Joint Doctrines for Cyberspace Operations & Amphibious Operations
Joint Doctrines for Cyberspace Operations & Amphibious Operations –
संदर्भ:
नई दिल्ली में आयोजित चीफ्स ऑफ स्टाफ कमेटी की बैठक के दौरान चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने साइबरस्पेस ऑपरेशंस और एम्फीबियस ऑपरेशंस के संयुक्त सिद्धांतों (जॉइंट डॉक्ट्रिन्स) के डिक्लासीफाइड संस्करणों को औपचारिक रूप से जारी किया।
साइबरस्पेस (Cyberspace):
एक वैश्विक क्षेत्र है जिसमें इंटरनेट, इंट्रानेट, संचार उपग्रह, नियंत्रण प्रणाली और अन्य आपस में जुड़े हुए सूचना तंत्र व डेटा संरचनाएं शामिल होती हैं। यह एक ऐसा ऑपरेशनल वातावरण है जहाँ जानकारी बनाई, साझा, बदली और संग्रहित की जाती है।
मुख्य विशेषताएं:
- सीमाहीन क्षेत्र: भौतिक सीमाओं से परे काम करता है।
- दोहरा उपयोग: नागरिक और सैन्य, दोनों उद्देश्यों के लिए उपयोगी।
- तत्काल प्रभाव: कार्यवाही का वैश्विक असर तुरंत हो सकता है।
- गुमनामी व पहचान की चुनौती: किसी हमले के पीछे के असली कारकों का पता लगाना कठिन।
- लगातार बदलते खतरे: तकनीक के साथ खतरे भी विकसित होते रहते हैं।
समुद्र–स्थल संयुक्त अभियान:
वे समन्वित सैन्य कार्रवाई हैं जो समुद्र से नौसेना, वायुसेना और थल सेना के संयुक्त बल से तट पर किसी मिशन को पूरा करने के लिए की जाती हैं। ये युद्ध, मानवीय सहायता, आपदा राहत (HADR) और विवादित क्षेत्रों में शक्ति प्रदर्शन के लिए प्रयोग होती हैं।
मुख्य विशेषताएं:
- त्रि–सेवा समन्वय: नौसेना, वायुसेना और थल सेना का एकीकृत संचालन।
- त्वरित प्रतिक्रिया: समुद्र से तट तक तेज़ी से तैनाती।
- लचीले मिशन: युद्ध से लेकर HADR तक विभिन्न उद्देश्यों के लिए।
- रणनीतिक पहुँच: द्वीप और तटीय क्षेत्रों पर नियंत्रण की क्षमता।
- समुद्र–भूमि संपर्क: समुद्री क्षमताओं को जमीनी लक्ष्यों से जोड़ना।
Cyberspace Operations के घटक:
- Defensive Cyber Operations: हैकिंग, मैलवेयर, डेटा चोरी से नेटवर्क की रक्षा।
- Offensive Cyber Operations: दुश्मन के नेटवर्क में घुसपैठ कर संचार और संरचना को बाधित करना।
- Cyber Intelligence & Reconnaissance:खतरों की पहचान और आकलन के लिए डाटा संग्रह और विश्लेषण।
- Cyber Support Operations:अन्य सैन्य अभियानों को तकनीकी सहयोग व उपकरण देना।
- Resilience & Recovery Systems:बैकअप और सिस्टम बहाली की व्यवस्था।
परिचालन सिद्धांत (Operational Principles):
- Threat-informed Planning: ताज़ा खुफिया जानकारी के आधार पर रणनीति।
- Interoperability: सैन्य व नागरिक एजेंसियों के बीच समन्वय।
- Layered Defence: सुरक्षा की बहु-स्तरीय व्यवस्था।
- Legal & Ethical Compliance: घरेलू और अंतरराष्ट्रीय कानूनों का पालन।
- Real-time Response: साइबर घटनाओं पर त्वरित कार्रवाई।
महत्व:
- राष्ट्रीय सुरक्षा: महत्वपूर्ण ढांचों को सुरक्षित रखना।
- Force Multiplier: पारंपरिक युद्ध में साइबर क्षमताओं से बढ़त।
- Maritime Superiority: तटीय क्षेत्रों पर नियंत्रण।
- Jointness: तीनों सेनाओं में बेहतर तालमेल।
- Hybrid Warfare तैयारी: साइबर हमले, समुद्री नियंत्रण और भूमि युद्ध से निपटना।
- कूटनीतिक संदेश: बहु-क्षेत्रीय हितों की रक्षा करने की क्षमता का प्रदर्शन।