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द्वितीयक प्रदूषक (Secondary Pollutants) | UPSC

Secondary Pollutants

Secondary Pollutants

Secondary Pollutants – 

संदर्भ:

“भारत में पीएम 2.5 (PM2.5) जैसे सूक्ष्म कणों के प्रदूषण का लगभग एक-तिहाई हिस्सा द्वितीयक प्रदूषकों, विशेषकर अमोनियम सल्फेट से उत्पन्न होता है, जो वातावरण में सल्फर डाइऑक्साइड (SO₂) और अमोनिया (NH₃) की प्रतिक्रिया से बनता है।”

प्राथमिक और द्वितीयक प्रदूषक क्या हैं ?

  1. प्राथमिक वायु प्रदूषक (Primary Air Pollutants):
  • वे प्रदूषक जो सीधे किसी स्रोत से उत्सर्जित होते हैं।
  • उदाहरण: कार्बन मोनोऑक्साइड (CO), नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx), सल्फर ऑक्साइड (SOx), कणीय पदार्थ (Particulate Matter)

  1. द्वितीयक वायु प्रदूषक (Secondary Air Pollutants):
  • ये वायुमंडल में रासायनिक अभिक्रियाओं के माध्यम से बनते हैं, न कि सीधे उत्सर्जित होते हैं।
  • उदाहरण: ओज़ोन (O₃), सेकंडरी ऑर्गेनिक एयरोसोल (धुंध या हेज)
  • विशेषताएँ:
    • इनका निर्माण विभिन्न रासायनिक मार्गों से होता है, जो अब भी पूर्णतः समझे नहीं गए हैं।
    • ये अक्सर प्राकृतिक रूप से भी बनते हैं और फोटोकैमिकल स्मॉग जैसे प्रदूषण पैदा करते हैं।
    • इन्हें नियंत्रित करना अधिक कठिन होता है।
  1. PM2.5 (फाइन पार्टिकुलेट मैटर):
  • ऐसे कण जिनका वायुगतिकीय व्यास 2.5 माइक्रोन या उससे कम होता है।
  • स्रोत: वाहनों का धुआँ, थर्मल पावर प्लांट्स, लकड़ी जलाना, कुछ औद्योगिक प्रक्रियाएं
  • यह फेफड़ों में गहराई तक प्रवेश कर सकता है और गंभीर स्वास्थ्य समस्याएँ उत्पन्न कर सकता है।

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