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भारत में इस्पात उद्योग (Steel Industry in India) | UPSC

Steel Industry in India

Steel Industry in India

Steel Industry in India – 

संदर्भ:

हाल ही में इस्पात मंत्रालय (Ministry of Steel) ने भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) की गुणवत्ता संबंधी मानकों को स्टील के कच्चे माल और आयात पर भी लागू कर दिया है। खास बात यह रही कि उद्योग से जुड़े पक्षों को इन नए नियमों के अनुपालन के लिए मात्र एक कार्य दिवस से भी कम समय दिया गया, जिससे उद्योग में अचानक चिंता और भ्रम की स्थिति पैदा हो गई है।

भारत का स्टील क्षेत्र (India’s Steel Sector)

महत्वपूर्ण भूमिका (Significance):

  • स्टील औद्योगिकीकरण का एक प्रमुख स्तंभ है और इसे आर्थिक विकास की नींव माना जाता है।
  • यह एक कच्चा माल (raw material) और मध्यवर्ती उत्पाद (intermediate product) दोनों के रूप में कार्य करता है।
  • किसी देश में स्टील का उत्पादन और उपभोग उसकी आर्थिक प्रगति का संकेत होता है।

भारत में स्टील उद्योग की श्रेणियाँ:

  1. Major Producers– जैसे सेल (SAIL), टाटा स्टील
  2. Main Producers– बड़े निजी क्षेत्र के उत्पादक
  3. Secondary Producers– छोटे एवं मध्यम आकार के प्लांट, री-रोलिंग मिल्स आदि

वर्तमान स्थिति (Present Status):

 दुनिया में दूसरा स्थान: भारत चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा कच्चा स्टील उत्पादक देश है।

  • FY 2023-24 में उत्पादन:3 मिलियन टन कच्चा स्टील।

 नेट आयातक की स्थिति: वर्ष 2023-24 में भारत नेट इम्पोर्टर रहा (आयात > निर्यात)।

  • निर्यात:49 मिलियन टन
  • आयात:32 मिलियन टन

अर्थव्यवस्था में योगदान: स्टील क्षेत्र भारत के GDP में लगभग 2% का योगदान करता है।

भारत के स्टील क्षेत्र की चुनौतियाँ और चिंताएँ

प्रमुख चुनौतियाँ (Key Challenges):

  1. चीनी स्टील निर्यात की बाढ़:
    • सस्ते चीनी स्टीलके आयात में तेज़ वृद्धि ने भारत के घरेलू स्टील की कीमतों पर दबाव डाला है।
    • इससे भारत कीनिर्यात प्रतिस्पर्धा (export competitiveness) भी कमजोर हुई है।
  2. डंपिंग का खतरा: भारतीय स्टील निर्माता चेतावनी दे रहे हैं कि यदिसुरक्षात्मक उपाय जैसे साफगार्ड ड्यूटी (safeguard duties) नहीं लगाए गए, तो भारत वैश्विक स्टील अधिशेष (global steel surpluses) का डंपिंग ग्राउंड बन सकता है।
  3. नीतिगत समर्थन की कमी: स्टील उद्योग को सरकार की ओर सेपर्याप्त सहयोग नहीं मिल रहा, जिससे उनकी लागत और प्रतिस्पर्धा प्रभावित हो रही है।
  4. अचानक नीति बदलाव: कई नीतिगत निर्णय बिना पूर्व सूचना के लागू किए जा रहे हैं, जिससे उद्योग को तैयारी का समय नहीं मिल पाता और असंतोष फैलता है।

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