NATO Pledges 5% GDP Defence Spending by 2035
NATO Pledges 5% GDP Defence Spending by 2035 –
संदर्भ:
जून में आयोजित अपने शिखर सम्मेलन में नाटो (NATO) ने सदस्य देशों के रक्षा खर्च को 2035 तक उनकी जीडीपी के 5% तक बढ़ाने का संकल्प लिया, जो पहले 2% था। यह नया संकल्प रूस-यूक्रेन युद्ध, इज़राइल-गाजा और इज़राइल-ईरान संघर्ष, भारत-पाकिस्तान तनाव जैसे जारी संघर्षों और वैश्विक भू-राजनीतिक तनावों के मद्देनज़र लिया गया है।
सैन्य खर्च का ऐतिहासिक प्रक्षेपवक्र:
वैश्विक प्रवृत्ति (Global Trend)
- 2024 में वैश्विक सैन्य खर्च $2718 बिलियन तक पहुँच गया — यह कोल्ड वॉर के बाद की सबसे तेज़ वार्षिक वृद्धि है, यानी4% की वृद्धि।
- यह लगातार दसवाँ वर्ष था जब दुनिया भर में सैन्य खर्च में वृद्धि दर्ज की गई।
- 2024 में 100 से अधिक देशों ने अपना रक्षा बजट बढ़ाया।
वैश्विक GDP में हिस्सेदारी (As Share of Global GDP)
- 1960 (कोल्ड वॉर पीक): सैन्य खर्च वैश्विक GDP का 1% था।
- 1998 तक यह घटकर1% पर आ गया।
- 2024 में फिर बढ़कर 5% हो गया, नई वैश्विक भू-राजनीतिक अस्थिरताओं का संकेत देता है।
यह आंकड़े दर्शाते हैं कि दुनिया सुरक्षा चिंताओं और रणनीतिक प्रतिस्पर्धाओं के दौर में एक बार फिर से सैन्यकरण की ओर बढ़ रही है।
Effect on Sustainable Development Goals (SDGs): प्रमुख प्रभाव
- गरीबी उन्मूलन पर प्रभाव–
- 2030 तक चरम और पूर्ण गरीबी समाप्त करने के लिए अनुमानित वार्षिक खर्च:
- चरम गरीबी: $70 बिलियन
- पूर्ण गरीबी: $325 बिलियन
- ये राशि वैश्विक सैन्य खर्चों की तुलना में बहुत कम हैं — उदाहरण के लिए, 2024 में सैन्य खर्च $2718 बिलियन रहा।
- पर्यावरणीय प्रभाव–
- सेनाएं बड़े पैमाने पर कार्बन उत्सर्जन करती हैं।
- यदि NATO 3.5% GDP रक्षा खर्च का लक्ष्य अपनाता है, तो इससे प्रति वर्ष 200 मिलियन टन CO₂ उत्सर्जन बढ़ सकता है — जो SDG 13 (Climate Action) के विपरीत है।
भारत में रक्षा बनाम सामाजिक व्यय–
- भारत का रक्षा बजट: GDP का 3%
- 2024–25 के लिए ₹6.81 लाख करोड़, इसके अतिरिक्त ऑपरेशन सिंदूर के बाद ₹50,000 करोड़ की आपात सैन्य खरीद को मंज़ूरी
- आयुष्मान भारत योजना (58 करोड़ लोगों को कवर करती है):
- बजट: केवल ₹7,200 करोड़
यह असंतुलन दर्शाता है कि SDGs जैसे स्वास्थ्य, गरीबी उन्मूलन और जलवायु कार्रवाई के लक्ष्य रक्षा प्राथमिकताओं के कारण पीछे छूट सकते हैं यदि संतुलन नहीं बनाया गया।
The North Atlantic Treaty Organization (NATO): प्रमुख जानकारी
स्थापना (Establishment)
- NATO की स्थापना 1949 में North Atlantic Treaty (जिसे Washington Treaty भी कहा जाता है) पर हस्ताक्षर के साथ हुई।
- इसका मुख्य उद्देश्य था द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यूरोप में सोवियत विस्तार को रोकना।
सिद्धांत:
- यह संगठन सामूहिक रक्षा (Collective Defence) के सिद्धांत पर आधारित है —
- अनुच्छेद 5 (Article 5) के अनुसार,
- “किसी एक सदस्य पर हमला, सभी सदस्यों पर हमला माना जाएगा।”
- अनुच्छेद 5 (Article 5) के अनुसार,
स्थापक सदस्य: बेल्जियम, कनाडा, डेनमार्क, फ्रांस, आइसलैंड, इटली, लक्ज़मबर्ग, नीदरलैंड्स, नॉर्वे, पुर्तगाल, यूनाइटेड किंगडम, और संयुक्त राज्य अमेरिका।
नवीनतम सदस्य: फिनलैंड वर्ष 2023 में NATO का सदस्य बना।
वित्तपोषण (Funding) सभी सदस्य देश संगठन के संचालन व्यय में योगदान देते हैं, जो प्रत्येक देश की सकल राष्ट्रीय आय (Gross National Income) के अनुसार cost-sharing formula से तय होता है।