Wildlife (Protection) Act 1972
Wildlife (Protection) Act 1972 –
संदर्भ:
केरल सरकार ने हाल ही में केंद्र सरकार को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 (Wildlife Protection Act, 1972) में संशोधन का प्रस्ताव भेजा है। इस प्रस्ताव का उद्देश्य राज्य को ऐसे जंगली जानवरों को मारने की अनुमति देना है जो मानव जीवन और संपत्ति के लिए खतरा बनते जा रहे हैं। यह कदम राज्य में लगातार बढ़ रहे मानव-वन्यजीव संघर्ष की गंभीरता को देखते हुए उठाया गया है।
वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972: प्रमुख बिंदु
- उद्देश्य: देश के वन्य जीवों, पक्षियों और पौधों की प्रजातियों की रक्षा करना, जिससे पर्यावरणीय और पारिस्थितिकीय सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
- मुख्य प्रावधान:
- अधिनियम के अंतर्गत सूचीबद्ध प्रजातियों के संरक्षण की व्यवस्था की गई है (जानवर, पक्षी, पौधे)।
- पारिस्थितिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्रों की एक नेटवर्क प्रणाली स्थापित की जाती है।
- संरक्षित क्षेत्र (Protected Areas): अधिनियम के तहत विभिन्न प्रकार के संरक्षित क्षेत्रों की स्थापना की जाती है, जैसे:
- वन्यजीव अभयारण्य (Wildlife Sanctuaries)
- राष्ट्रीय उद्यान (National Parks)
- अभयारण्य, आरक्षित क्षेत्र, संरक्षण रिज़र्व आदि।
- महत्त्व: यह अधिनियम भारत में जैव विविधता के संरक्षण के लिए एक मील का पत्थर है और वन्यजीवों के शिकार, अवैध व्यापार, और उनके आवासों के विनाश को रोकने में सहायक है।
केरल की केंद्र सरकार से मांगें: वन्यजीव संरक्षण संबंधी सुधार
- वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 में संशोधन की मांग:
“आदमीखोर” या खतरनाक जंगली जानवरों को मारने की अनुमति तेजी से और सरल प्रक्रिया के साथ दी जाए, ताकि जान-माल की हानि रोकी जा सके। - जंगली सूअर (Wild Boars) को “हानिकारक जीव” घोषित करने की मांग:
अधिनियम की धारा 62 के तहत इन्हें वर्मिन घोषित किया जाए, जिससे निर्धारित क्षेत्रों में सीमित समय के लिए इनके शिकार की अनुमति दी जा सके। - बॉनेट मकाक (Bonnet Macaques) को अनुसूची–I से हटाने की मांग:
इससे वन्यजीव अधिकारी इन बंदरों को पकड़ने, हटाने या स्थानांतरित करने जैसे प्रत्यक्ष कदम आसानी से उठा सकेंगे।
मानव–वन्यजीव संघर्ष में वृद्धि: केरल की चिंताएं
- मुख्य कारण: मानव–वन्यजीव संघर्ष का बढ़ना
केरल में हाथियों और जंगली सूअरों के कारण मानव-वन्यजीव संघर्ष के मामले तेजी से बढ़े हैं, जिससे जीवन और फसलों को भारी नुकसान हुआ है। - आधिकारिक आंकड़े (2022–23):
- कुल 8,873 वन्यजीव हमले दर्ज हुए।
इनमें से 4,193 हाथियों और 1,524 जंगली सूअरों द्वारा किए गए। - इन घटनाओं में 98 लोगों की मृत्यु और काफी मात्रा में फसल क्षति हुई।
- कुल 8,873 वन्यजीव हमले दर्ज हुए।
- जंगली सूअरों का आतंक:
- 2017 से 2023 के बीच 20,957 फसलों को नुकसान पहुँचाने की घटनाएं दर्ज हुईं।
- सूअर खासकर फलों, सब्ज़ियों और धान की फसलों को नष्ट करते हैं, जिससे किसान आर्थिक रूप से प्रभावित हो रहे हैं।
चिंताएं:
- पारिस्थितिकी तंत्र में असंतुलन की आशंका
- अन्य निर्दोष प्रजातियों के फँसने या मारे जाने का खतरा
- जनसंख्या, फसल क्षति और संघर्ष क्षेत्रों से जुड़े आंकड़ों की गंभीर कमी
- वन्यजीवों के जीवन के अधिकार और नैतिकता पर सवाल
- कुछ प्रजातियों को ‘हानिकारक’ घोषित करने से होने वाला भेदभावपूर्ण व्यवहार
क्रूर या अमानवीय तरीकों से शिकार करने पर पशु कल्याण नियमों का उल्लंघन