India bans Bangladeshi exports from all land ports
संदर्भ:
भारत ने बांग्लादेश द्वारा भारतीय वस्तुओं पर लगाए गए व्यापारिक प्रतिबंधों के जवाब में स्थलीय बंदरगाहों के माध्यम से बांग्लादेशी निर्यात पर रोक लगा दी है। यह कदम स्थानीय उद्योगों को बढ़ावा देने, कूटनीतिक असंतोष दर्शाने और क्षेत्रीय संपर्क के लिए बांग्लादेश पर निर्भरता घटाने की रणनीति का हिस्सा है।
- राष्ट्रीय राजमार्ग-6 और कालादान परियोजना जैसे प्रमुख अवसंरचनात्मक विकल्प पूर्वोत्तर भारत के लिए वैकल्पिक व्यापार मार्ग प्रदान करते हैं।
(India bans Bangladeshi exports from all land ports) भारत ने बांग्लादेशी निर्यात पर भूमि बंदरगाहों से लगाई रोक–
- प्रमुख पहल: वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अधीन विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) ने एक अधिसूचना जारी कर बांग्लादेश से रेडीमेड वस्त्र (RMG) के भूमि बंदरगाहों के माध्यम से आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है।
- नए नियम: अब ये वस्त्र केवल दो समुद्री बंदरगाहों—कोलकाता और न्हावा शेवा (मुंबई)—से ही आ सकते हैं, जहाँ उनकी अनिवार्य जांच की जाएगी।
- अन्य प्रतिबंधित वस्तुएं: प्लास्टिक उत्पाद, लकड़ी का फर्नीचर, जूस, कोल्ड ड्रिंक्स, बेकरी और कन्फेक्शनरी सामान, कॉटन यार्न, डाई आदि को भी असम, मेघालय, त्रिपुरा, मिजोरम और पश्चिम बंगाल (फुलबाड़ी व चांगराबंधा) के विशेष भूमि बंदरगाहों से आयात पर रोक दी गई है।
- कारण:
- स्थानीय उद्योगों की सुरक्षा
- बांग्लादेश द्वारा भारतीय वस्तुओं पर व्यापारिक रुकावटों का जवाब
- पूर्वोत्तर भारत के लिए वैकल्पिक संपर्क मार्ग (NH-6, कालादान प्रोजेक्ट) को सक्रिय करना
भारत ने ये प्रतिबंध क्यों लगाए ? —
बांग्लादेश के व्यापार प्रतिबंधों के जवाब में–
- अप्रैल 2025 में बांग्लादेश ने भारत से आने वाले सामानों पर पाबंदियां लगाईं।
- भारत से बांग्लादेश को भूमि मार्ग से यार्न (सुतली) निर्यात पर रोक लगाई, जिससे भारत को महंगे समुद्री मार्ग से सामान भेजना पड़ा।
- पश्चिम बंगाल के हिली और बेनापोल इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट से चावल निर्यात भी बंद कर दिया।
- ये कदम भारत के व्यापारियों के लिए नुकसानदेह रहे क्योंकि भूमि मार्ग तेज और सस्ता होता है।
- भारत ने बांग्लादेशी सामानों पर प्रतिबंध लगाकर व्यापार में निष्पक्षता बहाल करने का प्रयास किया।
स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा देना–
- प्रतिबंध खासकर उन वस्तुओं पर लगाए गए हैं जो पूर्वोत्तर के राज्यों जैसे असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम में बनती हैं, जैसे कपड़े, फर्नीचर और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ।
- सस्ते बांग्लादेशी आयात को रोककर भारत अपने घरेलू उद्योगों को “आत्मनिर्भर भारत” योजना के तहत बढ़ावा देना चाहता है।
- वर्षों से बांग्लादेश को पूर्वोत्तर के बाजारों में आसान पहुंच मिलती रही, जबकि भारतीय वस्तुओं को बांग्लादेश में उच्च पारगमन लागत और बाधाओं का सामना करना पड़ता था।
- ये कदम पूर्वोत्तर की आर्थिक वृद्धि और क्षेत्रीय विकास के लिए समान अवसर प्रदान करने के लिए हैं।
हाल की घटनाएँ —
- बांग्लादेश दक्षिण एशिया में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार था, FY 2022-23 में द्विपक्षीय व्यापार $18 बिलियन था।
- भारत-बांग्लादेश के बीच राजनीतिक और आर्थिक तनाव बढ़ रहे हैं, जो निम्न घटनाओं से स्पष्ट है:
- ट्रांसशिपमेंट सुविधा का समापन: भारत ने बांग्लादेश के लिए ट्रांसशिपमेंट सुविधा बंद कर दी, जो बांग्लादेश से तीसरे देशों (जैसे भूटान, नेपाल, म्यांमार) को सामान भारतीय भूमि सीमा चौकियों से होते हुए भारतीय बंदरगाहों और हवाई अड्डों से निर्यात करने की अनुमति देती थी।
- यह व्यवस्था 2020 में शुरू हुई थी।
- बांग्लादेश का भारत से यार्न (सुतली) निर्यात पर बंदिश: बांग्लादेश ने भूमि मार्ग से यार्न निर्यात पर पाबंदी लगाई और इसे केवल समुद्री बंदरगाहों के जरिए करने दिया।
- भारत का बांग्लादेशी तैयार वस्त्रों (Ready-made garments) के आयात पर प्रतिबंध: भारत ने सभी श्रेणियों के बांग्लादेशी तैयार वस्त्रों के आयात पर भूमि सीमा चौकियों (LCS) और इंटीग्रेटेड चेक पोस्ट (ICP) के माध्यम से प्रतिबंध लगा दिया।
निष्कर्ष: द्विपक्षीय व्यापार के महत्वपूर्ण रिश्ते के बावजूद, राजनीतिक और आर्थिक तनाव के कारण भारत-बांग्लादेश के बीच व्यापारिक नियमों में कड़ाई आई है, जिसमें दोनों पक्षों ने एक-दूसरे के निर्यात-आयात पर पाबंदियां लगाईं हैं। यह क्षेत्रीय व्यापार और कूटनीति के दृष्टिकोण से अहम मुद्दा है।