Israel–Iran conflict
Israel–Iran conflict –
संदर्भ:
13 जून 2025 को, इज़राइल ने “ऑपरेशन राइजिंग लायन” (Operation Rising Lion) नामक एक गुप्त अभियान के तहत ईरान के दर्जनों शहरों और ठिकानों पर व्यापक सैन्य हमले किए। यह कदम IAEA द्वारा ईरान पर परमाणु सुरक्षा समझौते का उल्लंघन करने का आरोप लगाये जाने के तुरंत बाद उठाया गया है।
- इस अभियान में इज़राइली रक्षा बलों (IDF) और खुफिया एजेंसी मोसाद ने मिलकर ईरान के प्रमुख परमाणु स्थलों और सैन्य ठिकानों को गंभीर नुकसान पहुँचाया।जिसके जबाब में ईरान ने इजरायल पर जवाबी हमले शुरू कर दिया।
- दोनों देशों के बीच यह संघर्ष वैश्विक शांति के लिए खतरा दिख रहा है।
इज़राइल और ईरान के बीच हालिया टकराव के पीछे कारण–
- IAEA का प्रस्ताव:
- अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के बोर्ड ने ईरान को 1974 के सेफगार्ड समझौते का उल्लंघनकर्ता घोषित किया।
- यह निर्णय ईरान की कुछ अघोषित साइटों पर उच्च स्तर का समृद्ध यूरेनियम मिलने के बाद लिया गया।
- परमाणु वार्ता का विफल होना:
- ओमान में अमेरिका और ईरान के बीच हुई परमाणु वार्ताएं यूरेनियम संवर्धन के मुद्दे पर गतिरोध के कारण विफल रहीं।
- इज़राइल ने इसे तेहरान द्वारा एक राजनयिक अवसर के रूप में उपयोग करने की रणनीति माना।
- सैन्य रणनीति में बदलाव:
- इज़राइल का मानना है कि ईरान समर्थित गुटों पर हमला अब प्रभावी नहीं रहा।
- इसलिए उसने सीधे तेहरान पर हमला करने का निर्णय लिया, जिससे मुख्य स्रोत को निशाना बनाया जा सके।
- इज़राइल की आंतरिक राजनीति:
- प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू घरेलू राजनीतिक दबाव में हैं।
- उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा संकट का उपयोग कर चुनावों से बचने और सत्ता पर पकड़ मजबूत करने की रणनीति अपनाई।
- रणनीतिक समय–निर्धारण:
- इज़राइल ने यह कार्रवाई 18 अक्टूबर से पहले की, जब ईरान पर लगे परमाणु प्रतिबंध समाप्त होने वाले थे।
- इसका उद्देश्य पश्चिमी देशों द्वारा ईरान के साथ संभावित कूटनीतिक पुनःसंपर्क को कमजोर करना हो सकता है।
Israel-Iran संघर्ष के संभावित प्रभाव:
क्षेत्रीय सुरक्षा:
- प्रॉक्सी युद्ध का विस्तार: ईरान समर्थित समूह (हिज़बुल्लाह, हमास, हौथी, पीएमएफ) कई मोर्चों पर हमला तेज कर सकते हैं।
- कमज़ोर देशों की अस्थिरता: लेबनान, इराक, सीरिया और यमन में हिंसा, राजनीतिक पतन और मानवीय संकट की आशंका।
समुद्री व ऊर्जा जोखिम:
- समुद्री मार्गों की असुरक्षा: स्ट्रेट ऑफ होर्मुज़, बाब-अल-मंदब और पूर्वी भूमध्यसागर जैसे अहम मार्गों पर खतरा बढ़ेगा।
- तेल की कीमतों में उछाल: यदि युद्ध ने ईरान के तेल निर्यात को रोका, तो वैश्विक महंगाई और ऊर्जा संकट गहरा सकता है।
भारत पर प्रभाव (Impact on India):
- तेल आपूर्ति पर खतरा: भारत की 60% से अधिक कच्चे तेल की जरूरत पश्चिम एशिया से पूरी होती है—विघटन से आर्थिक दबाव और महंगाई बढ़ेगी।
- प्रवासी भारतीयों की सुरक्षा: खाड़ी देशों में रह रहे करोड़ों भारतीयों को खतरा—निकासी और रेमिटेंस पर असर।
- कूटनीतिक संतुलन: भारत को ईरान, इज़राइल और अरब देशों के साथ संतुलन बनाए रखना होगा—युद्ध की स्थिति में विदेश नीति चुनौतीपूर्ण होगी।