AIP
संदर्भ:
केंद्र सरकार ने रक्षा मंत्रालय और मझगांव डॉकयार्ड्स लिमिटेड को ‘प्रोजेक्ट 75 इंडिया’ के तहत जर्मन सहयोग से भारत में बनने वाली 6 पनडुब्बियों की खरीद के सौदे पर बातचीत शुरू करने की मंज़ूरी दे दी है।
एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (AIP) प्रणाली से लैस पनडुब्बियां
- तकनीक की विशेषता: AIP पनडुब्बियों कोकम से कम 3 हफ्ते तक पानी के भीतर रहने की क्षमता देती है। पारंपरिक डीज़ल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों को बार-बार सतह पर आकर बैटरी चार्ज करनी पड़ती है, जिससे दुश्मन के द्वारा उन्हें देख लिया जाने का खतरा रहता है।
AIP तकनीक के मुख्य पहलू:
- बिजली उत्पादन (Electricity Generation):AIP सिस्टम पनडुब्बी को आगे बढ़ाने के लिए इलेक्ट्रिक मोटर को बिजली प्रदान करता है या बैटरियों को चार्ज करता है।
- सहायक शक्ति स्रोत (Auxiliary Power Source):यह प्रणाली डीज़ल इंजनों का पूरक होती है, जो मुख्य रूप से सतह पर पनडुब्बी को चलाने के लिए उपयोग किए जाते हैं।
- रेट्रोफिटिंग (Retrofitting):मौजूदा पनडुब्बियों में AIP सिस्टम को नए हुल (Hull) सेक्शन डालकर स्थापित किया जा सकता है, जो AIP मॉड्यूल को समाहित करता है।
Project 75 – भारत की पनडुब्बी पहल:
- प्रारंभ और अनुबंध: Project 75 का अनुबंध2005 में Naval Group और Mazagon Dock Shipbuilders Ltd (MDL) के साथ हस्ताक्षरित हुआ।
पनडुब्बियां: Project 75 के तहत छह पनडुब्बियां बनाई गई हैं:
- INS Kalvari
- INS Vagsheer
- INS Vela
- INS Khanderi
- INS Karanj
- INS Vagir