Cabinet clears ₹1500 cr scheme to promote critical mineral recycling
संदर्भ:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 1,500 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन योजना को मंज़ूरी दी है। इस योजना का उद्देश्य देश में रीसाइक्लिंग क्षमता विकसित करना और द्वितीयक स्रोतों से क्रिटिकल मिनरल्स का पृथक्करण व उत्पादन करना है। यह कदम भारत की संसाधन सुरक्षा, सतत विकास और आयात पर निर्भरता कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है।
क्रिटिकल मिनरल रीसाइक्लिंग को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहन योजना–
- पृष्ठभूमि:
- यह योजना National Critical Mineral Mission का हिस्सा है।
- उद्देश्य: भारत में क्रिटिकल मिनरल्स की घरेलू क्षमता और सप्लाई चेन रेज़िलिएंस को मजबूत करना।
- अवधि और बजट:
- अवधि: 6 वर्ष (वित्त वर्ष 2025-26 से 2030-31 तक)।
- कुल बजट: ₹1,500 करोड़।
- पात्र फीडस्टॉक (Feedstock):
- ई–वेस्ट (E-Waste)
- लिथियम आयन बैटरी (LIB) स्क्रैप
- अन्य स्क्रैप (ई-वेस्ट और LIB स्क्रैप को छोड़कर)।
- लाभार्थी:
- बड़े और स्थापित रीसाइक्लर
- छोटे और नए रीसाइक्लर (स्टार्ट-अप सहित) → इनके लिए योजना का 1/3 हिस्सा सुरक्षित रखा गया है।
- योजना की मुख्य विशेषताएँ:
- नए यूनिट्स में निवेश, साथ ही मौजूदा यूनिट्स का विस्तार, आधुनिकीकरण और विविधीकरण भी शामिल।
- प्रोत्साहन केवल उसी वैल्यू चेन के लिए होगा, जो क्रिटिकल मिनरल्स का वास्तविक निष्कर्षण (Extraction) करती है, न कि केवल ब्लैक मास प्रोडक्शन।
- प्रोत्साहन (Incentives):
- 20% पूंजी सब्सिडी (Capital Subsidy): उन प्रोजेक्ट्स पर, जो निर्धारित समय में उत्पादन शुरू करें।
- ऑपरेशनल सब्सिडी (Operational Subsidy):
- बिक्री वृद्धि (Incremental Sales) से जुड़ी होगी।
- किस्तों में दी जाएगी:
- दूसरी साल: 40%
- पाँचवें साल: 60%
- सीमा (Caps on Incentives):
- बड़े संस्थानों के लिए अधिकतम ₹50 करोड़।
- छोटे संस्थानों के लिए अधिकतम ₹25 करोड़।
- ऑपरेशनल सब्सिडी सीमा:
- बड़े संस्थानों के लिए ₹10 करोड़।
- छोटे संस्थानों के लिए ₹5 करोड़।
- अपेक्षित परिणाम:
- 270 किलो टन/वर्ष रीसाइक्लिंग क्षमता विकसित होगी।
- लगभग 40 किलो टन/वर्ष क्रिटिकल मिनरल उत्पादन।
- लगभग ₹8,000 करोड़ निवेश आकर्षित होगा।
- करीब 70,000 प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार उत्पन्न होंगे।
राष्ट्रीय क्रिटिकल मिनरल मिशन (NCMM):
- अवधि: यह मिशनवित्त वर्ष 2024-25 से 2030-31 तक लागू रहेगा।
- मुख्य उद्देश्य:
- भारत कीक्रिटिकल मिनरल सप्लाई चेन को सुरक्षित बनाना।
- घरेलू और विदेशी स्रोतों से मिनरल उपलब्ध कराना।
- क्षेत्र (Scope):
- वैल्यू चेन के सभी चरणों को शामिल करता है:
- खनिज खोज (Exploration)
- खनन (Mining)
- बेनीफिशिएशन (Beneficiation – अयस्क शोधन प्रक्रिया)
- प्रोसेसिंग (Processing)
- उपयोग के बाद उत्पादों से पुनर्प्राप्ति
- वैल्यू चेन के सभी चरणों को शामिल करता है: