Special Intensive Revision
संदर्भ:
भारत निर्वाचन आयोग (EC) द्वारा बिहार में आगामी विधान सभा चुनाव से पहले विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) शुरू किए जाने के बाद, सुप्रीम कोर्ट (SC) ने इस पर अंतरिम रोक लगाने से इनकार करते हुए कुछ महत्वपूर्ण टिप्पणियाँ की हैं:
- सुप्रीम कोर्ट ने SIR को रोकने से मना किया, लेकिन ECI को अधिक दस्तावेज स्वीकार करने की सलाह दी।
- अदालत ने समय-सीमा और प्रक्रिया की उपयुक्तता पर सवाल उठाए।
- कोर्ट ने SIR का कानूनी अधिकार नहीं लिया, बल्कि परीक्षा के तहत रखा—अगली सुनवाई 28 जुलाई 2025 निर्धारित की और ECI से 21 जुलाई तक जवाब देने को कहा
विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR – Special Intensive Revision): मुख्य तथ्य
- SIR एक घर-घर जाकर किए जाने वाले सत्यापन अभियान को दर्शाता है जिसका उद्देश्य मतदाता सूची को पूरी तरह से अद्यतन करना है।
- यह प्रक्रिया शुरुआत से चुनावी सूची के पुनर्निर्माण की तरह होती है।
उद्देश्य (Objectives)
- सभी पात्र भारतीय नागरिकों (18 वर्ष से अधिक) का नाम शामिल करना
- अवैध प्रवासियों, दोहराव और अयोग्य मतदाताओं को हटाना
- मतदाता सूची की विश्वसनीयता और निष्पक्षता बनाए रखना
- लोकतंत्र को सुदृढ़ करना और स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करना
संचालन (Conducted by)
- यह कार्य Booth Level Officers (BLOs) द्वारा किया जाता है
- प्रावधान: 1950 का जनप्रतिनिधित्व अधिनियम (RPA), धारा 21(3), भारतीय संविधान का अनुच्छेद 324(1)
मतदाता सूची (Electoral Roll): संवैधानिक और कानूनी आधार
परिभाषा (Refers)
- मतदाता सूची (Voters’ List) एक व्यापक सूची है जिसमें किसी क्षेत्र के सभी पात्र मतदाताओं के नाम शामिल होते हैं।
- इसमें लिंग, जाति या वर्ग के भेदभाव के बिना सभी पात्र नागरिकों को शामिल किया जाता है।
- यह पारदर्शिता और प्राकृतिक न्याय सुनिश्चित करती है — नाम जोड़ने या हटाने की प्रक्रिया न्यायसंगत हो।
संवैधानिक आधार (Constitutional Basis)
- अनुच्छेद 324: चुनाव आयोग (EC) को मतदाता सूचियों के पर्यवेक्षण, निर्देशन और नियंत्रण का अधिकार।
- अनुच्छेद 326: 18 वर्ष या उससे अधिक आयु के प्रत्येक नागरिक को मतदान का अधिकार।
विधिक आधार: जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950
- धारा 16: ग़ैर-नागरिकों को अयोग्य घोषित करता है।
- धारा 19: 18 वर्ष से अधिक आयु और सामान्य निवासी होने की आवश्यकता।
- धारा 20: “सामान्य निवास” की परिभाषा देता है; केवल संपत्ति का स्वामित्व निवास का प्रमाण नहीं।
- धारा 21: चुनाव आयोग विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) द्वारा सूची को संशोधित कर सकता है।
बिहार का मामला क्यों है विशेष?
पृष्ठभूमि
- बिहार में अंतिम विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) 2003 में हुआ था।
- अब यह पूरी तरह से घर-घर सत्यापन के साथ किया जा रहा है, जहाँ हर व्यक्ति को खुद फॉर्म भरना होगा, जबकि पहले परिवार के मुखिया द्वारा विवरण दिया जाता था।
प्रक्रिया की विशेषताएँ
- सभी मतदाताओं को अब गणना फॉर्म भरना अनिवार्य।
- 2003 के बाद जोड़े गए मतदाताओं को नागरिकता का प्रमाण देना होगा।
- यह प्रक्रिया गहन सत्यापन और ऐतिहासिक मतदाता सूची के उपयोग का हाइब्रिड मॉडल है।
आंकड़े (जनवरी 1, 2025 के अनुसार)
- ड्राफ्ट सूची में कुल मतदाता: 7.96 करोड़
- 2003 की सूची में दर्ज: 4.96 करोड़
- ये लोग स्वतः पात्र माने जाएंगे।
- इनके बच्चे माता-पिता के नाम को प्रमाण के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं।
- 2003 की सूची में मृत या पलायन कर चुके लोग भी दर्ज — सत्यापन आवश्यक।
नागरिकता प्रमाण के स्वीकृत दस्तावेज
- 2003 मतदाता सूची की प्रविष्टियाँ (माता-पिता के नाम)
- जन्म प्रमाण पत्र, पासपोर्ट, पारिवारिक रजिस्टर,
- भूमि आवंटन पत्र, NRC अंश, पेंशन आदेश आदि।
- आधार स्वीकार नहीं किया जाएगा — क्योंकि यह नागरिकता का प्रमाण नहीं है।