Voter list revision in Bihar
Voter list revision in Bihar –
संदर्भ:
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) के दौरान संभावित बहिष्कार की चिंताओं को गंभीरता से लेते हुए चुनाव आयोग (EC) को निर्देश दिया कि वह आधार कार्ड, मतदाता पहचान पत्र (Voter ID) और राशन कार्ड को पहचान प्रमाण के रूप में स्वीकार करे। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि मतदान का अधिकार भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था की नींव है, और इससे किसी भी नागरिक को अनुचित रूप से वंचित नहीं किया जा सकता।
बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण: दस्तावेज़ी प्रमाण की आवश्यकता
पृष्ठभूमि: बिहार में चुनाव आयोग (ECI) ने 2003 के बाद पहली बार विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) शुरू किया है। इसके तहत हर व्यक्ति को नागरिकता और जन्म की पुष्टि के लिए दस्तावेज़ देने होंगे।
मुख्य बिंदु:
- 2003 की सूची का संदर्भ: जो व्यक्ति 2003 की मतदाता सूची में शामिल नहीं हैं, उन्हें 11 में से कोई भी दस्तावेज़ देकर अपनी जन्म की तारीख और/या स्थान सिद्ध करना होगा।
- 1 जुलाई 1987 के बाद जन्मे नागरिक: उन्हें अपने माता-पिता के जन्म प्रमाण भी देने होंगे, जो नागरिकता प्रमाण के समान माना जाएगा।
- स्वीकृत दस्तावेजों में नहीं हैं: आधार कार्ड, पैन कार्ड, पुराना मतदाता पहचान पत्र
- कानूनी आधार:
- अनुच्छेद 324 — निर्वाचन आयोग को चुनाव प्रक्रिया पर नियंत्रण का अधिकार देता है।
- जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 21 — मतदाता सूचियों की पुनरीक्षण प्रक्रिया को नियंत्रित करती है।
भारत में सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार (Universal Adult Suffrage) और मतदाता सूची की शुद्धता का महत्व
भारत में सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार:
अर्थ: प्रत्येक वयस्क नागरिक को वोट देने का अधिकार है, बिना किसी भेदभाव के—लिंग, जाति, धर्म, शिक्षा या संपत्ति के आधार पर नहीं।
संवैधानिक आधार:
- अनुच्छेद 326 के अंतर्गत सभी वयस्क नागरिकों को मतदान का संवैधानिक अधिकार प्राप्त है।
- भारत ने शुरुआत से ही यह अधिकार दिया, जबकि UK और US जैसे देशों में यह अधिकार क्रमिक रूप से मिला।
उम्र परिवर्तन: 61वां संविधान संशोधन (1989) मतदान की उम्र 21 से घटाकर 18 वर्ष की गई।
पहले आम चुनाव (1951–52):
- 3 करोड़ से अधिक मतदाता, जिनमें बहुत बड़ी संख्या निरक्षरों की थी।
- CEC सुकुमार सेन ने चिह्न आधारित मतदान प्रणाली लागू की जिससे सभी मतदाता बिना पढ़े भी सही उम्मीदवार चुन सकें।
मनमाने नाम हटाने के विरुद्ध सुरक्षा:
- Lal Babu Hussein v. ERO (1995): सुप्रीम कोर्ट ने ECI की 1992 और 1994 की उन गाइडलाइनों को रद्द किया, जो केवल संदेह के आधार पर नाम हटाने की अनुमति देती थीं।
- Rahim Ali v. State of Assam (2024): कोर्ट ने दोहराया कि सिर्फ संदेह के आधार पर मतदाता सूची से किसी का नाम हटाना अवैध है।
अनुपस्थित मतदाताओं के लिए विशेष प्रावधान
- डाक मतपत्र (Postal Ballots)
कानूनी आधार: नियम 18, निर्वाचन नियमावली 1961 (Conduct of Election Rules, 1961) के अंतर्गत।
पात्रता:
- सशस्त्र बलों के सदस्य
- सरकारी अधिकारी जो चुनाव ड्यूटी या अन्य सरकारी कर्तव्यों पर हों
- चुनाव ड्यूटी पर नियुक्त कार्मिक (जैसे BLOs, पीठासीन अधिकारी)
लाभ: व्यक्ति मतदान केंद्र पर उपस्थित हुए बिना अपना मत दे सकता है।
- प्रवासी भारतीय मतदाता (Overseas Voters)
- कानूनी आधार: धारा 20A, जनप्रतिनिधित्व अधिनियम (Representation of the People Act), 1950।
- पात्रता: भारतीय नागरिक जो भारत के बाहर निवास करते हैं लेकिन भारतीय पासपोर्ट रखते हैं।
- वोटिंग प्रक्रिया:
- उन्हें संबंधित निर्वाचन क्षेत्र में व्यक्तिगत रूप से आकर मतदान करना होता है।
- डाक या ऑनलाइन मतदान की अनुमति नहीं है।
- भविष्य की पहल (Proposed Reforms)
प्रॉक्सी और ऑनलाइन वोटिंग:
- प्रवासी भारतीयों के लिए प्रॉक्सी या ऑनलाइन मतदान की संभावनाएं विचाराधीन हैं।
- अभी तक इसे लागू नहीं किया गया है, लेकिन इसके लिए पायलट प्रोजेक्ट और कानूनी मसौदे तैयार किए जा रहे हैं।