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उत्तरकाशी से धराली गांव की आपदा की सैटेलाइट तस्वीर (Satellite image of the disaster in Dharali village from Uttarkashi) | UPSC

Satellite image of the disaster in Dharali village from Uttarkashi

Satellite image of the disaster in Dharali village from Uttarkashi

Satellite image of the disaster in Dharali village from Uttarkashi – 

संदर्भ:

उत्तरकाशी के धराली गांव में 5 अगस्त को आई अचानक बाढ़ ने भारी तबाही मचाई, जिससे पूरा गांव मलबे में दब गया। इस त्रासदी में कई भवन पूरी तरह ध्वस्त हो गए और नदी के प्रवाह में भी बदलाव आया। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने 8 अगस्त को सैटेलाइट इमेज जारी कर बताया कि धराली और हर्षिल गांवों में लगभग 20 हेक्टेयर क्षेत्र बाढ़ और भूस्खलन से प्रभावित हुआ है। वर्तमान में राहत एवं बचाव कार्य जारी हैं।

उत्तरकाशी आपदा:

आपदा की शुरुआत 5 अगस्त 2025 को दोपहर 1:30 बजे के आसपास उत्तरकाशी जिले के धराली क्षेत्र में भारी आपदा आई। खीरगंगा नदी उफान पर आ गई और अपने साथ मलबा और गाद लेकर धराली कस्बे में घुस गई, जिससे भारी तबाही मच गई। शुरुआती रिपोर्टों में एक नहीं बल्कि कई बादल फटने की घटनाओं की बात कही गई, जिनमें से एक घटना सुखी टॉप के पास बताई गई।

विज्ञान क्या कहता है?

हालांकि बादल फटने की खबरें थीं, लेकिन मौसम विभाग की रिकॉर्डिंग ने चौंकाने वाली जानकारी दी। आपदा के दिन:

  • हरसिल में मात्र 6.5 मिमी वर्षा हुई।
  • भटवाड़ी में 24 घंटे में केवल 11 मिमी बारिश दर्ज हुई।

जबकि तकनीकी रूप से ‘बादल फटना’ तभी कहा जाता है जब किसी छोटे क्षेत्र में प्रति घंटे 100 मिमी से ज्यादा बारिश हो। ऐसे में इन आंकड़ों के आधार पर इसे बादल फटना नहीं कहा जा सकता।

फिर इतनी बड़ी तबाही कैसे हुई?

विशेषज्ञों का मानना है कि इस घटना के पीछे ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड (GLOF) या हिमनद ध्वस्त (Glacier Collapse) होने की संभावना ज्यादा है।

  • दरअसल, जलवायु परिवर्तन के कारण ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं और उनके नीचेझीलें बन रही हैं, जो समय के साथ बड़ी और खतरनाक होती जा रही हैं।
  • इन झीलों के टूटने से अचानक बहुत ज्यादा पानी और मलबा नीचे की तरफ बह जाता है, जिससे नदी में बाढ़ जैसी स्थिति बन जाती है – ठीक वैसा ही जैसा धराली में हुआ।

आपदा प्रबंधन में ISRO की भूमिका: अंतरिक्ष से सुरक्षा की निगरानी

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) केवल अंतरिक्ष मिशन ही नहीं करता, बल्कि भारत में प्राकृतिक आपदाओं से निपटने में भी एक अहम भूमिका निभाता है।

पृथ्वी अवलोकन उपग्रह  का योगदान

  • Cartosat, RISAT जैसे उपग्रहोंसे देशभर की सतह का लगातार अवलोकन किया जाता है।
  • ऑप्टिकल सेंसरदिन के समय दृश्य प्रकाश में तस्वीरें लेते हैं — जैसे खेत, मकान, सड़कें।
  • रडार सेंसर (SAR)बादलों और अंधेरे में भी काम करते हैं — जैसे बाढ़ और भूस्खलन की स्थिति में।

तकनीकी नवाचार: अंतरिक्ष से बुद्धिमत्ता तक

  • SAR तकनीक (NISAR मिशन): ज़मीन की छोटी-छोटी हरकतों को भी पहचान लेती है — जैसे भूकंप, ग्लेशियर पिघलना।
  • AI और Deep Learning: उपग्रह डेटा का विश्लेषण करकेक्षति का अनुमान और प्रभावित क्षेत्रों की पहचान अपने आप की जाती है।
  • GIS तकनीक (QGIS प्लेटफ़ॉर्म): नक्शों में उपग्रह चित्रों को जोड़करराहत के लिए रणनीति बनाई जाती है।

आपदा के समय ISRO कैसे करता है मदद?

  • रीयलटाइम निगरानी: बाढ़, भूकंप, चक्रवात की स्थिति में तुरंत अपडेट देता है।
  • क्षति मूल्यांकन: पहले और बाद की तस्वीरों की तुलना करके नुकसान की सटीक रिपोर्ट बनती है।
  • पूर्व चेतावनी: चक्रवात और भारी बारिश जैसे खतरों के लिए समय रहते चेतावनी भेजी जाती है।
  • राहत कार्य योजना: प्रभावित क्षेत्रों की पहचान कर राहत सामग्री और संसाधनों का सही वितरण

प्रमुख उदाहरण:

  • उत्तरकाशी (2025): Cartosat-2S ने फ्लैश फ्लड के बाद मलबे के बहाव की स्थिति का विश्लेषण किया।
  • म्यांमार भूकंप: Cartosat-3 से ऐतिहासिक स्थलों पर पड़े प्रभाव को समझा गया।
  • वायनाड, केरल: RISAT रडार से भूस्खलन क्षेत्र का विस्तार और नुकसान का मानचित्रण किया गया।
  • प्रयागराज कुंभ मेला

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