Semiconductor Unit in Uttar Pradesh
संदर्भ:
कैबिनेट ने उत्तर प्रदेश के जेवर में एचसीएल–फॉक्सकॉन सेमीकंडक्टर संयुक्त उपक्रम (JV) को मंजूरी दी है, जिसकी लागत ₹3,706 करोड़ होगी।
एचसीएल–फॉक्सकॉन सेमीकंडक्टर परियोजना के मुख्य बिंदु:
- संयुक्त उपक्रम: एचसीएल और फॉक्सकॉन का जॉइंट वेंचर है।
- स्थान: यह प्लांट यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (YEIDA) क्षेत्र में, जेवर एयरपोर्ट के पास स्थापित किया जाएगा।
- निवेश: परियोजना में ₹3,700 करोड़ का निवेश होगा।
- उत्पादन:
- हर महीने 20,000 वेफर्स की उत्पादन क्षमता।
- 36 मिलियन यूनिट प्रति माह का डिज़ाइन आउटपुट।
- उत्पाद: मोबाइल फोन, लैपटॉप, ऑटोमोबाइल, पीसी आदि के लिए डिस्प्ले ड्राइवर चिप्स का निर्माण किया जाएगा।
- रोजगार: परियोजना से लगभग 2,000 नौकरियां सृजित होने की संभावना है।
सेमीकंडक्टर (अर्धचालक) क्या है?
- सेमीकंडक्टर, जिन्हें सामान्यतः ‘चिप्स’ भी कहा जाता है, अत्यंत जटिल उत्पाद होते हैं जो इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को डेटा प्रोसेस, संग्रह और ट्रांसमिट करने की आवश्यक कार्यक्षमता प्रदान करते हैं।
- ये चिप्स सिलिकॉन के एक वाफर शीट पर ट्रांजिस्टर, डायोड, कैपेसिटर और रेसिस्टर के इंटरेकनेक्शन से बने होते हैं।
भारत का बढ़ता हुआ सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम:
- बाजार का विस्तार: भारत का सेमीकंडक्टर बाजार 2019 में 22 अरब डॉलर से बढ़कर 2030 तक 110 अरब डॉलर तक पहुँचने की उम्मीद है, जो वैश्विक खपत का लगभग 10% है।
- स्थानीय सोर्सिंग में वृद्धि: 2021 में केवल 9% सेमीकंडक्टर घटक स्थानीय स्तर पर sourced थे, इसे 2026 तक 17% करने का लक्ष्य है।
- मजबूत अनुसंधान एवं विकास और डिज़ाइन: भारत के पास विश्व के लगभग 20% सेमीकंडक्टर डिज़ाइन इंजीनियर हैं, और हर साल लगभग 3,000 इंटीग्रेटेड सर्किट (ICs) डिज़ाइन करता है।
- नोड श्रिंकिंग (प्रौद्योगिकी नोड्स): 7nm, 5nm, 3nm, 2nm जैसे छोटे नोड्स से चिप निर्माण होता है, जो निम्न लाभ देते हैं:
- अधिक ट्रांजिस्टर घनत्व
- कम पावर खपत
- तेज़ प्रोसेसिंग स्पीड
भारत के लिए सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम को प्राथमिकता देने के कारण:
- व्यापार घाटा और सप्लाई चेन निर्भरता कम करना: भारत ने 2024 में सेमीकंडक्टर आयात में ₹1.71 लाख करोड़ का व्यापार किया, जिसमें लगभग 38% चिप्स चीन से आयातित थे।
- आर्थिक गुणक प्रभाव: एक सेमीकंडक्टर क्षेत्र में नौकरी अन्य 16 नौकरियों का समर्थन कर सकती है (16 गुना)।
- स्पिलोवर और “लर्निंग–बाय–डूइंग” प्रभाव: रोबोटिक्स, प्रिसिजन टूल्स और उन्नत इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे क्षेत्रों में भारत की क्षमताओं को बढ़ावा मिलता है।
सेमीकंडक्टर उद्योग के लिए पहलें:
- इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन (ISM):
भारत में एक मजबूत सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले इकोसिस्टम का निर्माण करना, जिससे भारत को वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण और डिज़ाइन हब के रूप में स्थापित किया जा सके। यह मिशन सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले योजनाओं के कुशल और सहज कार्यान्वयन के लिए nodal एजेंसी भी है। - प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना:
सेमीकंडक्टर डिज़ाइन और पैकेजिंग के लिए प्रोत्साहन प्रदान किया जा रहा है ताकि स्थानीय उत्पादन बढ़ाया जा सके। - QUAD सेमीकंडक्टर सप्लाई चेन पहल:
सेमीकंडक्टर और उसके महत्वपूर्ण घटकों की क्षमता का आकलन, कमजोरियों की पहचान और सप्लाई चेन सुरक्षा को मजबूत करने के उद्देश्य से यह पहल की जा रही है।