Ottawa Convention
Ottawa Convention –
संदर्भ:
यूक्रेन ने हाल ही में ओटावा कन्वेंशन (1997 में पारित अंतरराष्ट्रीय संधि जो मानवाधारक जमीनी खानों के उत्पादन, उपयोग, भंडारण और स्थानांतरण पर प्रतिबंध लगाती है) से वापसी की घोषणा की है।
एंटी–पर्सनल लैंडमाइन कन्वेंशन, 1997 (Ottawa Treaty):
परिचय:
- यह एक अंतरराष्ट्रीय संधि है जिसका उद्देश्य है एंटी-पर्सनल लैंडमाइंस के उपयोग, उत्पादन, भंडारण और स्थानांतरण पर पूर्ण प्रतिबंध लगाना।
- इसे Ottawa Convention या Anti-Personnel Mine Ban Treaty के नाम से भी जाना जाता है।
मुख्य तथ्य:
- ग्रहण किया गया: सितंबर 1997, ओस्लो डिप्लोमैटिक कॉन्फ्रेंस में
- प्रभाव में आया: मार्च 1999
- वर्तमान सदस्य देश: 166 देश (जून 2025 तक)
- नई स्थिति (2025): पोलैंड, लिथुआनिया, लातविया, एस्टोनिया, फिनलैंड और यूक्रेन ने इस संधि से बाहर निकलने का फैसला किया
- गैर–सदस्य देश: भारत, अमेरिका, रूस, चीन, पाकिस्तान (अब तक इस संधि पर हस्ताक्षर या अनुमोदन नहीं किया)
उद्देश्य व प्रावधान:
- सिर्फ एंटी–पर्सनल लैंडमाइंस पर प्रतिबंध (न कि एंटी-व्हीकल या एंटी-टैंक माइंस पर)
- स्टॉकपाइल विनाश की अनिवार्यता: संधि में शामिल होने के 4 वर्षों के भीतर सभी एंटी-पर्सनल लैंडमाइंस का विनाश अनिवार्य
- पीड़ित सहायता प्रावधान: शारीरिक अक्षमता या अंग-हानि झेल चुके पीड़ितों की सहायता को शामिल किया गया है
भारत का रुख:
- भारत का मानना है कि राष्ट्रीय सुरक्षा और सीमा रक्षा को ध्यान में रखते हुए निर्विरोध प्रतिबंध व्यवहारिक नहीं है, खासकर जब पड़ोसी देश इस संधि का हिस्सा नहीं हैं।
- भारत की नीति है कि लैंडमाइन का उपयोग केवल सुरक्षा और सैनिकों की रक्षा के लिए हो, और नागरिकों को हानि न हो।