PMSMA
संदर्भ:
प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (PMSMA) ने हाल ही में अपनी नौवीं वर्षगांठ पूरी की है। यह अभियान इस सिद्धांत पर आधारित है कि यदि हर गर्भवती महिला की कम से कम एक बार डॉक्टर द्वारा PMSMA के दौरान जांच की जाए, तो इससे मातृ और शिशु मृत्यु दर में उल्लेखनीय कमी लाई जा सकती है।
प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (PMSMA)
- शुभारंभ: जून 2016 में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया।
- उद्देश्य: सभी गर्भवती महिलाओं को निशुल्क, भरोसेमंद और गुणवत्तापूर्ण गर्भावस्था पूर्व देखभाल (ANC) सेवाएं प्रदान करना।
- सेवा दिवस: हर महीने की 9 तारीख को विशेष रूप से दूसरी और तीसरी तिमाही में गर्भवती महिलाओं के लिए।
- संबद्ध रणनीति: यह अभियान राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के अंतर्गत प्रजनन, मातृ, नवजात, शिशु, किशोर स्वास्थ्य + पोषण (RMNCAH+N) रणनीति से जुड़ा है।
- प्रमुख उपलब्धि:
- भारत का मातृ मृत्यु अनुपात (MMR) 2014-16 में 130 प्रति लाख जीवित जन्म से घटकर 2021-23 में 80 प्रति लाख हो गया — 50 अंकों की उल्लेखनीय गिरावट।
Extended PMSMA (E-PMSMA): उच्च जोखिम गर्भवती महिलाओं की सुरक्षित डिलीवरी तक निगरानी
शुभारंभ: 2022 में शुरू किया गया, प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (PMSMA) का विस्तारित संस्करण।
उद्देश्य:
- उच्च जोखिम वाली गर्भवती महिलाओं (High-Risk Pregnant – HRP) की पहचान कर, उन्हें सुरक्षित डिलीवरी तक नज़रबंदी और ट्रैकिंग सुनिश्चित करना।
- आर्थिक प्रोत्साहन के माध्यम से सेवाओं तक पहुँच बढ़ाना।
मुख्य विशेषताएं:
- नाम–आधारित लाइन लिस्टिंग: हर HRP महिला का नाम दर्ज कर सूचीबद्ध किया जाता है।
- अतिरिक्त PMSMA सत्र: महीने में अधिकतम 4 बार सत्र आयोजित किए जा सकते हैं।
- व्यक्तिगत ट्रैकिंग: डिलीवरी के 45वें दिन तक हर HRP महिला की निगरानी की जाती है।
- SMS अलर्ट प्रणाली: HRP महिला और संबंधित आशा कार्यकर्ता को पंजीकरण और फॉलोअप विज़िट्स के लिए SMS द्वारा सूचना भेजी जाती है।
निष्कर्ष: प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (पीएमएसएमए) मातृ स्वास्थ्य के लिए एक लक्षित और संरचित दृष्टिकोण का प्रतिनिधित्व करता है।