Devadasi Rehabilitation Bill
संदर्भ:
कर्नाटक मंत्रिमंडल ने कर्नाटक देवदासी (रोकथाम, निषेध, राहत और पुनर्वास) विधेयक, 2025 को मंजूरी दे दी है, जिसका उद्देश्य देवदासी प्रथा के खिलाफ प्रयासों को और मजबूत करना है।
देवदासी पुनर्वास विधेयक (Devadasi Rehabilitation Bill):
यह विधेयक 1982 के अधिनियम को प्रतिस्थापित करेगा और देवदासियों तथा उनके बच्चों की गरिमा की रक्षा के लिए कई प्रावधान शामिल करेगा, जैसे –
- आधिकारिक दस्तावेज़ों में पिता का नाम अनिवार्य रूप से दर्ज करने की शर्त को हटाना।
- डीएनए–आधारित पहचान की अनुमति देना।
यह केवल प्रतिबंध पर ही नहीं, बल्कि देवदासियों को राहत और पुनर्वास प्रदान करने पर भी ध्यान देता है, जिससे वर्षों से चल रही समावेशी कानून की मांग को पूरा किया जा सके।
देवदासी प्रथा:
- यह एक प्राचीन परंपरा है, जिसकी शुरुआत चोल, चेर और पांड्य वंशों के समय से मानी जाती है।
- इसमें निचली जाति की युवा लड़कियों को मंदिर की देवता के नाम पर समर्पित किया जाता था।
- इन्हें “भगवान की सेविका” कहा जाता था, लेकिन वास्तव में कई बार ये मंदिर के संरक्षकों और प्रभावशाली पुरुषों को यौन सेवाएं देने पर मजबूर हो जाती थीं।
- यह प्रथा आज भी भारत के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग नामों से पाई जाती है, जैसे –
- नटिस (असम)
- महारी (केरल)
- बसवी/जोगती (कर्नाटक)
- जोगिन (आंध्र प्रदेश)
- आराधिनी (महाराष्ट्र)