Artificial Rain
संदर्भ:
“दिल्ली सरकार पहली बार 4 से 11 जुलाई के बीच कृत्रिम वर्षा कराने की योजना बना रही है, जिसका उद्देश्य वायु प्रदूषण को कम करना है। आईआईटी कानपुर के नेतृत्व में चल रहे इस अभियान में संशोधित विमानों के माध्यम से क्लाउड सीडिंग की जाएगी। इसके लिए भारतीय मौसम विभाग (IMD) को उड़ान योजना सौंप दी गई है।”
कृत्रिम वर्षा (Artificial Rain) क्या है?
परिभाषा:
कृत्रिम वर्षा उस प्रक्रिया को कहते हैं जिसमें बादलों में विशेष रसायनों को छोड़ा जाता है ताकि जल की बूंदों के संघनन को तेज कर वर्षा कराई जा सके।
मुख्य प्रक्रिया – क्लाउड सीडिंग (Cloud Seeding): इसमें बादलों में निम्नलिखित रसायनों का छिड़काव किया जाता है:
- सिल्वर आयोडाइड (AgI)
- पोटैशियम आयोडाइड
- सोडियम क्लोराइड (NaCl)
- ड्राई आइस (ठोस CO₂)
ये पदार्थ संघनन नाभिक (Condensation nuclei) की तरह कार्य करते हैं, जो जल वाष्प को आकर्षित कर उसे बूंदों में बदलते हैं, जिससे वर्षा होती है।
कृत्रिम वर्षा के लिए आवश्यक परिस्थितियाँ:
- संभावित वर्षा-युक्त बादलों की उपस्थिति
- पर्याप्त आर्द्रता (Humidity) और वायुमंडलीय अस्थिरता
- अनुकूल तापमान और हवा की दिशा
भारत में कृत्रिम वर्षा (क्लाउड सीडिंग) का इतिहास:
- प्रारंभिक प्रयोग: भारत में कृत्रिम वर्षा का प्रथम ज्ञात प्रयोग वर्ष 1951 में टाटा कंपनी द्वारा किया गया था।
- 1950 के दशक से प्रयास: तब से लेकर अब तक कई दशकों में विभिन्न मौसमीय और जल संकट की स्थितियों में इस तकनीक को अपनाने के प्रयास किए गए हैं।
- राज्य–स्तरीय पहलें:
- तमिलनाडु: सूखा राहत के लिए नियमित रूप से क्लाउड सीडिंग का उपयोग।
- कर्नाटक: “प्रोजेक्ट वर्षाधारी“ जैसे अभियानों के तहत प्रयास।
- महाराष्ट्र: “प्रोजेक्ट मेघदूत“ के माध्यम से जल संकट के समाधान हेतु क्लाउड सीडिंग का प्रयोग।
क्लाउड सीडिंग (Cloud Seeding) के लाभ:
- वायु प्रदूषण में कमी: दिल्ली जैसे शहरों में कृत्रिम वर्षा से हवा में मौजूद कण (PM) और अन्य प्रदूषक धुल जाते हैं, जिससे अस्थायी राहत मिलती है।
- सूखा राहत और जल संसाधन वृद्धि: महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे राज्यों ने “प्रोजेक्ट मेघदूत” और “वर्षाधारी” जैसे अभियानों के तहत क्लाउड सीडिंग का उपयोग किया है।
- वनाग्नि नियंत्रण: वातावरण में नमी बढ़ाकर, जंगलों में आग लगने की संभावना और तीव्रता को कम सकता है।
- विज्ञान–आधारित समाधान: चीन, थाईलैंड, UAE और अमेरिका (टेक्सास, नेवादा) जैसे देश इसे मौसम नियंत्रण, सूखा राहत और विशेष आयोजनों (जैसे 2008 बीजिंग ओलंपिक) में आकाश साफ रखने के लिए प्रयोग करते हैं।
चिंताएं और आलोचनाएं:
- पर्यावरणीय क्षति: क्लाउड सीडिंग से हुई वर्षा का रन-ऑफ झीलों, नदियों और भूजल को प्रदूषित कर सकता है।
- संरचनात्मक समस्या का अस्थायी समाधान: पराली जलाना, वाहनों का उत्सर्जन और अव्यवस्थित शहरीकरण जैसी मूल समस्याओं पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
- नैतिक और कानूनी प्रश्न: मौसम में मानवीय हस्तक्षेप से जुड़ी नैतिकता, अधिकार और संभावित दुष्प्रभावों को लेकर गंभीर चिंताएं हैं।
- स्वास्थ्य और पारिस्थितिकी पर प्रभाव: रसायनों का दीर्घकालिक संचय मिट्टी की उर्वरता घटा सकता है, पौधों की वृद्धि प्रभावित कर सकता है और खाद्य श्रृंखला में प्रवेश कर सकता है।