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मेजराना कण (Majorana particles) | UPSC Preparation

Majorana particles

Majorana particles

संदर्भ:

वैज्ञानिक मेजोराना कणों को स्थिर क्वांटम कंप्यूटर बनाने की नींव मानकर उस पर शोध कर रहे हैं। सामान्य कणों से अलग, मेजोराना कणों में ऐसी विशिष्ट क्वांटम विशेषताएँ होती हैं जो क्वांटम तकनीक की सबसे बड़ी चुनौती—क्यूबिट डिकोहेरेंस का समाधान कर सकती हैं। हाल ही में संघनित पदार्थ भौतिकी  के प्रयोगों में, खासकर सुपरकंडक्टिंग नैनोवायर्स में किए गए परीक्षणों से ऐसे संकेत मिले हैं जो मेजोराना मोड्स की उपस्थिति से मेल खाते हैं। इन खोजों ने उम्मीद जगाई है कि यह अद्भुत अवस्थाएँ भविष्य में अधिक स्थिर और भरोसेमंद क्वांटम कंप्यूटिंग का मार्ग प्रशस्त कर सकती हैं।

मेजोराना कण:  

  1. परिभाषा: मेजोराना कण (या मेजोराना फर्मियन) ऐसेफर्मियन होते हैं जो स्वयं अपने ही एंटीपार्टिकल होते हैं
    • यानी, इलेक्ट्रॉन का एंटीपार्टिकलपॉज़िट्रॉन अलग होता है, लेकिन मेजोराना कण में ऐसा नहीं है- यह खुद ही अपना एंटीपार्टिकल है।
  2. संकल्पना की उत्पत्ति: इसका विचार1937 में इतालवी भौतिक विज्ञानी एत्तोरे मेजोराना ने दिया था।
  3. उदाहरण और संभावनाएँ:
    • न्यूट्रिनोएक संभावित मेजोराना कण हो सकता है, हालांकि यह अभी सिद्ध नहीं हुआ है।
    • संघनित पदार्थ भौतिकीमें मेजोराना कण क्वाज़ीपार्टिकल्स के रूप में विशेष पदार्थों में देखे जा सकते हैं।
  4. महत्व:
    • भौतिकी में:यह समझाने में मदद कर सकते हैं कि ब्रह्मांड में पदार्थ ज्यादा क्यों है और एंटीमैटर कम क्यों।
    • क्वांटम कंप्यूटिंग में:मेजोराना क्वाज़ीपार्टिकल्स से टोपोलॉजिकल क्वांटम कंप्यूटर बनाए जा सकते हैं, जो अधिक स्थिर और शोर-प्रतिरोधी होंगे।

मेजोराना कणों की विशेषताएँ:

  1. स्वयं का प्रतिबिंब (Self-mirror nature)
    • मेजोराना कण स्वयं ही अपने एंटीपार्टिकल होते हैं।
    • जैसे इलेक्ट्रॉन और पॉज़िट्रॉन अलग होते हैं, वैसे यहाँ कोई भेद नहीं होता।
  2. स्वविनाश नहीं करते: अगर दो मेजोराना कण मिलें तो वे एक-दूसरे को नष्ट (annihilate) नहीं करते, जबकि सामान्य कण-एंटीपार्टिकल जोड़े ऐसा करते हैं।
  3. विद्युत आवेश रहित: इन पर कोई इलेक्ट्रिक चार्ज नहीं होता इसी वजह से इन्हें सीधे-सीधे पहचानना मुश्किल है।
  4. विशेष पदार्थों में प्रकट होना: प्रयोगशालाओं में ये स्वतंत्र रूप से नहीं दिखते, ये केवल सुपरकंडक्टर जैसे विशेष पदार्थों में बहुत कम तापमान पर क्वाज़ीपार्टिकल्स के रूप में प्रकट होते हैं।
  5. जोड़े में आना (Come in pairs)
    • ये आमतौर पर दो हिस्सों में मौजूद होते हैं।
    • दोनों मिलकर एक क्वांटम अवस्था (Quantum State) बनाते हैं, लेकिन उनके हिस्से दूर-दूर रहते हैं, जिससे स्वाभाविकError Resistance मिलता है।
  6. अनोखा क्वांटम व्यवहार: येNon-Abelian Anyons नामक दुर्लभ श्रेणी में आते हैं।
    • जब इन्हें “ब्रेइड” (braid/आपस में अदला-बदली) किया जाता है तो पूरे क्वांटम सिस्टम की अवस्था अनोखे और पूर्वानुमेय तरीके से बदल जाती है।
  7. पकड़ में मुश्किल (Hard to pin down)
    • इनके मौजूद होने के संकेत अक्सर अन्य प्रभावों से भी पैदा हो सकते हैं।
    • इसलिए वैज्ञानिक इनकी खोज की पुष्टि करने में बहुत सतर्क रहते हैं।

मेजोराना कणों के उपयोग:

  1. क्यूबिट्स को स्थिर बनाना:
    • मेजोराना कणों मेंNon-local encoding की क्षमता होती है।
    • यह क्वांटम कंप्यूटर मेंDecoherence (सूचना खोने की समस्या) के खिलाफ पहली सुरक्षा देता है।
  2. टोपोलॉजिकल कंप्यूटेशन
    • इनसेLogical Operations (तार्किक क्रियाएँ) “Braiding” तकनीक से की जा सकती हैं।
    • यह प्रक्रिया क्वांटम सिस्टम की टोपोलॉजी (Topology) पर आधारित होने के कारण अत्यधिक मज़बूत होती है।
  3. दक्षता में वृद्धि (Efficiency Gains)
    • मेजोराना आधारित तरीका हार्डवेयर स्तर पर ही क्यूबिट्स की सुरक्षा करता है।
    • इससे भारी-भरकमQuantum Error Correction की ज़रूरत कम हो जाती है।

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