Adani Group cleared of Hindenburg allegations by SEBI
संदर्भ:
Adani Group Cleared of Hindenburg Allegations by SEBI: हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट से जुड़े मामले में अडानी समूह और उसके चेयरमैन गौतम अडानी को बड़ी राहत मिली है। बाजार नियामक सेबी ने गुरुवार को अपनी जांच रिपोर्ट में कहा कि अडानी ग्रुप पर लगे आरोप साबित नहीं हुए और उन्हें क्लीन चिट दी जाती है। [Adani Group cleared of Hindenburg allegations by SEBI]
सेबी ने जांच मे क्या पाया ? -Adani Group cleared of Hindenburg allegations by SEBI
18 सितंबर, 2025 को, SEBI ने अडानी एंटरप्राइजेज, अडानी पावर, अडानी पोर्ट्स & SEZ, और अडिकॉर्प एंटरप्राइजेज के खिलाफ मामलों का निपटारा करने के लिए दो अलग-अलग आदेश जारी किए।बाजार नियामक ने निष्कर्ष निकाला कि कोई संबंधित पार्टी लेनदेन (RPT) उल्लंघन या धोखाधड़ी व्यापार प्रथाएं नहीं हुईं।
- सेबी ने पाया कि अडानी पोर्ट्स ने अडिकॉर्प एंटरप्राइजेज को धन दिया था, जिसने बाद में अडानी पावर को ऋण के रूप में राशि उपलब्ध कराई।
- अडानी पावर ने यह ऋण ब्याज सहित चुका दिया।
- जांच में यह भी साफ हुआ कि न तो किसी प्रकार का गबन हुआ और न ही धोखाधड़ी।
सेबी ने दो अलग-अलग आदेश जारी करते हुए कहा कि अडानी समूह और गौतम अडानी पर लगे आरोप साबित नहीं होते और किसी तरह का नियामकीय उल्लंघन नहीं हुआ। Adani Group cleared of Hindenburg allegations by SEBI
हिंडनबर्ग ने क्या आरोप लगाए थे? – Adani Group cleared of Hindenburg allegations by SEBI
- अमेरिका स्थित शॉर्ट-सेलर हिंडनबर्ग रिसर्च ने जनवरी 2023 में अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि अडानी समूह ने अडिकॉर्प एंटरप्राइजेज, माइलस्टोन ट्रेडलिंक्स और रेहवर इंफ्रास्ट्रक्चर जैसी संस्थाओं का उपयोग कर धन को एक ग्रुप कंपनी से दूसरी तक पहुँचाया।
- रिपोर्ट में कहा गया था कि ये व्यवस्थाएँ छिपे हुए संबंधित पक्ष लेनदेन (RPTs) थीं, जिनका उद्देश्य प्रकटीकरण नियमों को दरकिनार करना था।
- इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद शेयर बाजार में भारी गिरावट दर्ज की गई और अडानी समूह की कंपनियों के बाजार मूल्य में गिरावट आई। एक समय पर यह नुकसान 100 अरब डॉलर से भी अधिक तक पहुँच गया था। Adani Group cleared of Hindenburg allegations by SEBI
हिंडनबर्ग कंपनी का काम क्या था?
नाथन एंडरसन द्वारा स्थापित यह कंपनी मुख्य रूप से शेयर मार्केट, इक्विटी, क्रेडिट और डेरिवेटिव्स पर रिसर्च करती थी। इसका उद्देश्य कंपनियों और बाजार से जुड़ी वित्तीय गतिविधियों में गड़बड़ियों का पता लगाना होता था।
इस रिसर्च के तहत कंपनी जांच करती थी कि:
- कहीं शेयर बाजार में पैसों की हेराफेरी तो नहीं हो रही।
- क्या बड़ी कंपनियां अपने फायदे के लिए अकाउंट मिसमैनेजमेंट कर रही हैं।
- क्या कोई कंपनी मार्केट में गलत दांव लगाकर दूसरी कंपनियों को नुकसान पहुँचा रही है।
इन जांचों के आधार पर हिंडनबर्ग विस्तृत रिपोर्ट जारी करती थी। कई बार इन रिपोर्ट्स का दुनिया भर के शेयर बाजारों पर गहरा असर पड़ा।
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI):
परिचय:
- नियामक संस्था (Regulatory body): भारत में सिक्योरिटीज़ और कमोडिटी मार्केट की।
- अधीनता: वित्त मंत्रालय (Ministry of Finance)।
- मुख्यालय (HQ): मुंबई।
स्थापना (Establishment)
- 12 अप्रैल 1988 – गैर-वैधानिक संस्था (non-statutory body)।
- 30 जनवरी 1992 – SEBI Act, 1992 के तहत वैधानिक शक्तियाँ मिलीं।
उद्देश्य (Objective)
- निवेशकों (investors) के हितों की रक्षा।
- प्रतिभूति बाजार (securities market) का विकास।
- उद्योग का नियमन
अध्यक्ष (Chairman): सितंबर 2025 तक – तुहिन कांत पांडे
SEBI के कार्य (Functions of SEBI)
- संरक्षणात्मक कार्य (Protective Functions)
- इनसाइडर ट्रेडिंग रोकना: गोपनीय जानकारी के आधार पर ट्रेडिंग पर रोक।
- प्राइस रिगिंग पर नियंत्रण: कृत्रिम रूप से शेयर मूल्यों में उतार-चढ़ाव रोकना।
- फेयर ट्रेड प्रैक्टिसेज: धोखाधड़ी और गलत प्रस्तुतीकरण रोकना।
- निवेशक शिक्षा: ट्रेनिंग और जागरूकता कार्यक्रम।
- नियामक कार्य (Regulatory Functions)
- बाजार सहभागियों का नियमन: ब्रोकर, मर्चेंट बैंकर, सब-ब्रोकर, अंडरराइटर आदि के लिए नियम।
- ऑडिट और निरीक्षण: वित्तीय मध्यस्थों और स्टॉक एक्सचेंज के खातों की जाँच।
- कंपनी टेकओवर का नियमन: बड़े पैमाने पर शेयर अधिग्रहण और कंपनी अधिग्रहण की निगरानी।