नहर के निर्माण हेतु अधिग्रहित भूमि को डिनोटिफाई करने के पंजाब सरकार के निर्णय को “मनमानी पूर्ण कृत्य” करार दिया है।
सतलुज–यमुना लिंक (SYL) नहर विवाद–
- परिचय:
- सतलुज-यमुना लिंक (SYL) नहर एक निर्माणाधीन नहर है, जो सतलुज और यमुना नदियों को जोड़ने के लिए बनाई जा रही है।
- यह नहर पंजाब से हरियाणा तक पानी पहुंचाने के उद्देश्य से बनाई जा रही है।
- यह विवाद रवि–ब्यास नदी जल वितरण को लेकर दशकों से चला आ रहा है।
- विवाद की पृष्ठभूमि:
- विवाद की उत्पत्ति 1966 में पंजाब के पुनर्गठन के बाद हुई, जब पंजाब से अलग होकर हरियाणा राज्य का गठन हुआ।
- पुनर्गठन के बाद, पंजाब ने रवि और ब्यास नदियों का जल हरियाणा के साथ साझा करने से इनकार कर दिया।
- नदी ब्यास, पंजाब में सतलुज नदी से मिलती है।
- इस नहर का उद्देश्य हरियाणा को सतलुज और इसकी सहायक नदी ब्यास का जल उपयोग करने में सक्षम बनाना है।
- जल वितरण विवाद:
- 1955 में पुनर्गठन से पहले: रवि और ब्यास का कुल जल: 85 MAF
- आवंटन:
- राजस्थान: 8 MAF
- अविभाजित पंजाब: 20 MAF
- जम्मू-कश्मीर: 65 MAF
- 1976 में पुनर्गठन के बाद: केंद्र सरकार ने 5 MAF जल हरियाणा को आवंटित किया।
- आवंटन:
1981 में पुनर्निर्धारित जल प्रवाह:
- कुल जल: 17 MAF
- आवंटन:
- पंजाब: 22 MAF
- हरियाणा: 5 MAF
- राजस्थान: 6 MAF
- SYL नहर का निर्माण:
- लंबाई: कुल 212 किमी
- पंजाब से: 122 किमी
- हरियाणा से: 90 किमी
- हरियाणा ने अपनी नहर का निर्माण पूरा कर लिया है, जबकि पंजाब ने तीन दशकों से निर्माण को टाला हुआ है।
- 2002 और 2004 में सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब में नहर के निर्माण का आदेश दिया।
- 2004 में पंजाब विधानसभा ने एक कानून पारित किया, जिसमें सभी अंतर्राज्यीय जल साझा समझौतों को अमान्य घोषित कर दिया।
- 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब के इस कानून को अवैध और रद्द कर दिया।
- विवाद के प्रमुख कारण:
- पानी का बंटवारा: पंजाब का तर्क है कि राज्य में पानी की कमी है और जल का बंटवारा अनुचित है।
- कृषि और सिंचाई: पंजाब का मानना है कि हरियाणा को जल देने से स्थानीय कृषि प्रभावित होगी।
- संवैधानिक प्रश्न: पंजाब का दावा है कि जल का अधिकार राज्य का विषय है और केंद्र का हस्तक्षेप अनुचित है।
- कानूनी स्थिति:
- सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि पंजाब का कानून असंवैधानिक है और SYL नहर का निर्माण अपरिहार्य है।
- पंजाब और हरियाणा के बीच राजनीतिक असहमति के कारण नहर निर्माण अधूरा है।
- संभावित समाधान:
- केंद्र सरकार द्वारा मध्यस्थता और दोनों राज्यों के बीच संवाद की पहल।
- जल वितरण को लेकर नए समझौते का प्रयास।
- नहर के निर्माण में केंद्र का हस्तक्षेप और न्यायालय के आदेश का पालन।