2026 as ‘International Year of Women Farmers’
2026 as ‘International Year of Women Farmers’
संदर्भ:
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 2026 को ‘अंतरराष्ट्रीय महिला किसान वर्ष‘ (International Year of the Woman Farmer) के रूप में घोषित किया है। इस प्रस्ताव का उद्देश्य वैश्विक कृषि में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका को सम्मान देना और उनके सामने आने वाली चुनौतियों—जैसे संपत्ति के अधिकार, बाजार तक पहुंच और संसाधनों की उपलब्धता—के प्रति जागरूकता बढ़ाना है। यह वर्ष महिला किसानों के सशक्तिकरण और उन्हें नीति निर्धारण में उचित स्थान दिलाने की दिशा में एक अहम पहल माना जा रहा है।
कृषि क्षेत्र में महिलाएं: प्रमुख तथ्य और आंकड़े
- वैश्विक परिप्रेक्ष्य: विकासशील देशों में 60–80% खाद्य उत्पादन में महिलाएं योगदान देती हैं।
- दक्षिण एशिया: कृषि श्रम बल का लगभग 39% हिस्सा महिलाएं हैं।
- भारत:
- भारत में लगभग 80% आर्थिक रूप से सक्रिय महिलाएं कृषि क्षेत्र में कार्यरत हैं।
- आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS) 2023–24 के अनुसार, भारत की कृषि कार्यबल का4% हिस्सा महिलाएं हैं।
कृषि क्षेत्र में महिलाओं को होने वाली प्रमुख चुनौतियाँ:
- भूमि स्वामित्व में लैंगिक असमानता: भारत में केवल 14% भूमि स्वामी महिलाएं हैं, जबकि कृषि कार्यबल में उनका योगदान 80% तक है।
- वित्तीय संसाधनों तक सीमित पहुँच: महिलाओं को ऋण, वित्तीय संस्थाओं, और कृषि तकनीक तक सीमित पहुँच प्राप्त होती है, जिससे निवेश व नवाचार प्रभावित होते हैं।
- जलवायु परिवर्तन से बढ़ती असुरक्षाएं: जलवायु परिवर्तन महिलाओं की घरेलू जिम्मेदारियों और कृषि जोखिमों को और अधिक बढ़ा देता है।
सरकारी व संगठनों द्वारा समर्थन–
- महिला किसान सशक्तिकरण परियोजना और कृषि यंत्रीकरण उप–मिशन: महिलाओं को कृषि उपकरणों के लिए प्रशिक्षण व सब्सिडी प्रदान करते हैं।
- राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (NFSM): कुल बजट का 30% हिस्सा महिला किसानों के लिए आरक्षित है।
- ENACT परियोजना, असम: जलवायु जानकारी प्रदान कर महिलाओं को निर्णय लेने में सक्षम बनाती है और लचीलापन बढ़ाने में मदद करती है।
नवोन्मेषी परियोजनाएं व पहलें–
- ENACT परियोजना (नागांव जिला): 300+ महिला किसानों को साप्ताहिक कृषि और जलवायु परामर्श तकनीक के माध्यम से दिया जाता है।
- जलवायु अनुकूलन सूचना केंद्र: वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग और बैठकें आयोजित कर कृषि व आजीविका से जुड़ी जानकारी पहुँचाई जाती है।
- बाढ़–प्रतिरोधी धान किस्मों का प्रचार, आजीविका विविधीकरण, और बाजार से जोड़ना जैसे प्रयास फसल क्षति को कम करने में सहायक हैं।
नीतिगत सुझाव:
- लैंगिक दृष्टिकोण से युक्त नीतियाँ तैयार करें: महिला किसानों की ज़रूरतों को समझने हेतु सूक्ष्म स्तर के आंकड़ों का उपयोग हो।
- वित्त व जानकारी तक पहुंच बढ़ाएं: महिला स्वयं सहायता समूहों और सामूहिक प्रयासों को समर्थन दें।
- 2026 को ‘अंतरराष्ट्रीय महिला किसान वर्ष’ के रूप में मनाना: यह महिला किसानों के सशक्तिकरण और लचीली कृषि विकास को बढ़ावा देने का एक ऐतिहासिक अवसर है।