India-Russia Deepen Partnership Amid US Tariffs
संदर्भ:
भारत और रूस ने अपने द्विपक्षीय व्यापार संबंधों का विस्तार करने पर सहमति जताई है। यह कदम इस बात का संकेत है कि रूसी तेल की खरीद को लेकर अमेरिका की टैरिफ संबंधी दबाव नयी दिल्ली और मॉस्को की साझेदारी को प्रभावित करने की संभावना नहीं रखता।
- दोनों देशों का यह निर्णय उनके लंबे समय से चले आ रहे रणनीतिक और आर्थिक रिश्तों की मजबूती को दर्शाता है।
भारतीय विदेश मंत्री का रूस दौरा:
उद्देश्य:
- व्यापार साझेदारी को मजबूत करना।
- भारत के रूस से बढ़े हुए तेल आयात के कारण $58.9 बिलियन के व्यापार घाटे को कम करना।
मुख्य पहल:
- व्यापार अवरोधों का समाधान:
- अमेरिकी टैरिफ और नॉन-टैरिफ चुनौतियों पर वार्ता।
- कनेक्टिविटी बढ़ाना:
- प्रमुख मार्गों के जरिए क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को सुदृढ़ करना।
- अंतरराष्ट्रीय नॉर्थ-साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर (INSTC), नॉर्दर्न सी रूट, और चेन्नई–वलादिवोस्तोक कॉरिडोर का विस्तार।
- व्यापार विविधीकरण:
- भुगतान तंत्र को सुचारू बनाना।
- भारत–यूरेशियन इकोनॉमिक यूनियन (EAEU) एफटीए का शीघ्र समापन।
- बिज़नेस एंगेजमेंट:
- B2B संपर्कों को बढ़ावा देना।
- रूस की कंपनियों कोMake in India अवसरों में निवेश के लिए प्रोत्साहित करना।
रणनीतिक लक्ष्य:
- 2030 तक व्यापार का संशोधित लक्ष्य: USD 100 बिलियन।
- विशेष और प्रिविलेज्ड स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप को मजबूत करना।
भारत–रूस साझेदारी से अमेरिका के टैरिफ दबावों में कमी की संभावना–
ऊर्जा सुरक्षा और लागत लाभ:
- रूस से रियायती दरों पर कच्चे तेल का आयात भारत को ऊर्जा बास्केट स्थिर रखने में मदद करता है, भले ही अमेरिका द्वारा टैरिफ लगाए गए हों।
- इससे आयात लागत कम होती है, महंगाई नियंत्रित रहती है और भारतीय निर्यातकों को अमेरिकी टैरिफ के बावजूद प्रतिस्पर्धात्मक लाभ मिलता है।
बाजार विविधीकरण:
- रूस और विस्तृत यूरेशियाई क्षेत्र भारतीय निर्यातकों के लिए वैकल्पिक बाजार उपलब्ध कराते हैं, जिससे अमेरिका पर निर्भरता कम होती है।
- प्रस्तावितभारत–यूरेशियन इकोनॉमिक यूनियन (EAEU) FTA रूस, बेलारूस, अर्मेनिया, कज़ाख़स्तान और किर्गिज़स्तान में बड़े बाजार तक विशेष पहुंच प्रदान कर सकता है।
कनेक्टिविटी और लॉजिस्टिक लाभ:
- इंटरनेशनल नॉर्थ–साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर, चेन्नई–वलादिवोस्तोक समुद्री मार्ग, औरनॉर्दर्न सी रूट जैसे प्रोजेक्ट निर्यात समय और लागत कम करते हैं।
- इससे अमेरिका के टैरिफ के कारण होने वाली प्रतिस्पर्धात्मक हानि की भरपाई होती है।
ऊर्जा सुरक्षा और लागत लाभ:
- रूस से रियायती दरों पर कच्चे तेल का आयात भारत को ऊर्जा बास्केट स्थिर रखने में मदद करता है, भले ही अमेरिका द्वारा टैरिफ लगाए गए हों।
- इससे आयात लागत कम होती है, महंगाई नियंत्रित रहती है और भारतीय निर्यातकों को अमेरिकी टैरिफ के बावजूद प्रतिस्पर्धात्मक लाभ मिलता है।
राष्ट्रीय मुद्राओं और भुगतान तंत्र में व्यापार: रुपये–रूबल लेन-देन तंत्र को मजबूत करना भारत को अमेरिकी डॉलर-प्रधान व्यापार प्रतिबंधों से बचाता है।
रक्षा और रणनीतिक तकनीकी सहयोग:
- रूस रक्षा तकनीक और परमाणु ऊर्जा में प्रमुख आपूर्तिकर्ता बना हुआ है, जिन पर अमेरिका प्रतिबंध लगा सकता है।
- रूस के साथ मजबूत संबंध भारत को रणनीतिक स्वायत्तता सुनिश्चित करने में मदद करते हैं।
औद्योगिक और विनिर्माण अवसर:
- रूस के कच्चे माल और भारत के निर्माण आधार के संयोजन सेMake in India पहल के तहत संयुक्त उद्यम संभव हैं।
- इससे नए मूल्य श्रृंखला बनती हैं और पश्चिमी आपूर्ति नेटवर्क पर निर्भरता कम होती है।