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जोजरी नदी (Jojari River) | UPSC Preparation

Jojari River

Jojari River

संदर्भ:

राजस्थान के बालोतरा ज़िले के डोली गाँव में जोजरी नदी के प्रदूषण को लेकर आंदोलन शुरू हो गया है। इस आंदोलन का नेतृत्व रालोपा संयोजक एवं नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल कर रहे हैं। उन्होंने साफ चेतावनी दी है कि जब तक जोजरी नदी में बह रहे प्रदूषित पानी की समस्या का स्थायी समाधान नहीं निकलेगा, तब तक यह संघर्ष लगातार जारी रहेगा।

जोजरी नदी (Jojari River):

भौगोलिक विवरण:

  • जोजरी नदी (जाजोरी नदी) राजस्थान की एक महत्वपूर्ण नदी है।
  • उद्गम: नागौर जिले के पुन्दलू गाँव की पहाड़ियाँ
  • प्रवाह क्षेत्र: जोधपुर से होते हुए बालोतरा तक दक्षिण-पश्चिम दिशा में बहती है।
  • संगम: मजल धूधाड़ा के पास जाकर लूनी नदी में मिलती है।
  • विशेषता: यह लूनी नदी की सबसे लंबी सहायक नदी है।

इतिहास और महत्व:

  • प्राचीन समय में यह नदी मरुस्थलीय क्षेत्र में जीवन की धारा मानी जाती थी।
  • वर्तमान में यह नदी पर्यावरणीय संकट और प्रदूषण का प्रतीक बन चुकी है।
  • स्थानीय लोगों के जीवन और भविष्य पर गंभीर असर डाल रही है।

प्रदूषण के कारण:

  1. औद्योगिक प्रदूषण:
    • जोधपुर, पाली और बालोतरा की फैक्ट्रियों से जहरीले रसायन और भारी धातुएँ सीधे नदी में छोड़ी जा रही हैं।
  2. घरेलू कचरा: प्लास्टिक, अनुपचारित सीवेज और अन्य अपशिष्ट।
  3. कृषि प्रदूषण: खेतों से बहकर आने वाले कीटनाशक और रासायनिक उर्वरक।
  4. सीईटीपी की समस्या:
    • जोधपुर केकॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट (CETP) की क्षमता बहुत कम।
    • वर्तमान में200 MLD क्षमता की आवश्यकता, भविष्य में और बढ़ेगी।
    • पुरानी पाइपलाइनें छोटी और अवरुद्ध हो जाती हैं।
    • कई कंपनियाँ तय सीमा से अधिक दूषित पानी छोड़ रही हैं।

गाँवों में संकट (Impact on Villages):

जोधपुर से बालोतरा तक लगभग 50 गाँव प्रभावित

कृषि पर असर:

  • काला और बदबूदार पानी खेतों में भरने से गेहूँ और मूंग जैसी फसलें नष्ट।
  • जमीन बंजर होती जा रही है।
  • लगभग10,000 से अधिक रोहिड़ा वृक्ष सूख गए

स्वास्थ्य पर असर:

  • ग्रामीणों में त्वचा रोग, खाँसी और सांस संबंधी बीमारियाँ बढ़ी।
  • दूषित जल से मवेशियों का जीवन भी प्रभावित।

सामाजिक असर:

  • कई परिवारों को मजबूरी में पलायन करना पड़ा।
  • स्कूलों में बच्चों की संख्या घटी, शिक्षा प्रभावित।

पर्यावरणीय असर:

  • मिट्टी की उर्वरता घट रही है।
  • विषैले रसायन मानव व पशु स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा।

समाधान की आवश्यकता:

विशेषज्ञों के अनुसार, यदि तत्काल ठोस कदम नहीं उठाए गए तो नदी पूरी तरह मर सकती है। इसके लिए आवश्यक कदम हैं:

  • घरेलू अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली का सुदृढ़ीकरण।
  • औद्योगिक कचरे का अनिवार्य उपचार।
  • स्थानीय लोगों को जागरूक करना ताकि वे नदी में कचरा न डालें।
  • कड़े कानून और नियम लागू करना और उनका पालन सुनिश्चित करना।

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