Small Modular Reactors to Power AI-driven Data Centres
संदर्भ:
भारत कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) आधारित डेटा सेंटरों की बढ़ती बिजली मांग को पूरा करने के लिए स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर्स (SMRs) के जरिए परमाणु ऊर्जा के उपयोग पर विचार कर रहा है। यह कदम अमेरिका जैसे देशों की वैश्विक प्रवृत्ति के अनुरूप है, जहां हाई-डेंसिटी कंप्यूटिंग इंफ्रास्ट्रक्चर तेजी से ऊर्जा खपत बढ़ा रहे हैं।
डेटा सेंटर (Data Center) या इंटरनेट डेटा सेंटर (IDC):
डेटा सेंटर एक केंद्रीकृत भौतिक सुविधा होती है जहाँ कंप्यूटर सर्वर, नेटवर्क उपकरण और स्टोरेज सिस्टम रखे जाते हैं। इसका उपयोग संगठनों द्वारा बड़े पैमाने पर डेटा और एप्लिकेशन को इकट्ठा करने, प्रोसेस करने, स्टोर करने और वितरित करने के लिए किया जाता है। यह आज की डिजिटल दुनिया की रीढ़ (backbone) हैं, जिनके सहारे क्लाउड कंप्यूटिंग, ई-कॉमर्स, सोशल मीडिया और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे क्षेत्र चलते हैं।
डेटा सेंटर के मुख्य घटक और कार्य:
- सर्वर और स्टोरेज (Servers & Storage)
- शक्तिशाली सर्वर एप्लिकेशन चलाते हैं और डेटा प्रोसेस करते हैं।
- स्टोरेज सिस्टम विशाल मात्रा में डिजिटल जानकारी को सुरक्षित और उपलब्ध रखते हैं।
- नेटवर्क उपकरण (Networking Equipment)
- राउटर, स्विच और फायरवॉल जैसे उपकरण डेटा ट्रांसफर और कनेक्टिविटी सुनिश्चित करते हैं।
- साथ ही साइबर खतरों से सुरक्षा भी देते हैं।
- पावर और कूलिंग (Power & Cooling)
- लगातार बिजली की आपूर्ति जरूरी होती है (इसके लिए बैकअप जनरेटर और UPS लगे होते हैं)।
- एयर कंडीशनिंग और लिक्विड कूलिंग सिस्टम तापमान और नमी को नियंत्रित
भारत में डेटा सेंटर की वृद्धि:
- वर्तमान बाजार (Current Market): 10 बिलियन डॉलर
- राजस्व FY24 (Revenue FY24): 1.2 बिलियन डॉलर
- ऊर्जा लागत का योगदान (Energy Cost Contribution):
- पूंजीगत व्यय (Capital Expenditure) का लगभग 40%
- परिचालन लागत (Operational Cost) का लगभग 65%
- 2027 तक अनुमानित क्षमता वृद्धि: 795 मेगावाट (MW)
- कुल क्षमता (2027 तक): 1.8 गीगावाट (GW)
- 1 MW सेटअप की लागत (Cost of 1 MW Setup): ₹60–70 करोड़
स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर (SMRs):
स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर (SMRs) उन्नत परमाणु रिएक्टर होते हैं, जो पारंपरिक बड़े परमाणु बिजलीघरों की तुलना में आकार में छोटे होते हैं। इनकी बिजली उत्पादन क्षमता 300 मेगावाट (MW(e)) तक होती है। पारंपरिक रिएक्टर साइट पर बनाए जाते हैं, जबकि SMRs को फैक्ट्री में तैयार कर मॉड्यूलर यूनिट्स के रूप में इच्छित स्थान पर पहुँचाकर इंस्टॉल किया जाता है।
SMRs के फायदे:
कम पूंजीगत लागत:
- फैक्ट्री में बनने के कारण लागत कम होती है।
- छोटे आकार और मॉड्यूलर डिज़ाइन के कारण बड़े परमाणु संयंत्रों की तुलना में शुरुआती निवेश कम चाहिए।
लचीला उपयोग: छोटे और कॉम्पैक्ट होने के कारण इन्हें दूरदराज़ क्षेत्रों या ऐसे औद्योगिक स्थलों पर लगाया जा सकता है जहाँ बड़े रिएक्टर संभव नहीं हैं।
उन्नत सुरक्षा: कई SMR डिज़ाइन Passive Safety Systems का इस्तेमाल करते हैं, जो गुरुत्वाकर्षण (Gravity) और प्राकृतिक संवहन (Convection) जैसी प्राकृतिक शक्तियों से रिएक्टर को ठंडा रखते हैं।
- इससे मानवीय हस्तक्षेप और सक्रिय सिस्टम पर निर्भरता कम होती है।
कम निर्माण समय
- फैक्ट्री में तैयार मॉड्यूल्स की वजह से निर्माण आसान और तेज़ हो जाता है।
- प्रोजेक्ट में देरी का जोखिम कम होता है।
हाइब्रिड ऊर्जा प्रणाली (Hybrid Energy Systems)
- SMRs को नवीकरणीय ऊर्जा के साथ जोड़ा जा सकता है।
- यह बिजली आपूर्ति को स्थिर और भरोसेमंद बनाते हैं।
विस्तारित उपयोग: केवल बिजली उत्पादन ही नहीं, SMRs उच्च तापमान वाली गर्मी भी उपलब्ध कराते हैं।
- इसका उपयोग औद्योगिक प्रक्रियाओं, जिला हीटिंग और समुद्री जल का मीठा पानी बनाने में किया जा सकता है।