China hydropower project on Brahmaputra
संदर्भ:
चीन ने ब्रह्मपुत्र नदी पर एक विशाल जलविद्युत परियोजना का निर्माण तिब्बत में भारत के अरुणाचल प्रदेश की सीमा के निकट आधिकारिक रूप से शुरू कर दिया है। यह परियोजना रणनीतिक दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है, क्योंकि ब्रह्मपुत्र नदी भारत और बांग्लादेश के लिए एक प्रमुख जलस्रोत है। चीन की इस गतिविधि ने क्षेत्रीय जल सुरक्षा, पर्यावरणीय प्रभाव और भारत-चीन संबंधों पर चिंता बढ़ा दी है।
(China hydropower project on Brahmaputra) चीन की ब्रह्मपुत्र पर जलविद्युत परियोजना: एक रणनीतिक और पर्यावरणीय चुनौती
परियोजना का परिचय:
- यह परियोजना विश्व की सबसे बड़ी अवसंरचनात्मक परियोजनाओं में से एक मानी जा रही है।
- स्थान: यारलुंग त्संगपो ग्रैंड कैन्यन (ब्रह्मपुत्र नदी, तिब्बत), जहां नदी भारत-चीन सीमा के पास यू-टर्न लेकर अरुणाचल प्रदेश में प्रवेश करती है।
- संरचना: 5 चरणों में बनी कैस्केड जलविद्युत स्टेशन।
- निवेश: लगभग 2 ट्रिलियन युआन (167.8 अरब अमेरिकी डॉलर)।
- ऊर्जा उत्पादन: सालाना 300 अरब किलोवाट–घंटा — लगभग 30 करोड़ लोगों की जरूरतें पूरी करने लायक।
- क्षेत्रीय संवेदनशीलता: यह इलाका भूकंपीय और पारिस्थितिकीय रूप से अत्यधिक संवेदनशील है।
परियोजना के प्रभाव:
- भू–राजनीतिक चिंताएँ:
- भारत और बांग्लादेश ब्रह्मपुत्र के निचले प्रवाह क्षेत्र में हैं, और इस नदी के अविरल प्रवाह पर कृषि, पेयजल और पारिस्थितिकी निर्भर है।
- चिंता के बिंदु:
- जल प्रवाह में बाधा या अचानक जलराशि छोड़े जाने की आशंका।
- युद्धकालीन स्थिति में चीन द्वारा जल का रणनीतिक इस्तेमाल।
- पारिस्थितिकीय जोखिम:
- जैव विविधता, जलजीवों और दलदली क्षेत्रों के लिए खतरा।
नदी की पारिस्थितिकी में असंतुलन।
- भूकंपीय और संरचनात्मक जोखिम:
- ब्रह्मपुत्र बेसिन भूकंप-प्रवण क्षेत्र है (1950 का असम-तिब्बत भूकंप इसका प्रमाण)।
- इस क्षेत्र में विशाल बांध बनने से बांध टूटने, बाढ़, या संरचनात्मक विफलता जैसी आपदाओं की आशंका।
- आपदा संवेदनशीलता:
- हिमनदीय झील विस्फोट बाढ़ (GLOFs) की संभावना बढ़ी — जैसा 2023 के सिक्किम बाढ़ में देखा गया।
- क्षेत्रीय तनाव:
- जल संसाधनों पर नियंत्रण को लेकर चीन, भारत, भूटान और बांग्लादेश के बीच तनाव गहरा सकता है।
भारत–चीन के बीच समन्वय व्यवस्था:
- 2013 में हस्ताक्षरित एक व्यापक समझौता ज्ञापन (MoU): अंतरराष्ट्रीय नदियों पर सहयोग हेतु — यह बिना समाप्ति तिथि के प्रभावी है।
- ब्रह्मपुत्र और सतलज पर दो अलग-अलग MoUs, जिनमें ब्रह्मपुत्र MoU 2023 में समाप्त हो गया।
- Expert Level Mechanism (ELM): 2006 से कार्यरत है, जल आंकड़ों के आदान–प्रदान के लिए।
- अब तक कोई व्यापक संधि नहीं है, जो जल प्रबंधन के नियम तय करे।
- चीन, भारत, भूटान और बांग्लादेश — संयुक्त राष्ट्र के अंतरराष्ट्रीय जलपथों के गैर-नौवहन उपयोग पर कन्वेंशन (1997) के पक्षकार नहीं हैं।
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