Apni Pathshala

चार प्रमुख पश्चिमी देशों ने फिलिस्तीनी राज्य को मान्यता दी (Four Major Western Nations Recognise Palestinian State) | UPSC

Four Major Western Nations Recognise Palestinian State

Four major Western nations recognise Palestinian state

 

संदर्भ:

ब्रिटेन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और पुर्तगाल ने रविवार को फिलिस्तीन को एक स्वतंत्र राज्य के रूप में मान्यता दे दी। यह कदम गाज़ा युद्ध को लेकर बढ़ती नाराज़गी और दो-राष्ट्र समाधान को आगे बढ़ाने की इच्छा से प्रेरित बताया जा रहा है। हालांकि, इस फैसले पर इज़राइल ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।

फिलिस्तीन मान्यता की पृष्ठभूमि:

ऐतिहासिक संदर्भ

  • फिलिस्तीन मुद्दा ब्रिटिश मैनडेट (1920–48) से जुड़ा है।
  • इस दौरान यहूदियों और अरबों को अलग-अलग वादे किए गए, जिसका परिणाम 1947 में संयुक्त राष्ट्र के विभाजन योजना (UN Partition Plan) के रूप में सामने आया।

इज़रायल का गठन (1948)-

  • इज़रायल ने स्वतंत्रता की घोषणा की, जिसके बाद नक़बा (Nakba) के नाम से मशहूर पलायन हुआ।
  • लगभग 7 लाख फिलिस्तीनी विस्थापित हुए।

युद्ध और कब्ज़ा

  • 1967 का छहदिवसीय युद्ध (Six-Day War) → इज़रायल ने वेस्ट बैंक, ग़ाज़ा पट्टी और पूर्वी यरुशलम पर कब्ज़ा कर लिया।
  • ये क्षेत्र फिलिस्तीनी राज्य की माँग के केंद्र माने जाते हैं।

शांति प्रक्रिया का विकास

  • ओस्लो समझौता (1993) से रोडमैप फॉर पीस (2003) तक कई प्रयास हुए।
  • लेकिन बस्तियों का विस्तार, सुरक्षा चिंताएँ और फिलिस्तीनी नेतृत्व का विभाजन शांति प्रक्रिया को आगे नहीं बढ़ा पाए।

फिलिस्तीनी दल और विभाजन

  • फतह (Fatah): धर्मनिरपेक्ष दल, वेस्ट बैंक की पैलेस्टिनियन अथॉरिटी (PA) को नियंत्रित करता है, और वार्ता आधारित समाधान का समर्थक है।
  • हमास (Hamas): ग़ाज़ा पट्टी पर नियंत्रण रखने वाला इस्लामी संगठन, जिसका राजनीतिक और सैन्य दोनों विंग है। यह इज़रायल के अस्तित्व को नहीं मानता लेकिन स्थानीय स्तर पर सामाजिक सेवाएँ देता है।
  • फतहहमास प्रतिद्वंद्विता: 2006 के चुनावों के बाद से वेस्ट बैंक (फतह) और ग़ाज़ा (हमास) के बीच बँटवारा हुआ, जिसने फिलिस्तीन की शासन व्यवस्था को कमजोर कर दिया और शांति वार्ताओं को और जटिल बना दिया।

अंतरराष्ट्रीय मान्यता

  • अब तक 140 से अधिक संयुक्त राष्ट्र सदस्य देश (मुख्यतः ग्लोबल साउथ) फिलिस्तीन को मान्यता दे चुके हैं।
  • परंतु पश्चिमी महाशक्तियों द्वारा मान्यता न दिए जाने से इसकी वैधता लगातार प्रभावित होती रही।
  • 2012: संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव 67/19 के तहत फिलिस्तीन को ग़ैरसदस्य पर्यवेक्षक राज्य का दर्जा मिला।

भारत का दृष्टिकोण : फिलिस्तीन मुद्दा

ऐतिहासिक समर्थन:

  • भारत पहला गैर-अरब देश था जिसने 1974 में फिलिस्तीन लिबरेशन ऑर्गेनाइजेशन (PLO) को मान्यता दी।
  • 1988 में भारत ने फिलिस्तीन को एक स्वतंत्र राज्य के रूप में भी मान्यता प्रदान की।

संतुलित नीति:

  • भारत ने हमेशा दोराष्ट्र समाधान का समर्थन किया है, जो संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों पर आधारित है।
  • साथ ही, भारत ने इज़रायल के साथ भी मजबूत संबंध बनाए रखे हैं—खासकर रक्षा, प्रौद्योगिकी और कृषि के क्षेत्रों में।

वैश्विक प्रतिक्रियाएँ:

  • अमेरिका: मान्यता का विरोध, सीधे वार्ता पर जोर।
  • यूरोपीय संघ: विभाजित—स्पेन, आयरलैंड, स्वीडन, नॉर्वे समर्थन; फ्रांस और जर्मनी सतर्क।
  • ग्लोबल साउथ: व्यापक समर्थन, उपनिवेशवाद-विरोधी एकजुटता पर आधारित।
  • रूस और चीन: मान्यता के पक्ष में, मध्य पूर्व में प्रभाव बढ़ाने का प्रयास।

Download Today Current Affairs PDF

Share Now ➤

क्या आपको Apni Pathshala के Courses, RNA PDF, Current Affairs, Test Series और Books से सम्बंधित कोई जानकारी चाहिए? तो हमारी विशेषज्ञ काउंसलर टीम आपकी सिर्फ समस्याओं के समाधान में ही मदद नहीं करेगीं, बल्कि आपको व्यक्तिगत अध्ययन योजना बनाने, समय का प्रबंधन करने और परीक्षा के तनाव को कम करने में भी मार्गदर्शन देगी।

Apni Pathshala के साथ अपनी तैयारी को मजबूत बनाएं और अपने सपनों को साकार करें। आज ही हमारी विशेषज्ञ टीम से संपर्क करें और अपनी सफलता की यात्रा शुरू करें

📞 +91 7878158882

Related Posts

Scroll to Top