RIC Format
संदर्भ:
साल 2020 के बाद पहली बार, रूस ने खुलकर रूस–भारत–चीन (RIC) त्रिपक्षीय मंच को पुनर्जीवित करने की आवश्यकता पर बल दिया है। यह पहल तीनों एशियाई महाशक्तियों के बीच सहयोग और संवाद को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण संकेत मानी जा रही है।
(RIC Format) RIC प्रारूप क्या है?
- परिभाषा: RIC प्रारूप रूस, भारत और चीन का त्रिपक्षीय समूह है।
- शुरुआत: इसे रूस के पूर्व प्रधानमंत्री येवगेनी प्रिमाकोव ने बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था को बढ़ावा देने के उद्देश्य से प्रस्तावित किया था।
- उद्देश्य: तीनों एशियाई शक्तियों के बीच विदेश नीति, व्यापार, अर्थव्यवस्था और सुरक्षा के क्षेत्रों में संवाद और सहयोग को प्रोत्साहित करना।
- गतिविधियां: अब तक RIC ने विभिन्न स्तरों पर 20 से अधिक बैठकें आयोजित की हैं, जिनमें विदेश मंत्री, व्यापार अधिकारी, आर्थिक एजेंसियां और सुरक्षा विशेषज्ञ शामिल रहे।
- वर्तमान स्थिति: 2020 में गलवान घाटी संघर्ष के बाद भारत-चीन संबंधों में तनाव बढ़ने के कारण यह मंच अस्थायी रूप से निष्क्रिय हो गया।
रूस द्वारा RIC प्रारूप को पुनर्जीवित करने के कारण–
- भारत–चीन तनाव कम करना: रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा है कि सीमा तनाव में कमी के संकेत RIC पुनर्जीवन के लिए अनुकूल हैं।
- पश्चिमी प्रभाव का मुकाबला: रूस NATO और Quad जैसे पश्चिमी गठबंधनों के बढ़ते प्रभाव को क्षेत्रीय स्थिरता के लिए खतरा मानता है।
- यूरेशियाई सुरक्षा ढांचे को मजबूत करना: रूस एक समान और संतुलित सुरक्षा प्रणाली को बढ़ावा देना चाहता है जो पश्चिमी संस्थाओं पर निर्भरता को घटाए।
RIC प्रारूप का महत्व–
- भौगोलिक और आर्थिक आयाम:
- ये तीनों देश मिलकर विश्व के 19% भूभाग और 33% वैश्विक GDP में योगदान करते हैं।
- सभी BRICS, G20 और SCO जैसे प्रमुख समूहों के सदस्य हैं।
- बहुपक्षीयता और बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था का समर्थन:
- RIC एक गैर-पश्चिमी दृष्टिकोण से वैश्विक मुद्दों पर प्रभावशाली मंच प्रदान करता है।
- रूस और चीन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य होने से RIC को कूटनीतिक बढ़त मिलती है।
- यूरेशियन एकीकरण और संपर्क:
- अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारा (INSTC) और यूरेशियन आर्थिक संघ (EAEU) जैसे क्षेत्रीय संपर्क परियोजनाओं में सहायक हो सकता है।
- इससे यूरेशिया क्षेत्र में स्थिरता और व्यापारिक एकीकरण को बढ़ावा मिलेगा।
चुनौतियां–
- भारत–चीन सीमा विवाद: सीमा विवाद अभी भी पूरी तरह से सुलझे नहीं हैं, जिससे पारस्परिक विश्वास की कमी बनी हुई है।
- भारत की रणनीतिक संतुलन नीति: Quad और पश्चिमी देशों के साथ भारत की गहराती साझेदारी, RIC और पश्चिमी ब्लॉकों के बीच संतुलन साधने को चुनौतीपूर्ण बना सकती है।
- रूस–चीन समीपता: यूक्रेन युद्ध के बाद रूस का चीन के प्रति झुकाव भारत के लिए चिंता का कारण बन सकता है, जिससे RIC मंच की निष्पक्षता पर सवाल उठ सकते हैं।