Ham Radio
संदर्भ:
अंतरिक्ष में अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर तैनात ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने हाल ही में यू. आर. राव सैटेलाइट सेंटर (URSC) में एकत्रित छात्रों से हैम रेडियो के माध्यम से बातचीत की। यह ऐतिहासिक संवाद लगभग 10 मिनट तक चला और छात्रों के लिए एक भारतीय अंतरिक्ष यात्री से सीधे जुड़ने का एक दुर्लभ अवसर रहा।
हैम रेडियो (Ham Radio):
- परिचय:
- हैम रेडियो को आमतौर पर अमैच्योर रेडियो (Amateur Radio) कहा जाता है।
- यह एक लाइसेंस प्राप्त रेडियो सेवा है जो रेडियो तरंगों के माध्यम से संचार स्थापित करती है।
- प्रमुख उपयोग:
- शैक्षिक और तकनीकी ज्ञान के लिए प्रयोग
- आपात स्थिति (Emergency) या SOS संचार में अहम भूमिका
- प्राकृतिक आपदाओं में यह बिना किसी मोबाइल नेटवर्क या इंटरनेट के संचार बनाए रख सकता है।
- कार्य प्रणाली:
- एक लाइसेंस प्राप्त हैम ऑपरेटर
- ट्रांससीवर, एंटीना और निर्धारित फ्रीक्वेंसी का उपयोग कर संचार करता है।
- यह संचार स्थानीय, वैश्विक और अंतरिक्ष तक भी संभव होता है।
- भारत में नियम:
- 12 वर्ष से ऊपर का कोई भी नागरिक हैम रेडियो ऑपरेट कर सकता है।
- लाइसेंस जारी करने वाली संस्था: इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY)
अंतरिक्ष में हैम रेडियो का उपयोग: विज्ञान, शिक्षा और संचार का सेतु
- प्रारंभिक प्रयोग:
- 1983 में पहली बार अंतरिक्ष यान (Space Shuttle) में हैम रेडियो का उपयोग किया गया था, उद्देश्य: पृथ्वी और अंतरिक्ष के बीच संचार स्थापित करना।
- वर्तमान उपयोग – ARISS: ARISS (Amateur Radio on the International Space Station) के रूप में ISS (अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन) में हैम रेडियो की स्थायी व्यवस्था मौजूद है।
- तकनीकी सहयोग:
- यह पहल अमेरिका, रूस, कनाडा, जापान और यूरोप की अंतरिक्ष एजेंसियों और अमैच्योर रेडियो संगठनों द्वारा संयुक्त रूप से समर्थित है।
- वे तकनीकी ज्ञान और उपकरण प्रदान करते हैं।
- सुरक्षा उपाय: Docking जैसे संवेदनशील अभियानों के दौरान रेडियो संचार को अस्थायी रूप से बंद कर दिया जाता है ताकि किसी भी प्रकार की तकनीकी हस्तक्षेप न हो।
Axiom-4 मिशन में हैम रेडियो का प्रयोग: अंतरिक्ष और पृथ्वी के बीच भरोसेमंद संवाद
- Axiom-4 मिशन में हैम रेडियो का उपयोग:
- Axiom-4 मिशन के दौरान भारत, पोलैंड और हंगरी के अंतरिक्ष यात्री ISS पर 14 दिन के प्रवास के दौरान अपनी मातृभूमि से हैम रेडियो के माध्यम से दो बार संपर्क करेंगे।
- यह संचार ISS के क्षितिज पर आने पर, 5 से 8 मिनट की छोटी विंडो में होगा, जब स्टेशन पृथ्वी पर रेडियो रेंज में आता है।
- महत्व:
- हैम रेडियो एक स्थिर और भरोसेमंद संचार माध्यम बना हुआ है, विशेष रूप से आपातकालीन परिस्थितियों में।
- जब पारंपरिक संचार प्रणाली विवाद, युद्ध या प्राकृतिक आपदा में विफल हो जाती है, हैम रेडियो जीवन रक्षक भूमिका निभाता है।
- भारत में आपात उपयोग के उदाहरण:
- 2001: भुज भूकंप
- 2004: हिंद महासागर सुनामी
- 2013: उत्तराखंड बाढ़ इन सभी आपदाओं में हैम रेडियो ने प्राथमिक और आवश्यक आपात संचार प्रदान किया।
निष्कर्ष: Axiom-4 मिशन में हैम रेडियो का उपयोग न केवल तकनीकी और शैक्षिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह दिखाता है कि कैसे यह माध्यम आपदा, सीमित संसाधनों और अंतरिक्ष जैसे चुनौतीपूर्ण वातावरण में भी विश्वसनीय संवाद का सेतु बना रह सकता है।