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संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन रूपरेखा अभिसमय (UNFCCC) | Apni Pathshala

UNFCCC

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संदर्भ:

संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन रूपरेखा अभिसमय (UNFCCC) प्रक्रिया में सुधार के लिए एक बार फिर प्रयास तेज़ हो गए हैं, विशेषकर ब्राज़ील में होने वाले 30वें कॉन्फ्रेंस ऑफ द पार्टीज़ (COP-30) से पहले। यह पहल उस समय ज़ोर पकड़ रही है जब इसके कमजोर क्रियान्वयन, अपर्याप्त वित्तीय समर्थन और प्रक्रियागत अक्षमताओं को लेकर वैश्विक चिंता बढ़ती जा रही है।

UNFCCC (United Nations Framework Convention on Climate Change): प्रमुख जानकारी

परिचय (About)-

  • UNFCCC को 1992 के रियो अर्थ समिट में अंगीकृत किया गया और यह 21 मार्च 1994 को लागू हुआ।
  • वर्तमान में इसके 198 पक्षकार (Parties) हैं, जो इसे लगभग सार्वभौमिक सदस्यता वाला समझौता बनाते हैं।
  • यह तीन रियो कन्वेंशनों में से एक है:
    • Convention on Biological Diversity (CBD)
    • United Nations Convention to Combat Desertification (UNCCD)
    • इन तीनों को Joint Liaison Group के ज़रिए समन्वयित किया जाता है।

उद्देश्य (Objective)-

  • ग्रीनहाउस गैसों के स्तर को स्थिर करना ताकि जलवायु तंत्र पर खतरनाक मानवीय प्रभाव रोका जा सके

मूल सिद्धांत (Core Principles)-

  • Common but Differentiated Responsibilities (CBDR):
    • विकसित देश, जिन्होंने ऐतिहासिक रूप से अधिक उत्सर्जन किया है, उन्हें नेतृत्व करना चाहिए और विकासशील देशों की मदद करनी चाहिए।
  • Equity: देशों की अलग-अलग क्षमताओं और जिम्मेदारियों को मान्यता देता है।

संस्थागत ढांचा (Institutional Structure)-

  • COP (Conference of the Parties): सर्वोच्च निर्णय लेने वाला निकाय
  • Subsidiary Bodies:
    • SBSTA (Scientific and Technological Advice)
    • SBI (Implementation)
  • सचिवालय: बॉन, जर्मनी में स्थित है और कन्वेंशन व प्रोटोकॉल्स के कार्यान्वयन में सहायता करता है।
  • Global Innovation Hub (2021 launch): कम उत्सर्जन और जलवायुलचीले भविष्य के लिए नवाचार को बढ़ावा देता है।

प्रमुख कार्य (Key Functions)

  • मंच: वार्षिक COPs आयोजित करता है जहां देशों के बीच जलवायु समझौतों पर बातचीत होती है।
  • निगरानी और रिपोर्टिंग: देश नियमित रूप से अपने उत्सर्जन और जलवायु कार्रवाइयों की रिपोर्ट जमा करते हैं।
  • वित्तीय और तकनीकी सहायता: Green Climate Fund जैसे तंत्रों के माध्यम से विकासशील देशों को सहायता देता है।

महत्वपूर्ण समझौते

Kyoto Protocol (1997):

  • विकसित देशों के लिए कानूनी रूप से बाध्यकारी उत्सर्जन कटौती लक्ष्य निर्धारित करता है।
  • लक्ष्य: 1990 के स्तर से 5% कम उत्सर्जन
  • भारत ने इसे 2002 में अनुमोदित किया, सिद्धांत: CBDR

Paris Agreement (2015):

  • देश स्वैच्छिक जलवायु कार्य योजनाएं (NDCs) प्रस्तुत करते हैं।
  • लक्ष्य: वैश्विक तापमान वृद्धि को 2°C से नीचे, और 5°C तक सीमित करना

प्रमुख कार्य (Key Functions):

  • मंच:वार्षिक COPs आयोजित करता है जहां देशों के बीच जलवायु समझौतों पर बातचीत होती है।
  • निगरानी और रिपोर्टिंग: देश नियमित रूप से अपने उत्सर्जन और जलवायु कार्रवाइयों की रिपोर्ट जमा करते हैं।
  • वित्तीय और तकनीकी सहायता: Green Climate Fund जैसे तंत्रों के माध्यम से विकासशील देशों को सहायता देता है।

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