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हाई सीज़ ट्रिटी (High Seas Treaty) | Ankit Avasthi Sir

High Seas Treaty

High Seas Treaty

संदर्भ:

हाल ही में मोरक्को ने हाई सीज़ संधि को अनुमोदित करने वाला 60वां देश बनकर एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर हासिल किया। यह संधि अंतरराष्ट्रीय जलक्षेत्रों में जैव विविधता की रक्षा के लिए बनाई गई पहली अंतरराष्ट्रीय कानूनी रूपरेखा है।

हाई सीज़ ट्रिटी (High Seas Treaty) क्या है?

हाई सीज़ ट्रिटी एक महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय समझौता है, जिसे हाई सीज़ (किसी देश के राष्ट्रीय क्षेत्राधिकार से बाहर के समुद्री क्षेत्र) में समुद्री जैव विविधता (marine biodiversity) की सुरक्षा और संरक्षण के लिए बनाया गया है।

  • आधिकारिक नाम: Agreement on Biodiversity Beyond National Jurisdiction (BBNJ)
  • अपनाया गया: संयुक्त राष्ट्र, 2023

मुख्य प्रावधान और उद्देश्य:

  1. समुद्री संरक्षित क्षेत्र (Marine Protected Areas – MPAs)
    • अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्रों में बड़े समुद्री संरक्षित क्षेत्र बनाने और प्रबंधित करने की व्यवस्था।
    • 2030 तक दुनिया के 30% समुद्रों की सुरक्षा का “30×30” लक्ष्य पूरा करना।
  2. समुद्री आनुवंशिक संसाधन और लाभसाझा करना
    • समुद्री आनुवंशिक संसाधनों से होने वाले वित्तीय और गैर-वित्तीय लाभों को साझा करने के नियम।
    • उद्देश्य: गरीब देशों को भी अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्रों से लाभ सुनिश्चित करना।
  3. पर्यावरणीय प्रभाव आकलन:
    • हाई सीज़ में प्रस्तावित गतिविधियों, जैसे गहरे समुद्र में खनन (deep-sea mining), के पर्यावरणीय प्रभाव का आकलन अनिवार्य।
  4. क्षमता निर्माण और तकनीकी हस्तांतरण:
    • विकासशील देशों को संरक्षण प्रयासों में मदद और आवश्यक तकनीकी ज्ञान प्रदान करना।
    • ताकि वे समुद्री शासन (ocean governance) में सक्रिय भाग ले सकें।

इस समझौते की आवश्यकता

  • इससे पहले हाई सीज़ का प्रबंधन असंगठित और विखरित था।
  • अलग-अलग क्षेत्रीय और क्षेत्रीय निकाय शिपिंग या मछली पकड़ने जैसी समस्याओं को संभालते थे, लेकिन समग्र संरक्षण और cumulative प्रभावों के लिए कोई ढांचा नहीं था।

ट्रिटी इन खामियों को भरने और इन खतरों से निपटने के लिए बनाई गई है:

  1. अति-मत्स्य पालन (Overfishing)
  2. प्रदूषण, जैसे प्लास्टिक और रसायन (Pollution)
  3. अस्थिर गतिविधियाँ, जैसे गहरे समुद्र में खनन (Unsustainable practices)

हाई सीज़ (High Seas) क्या हैं?

  • 1958 के जिनेवा कन्वेंशन के अनुसार, हाई सीज़ वे समुद्री क्षेत्र हैं जो किसी भी देश के राष्ट्रीय अधिकार क्षेत्र से बाहर होते हैं।
  • ये क्षेत्र किसी देश की विशेष आर्थिक क्षेत्र (Exclusive Economic Zone – EEZ) से आगे बढ़ते हैं, जो आम तौर पर तट से 200 समुद्री मील तक फैली होती है।

हाई सीज़ का महत्व:

  1. विशाल क्षेत्रफल (Vast Coverage):
    • दुनिया के महासागरों का 64% और पृथ्वी की सतह का 43% हिस्सा।
    • लगभग 2 मिलियन समुद्री प्रजातियाँ और लाखों सूक्ष्मजीव।
  2. पर्यावरणीय संतुलक:
    • वैश्विक CO₂ का 25% अवशोषित करता है।
    • दुनिया का आधा ऑक्सीजन उत्पादन।
    • जलवायु संतुलन बनाए रखने के लिए गर्मी का वितरण।
  3. संसाधनों का भंडार (Resource Reservoir):
    • समुद्री खाद्य (Seafood), खनिज, आनुवंशिक संसाधन (Genetic Resources) और औषधीय यौगिक।
  4. जैव विविधता का केंद्र (Biodiversity Hub):
    • समृद्ध समुद्री जीवन का घर, जिसमें अभी विज्ञान के लिए अज्ञात प्रजातियाँ भी शामिल हैं।
  5. चुनौतियाँ (Challenges): स्वामित्व की कमी के कारण:
    • अति-मत्स्य पालन (Overfishing)
    • जैव विविधता हानि (Biodiversity loss)
    • प्लास्टिक का डंपिंग (2021 में 17 मिलियन टन)
    • अम्लीकरण (Acidification) और प्रदूषण (Pollution)

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