India Bids Emotional Farewell to MiG-21
संदर्भ:
भारत ने भारतीय वायुसेना (IAF) के सबसे प्रतिष्ठित लड़ाकू विमान मिग-21 को आधिकारिक रूप से सेवा से विदाई दे दी। छह दशकों से अधिक समय तक आसमान की सुरक्षा करने वाला यह विमान कभी भारतीय वायुसेना की रीढ़ माना जाता था। मिग-21 का डीकमीशन होना न सिर्फ इतिहास के एक महत्वपूर्ण अध्याय का अंत है, बल्कि यह वायुसेना के आधुनिक और तकनीकी रूप से उन्नत बेड़े की ओर संक्रमण का संकेत भी है।
MiG-21 : एक परिचय–
- सुपरसोनिक जेट फाइटर : मिग-21 एक सुपरसोनिक (ध्वनि से तेज़) लड़ाकू विमान है।
- डिज़ाइन : इसे सोवियत संघ के मिकोयान-गुरेविच डिज़ाइन ब्यूरो (OKB) ने बनाया था।
- भारतीय वायुसेना में शामिल : 1963 में पहली बार भारतीय वायुसेना (IAF) में शामिल किया गया। यह भारत का पहला सुपरसोनिक जेट था।
- भारतीय उत्पादन : भारत की हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने रूस से लाइसेंस लेकर 657 मिग-21 विमान बनाए।
- वैश्विक उत्पादन : यह दुनिया का दूसरा सबसे अधिक संख्या में निर्मित जेट विमान है।
- NATO नाम : इसका NATO रिपोर्टिंग नाम ‘Fishbed’ है।
- अन्य उपनाम (Nicknames) :
- ‘Balalaika’: इसके आकार का मिलान एक रूसी तार वाद्य यंत्र से होता है।
- ‘Ołówek’ (पोलिश में ‘पेंसिल’) – इसके लंबे और पतले ढांचे (fuselage) की वजह से।
- ‘Én Bạc’ (वियतनामी में ‘सिल्वर स्वालो’) – इसकी रफ्तार और रंग की वजह से।
- युद्धों में भागीदारी : मिग-21 ने दुनिया में सबसे ज्यादा युद्धों और संघर्षों में हिस्सा लिया है।
मिग–21 की भारत में एंट्री और HAL को तकनीक ट्रांसफर:
राजनीतिक पहल: इयान सी.सी. ग्राहम ने अपने लेख “The Indo-Soviet MiG Deal and Its International Repercussions” में लिखा है कि मिग-21 को भारत लाने में तत्कालीन रक्षा मंत्री वी.के. कृष्ण मेनन की अहम भूमिका रही।
- 1961 में भारत और रूस के बीच मिग-21 विमानों की खरीद को लेकर खबरें सामने आईं, लेकिन रक्षा मंत्रालय ने उस समय इनका खंडन किया।
पहली पुष्टि और शामिल होना :
- 1962 में एक अमेरिकी सांसद ने रिपोर्ट का हवाला देते हुए दावा किया कि भारत रूस से दो स्क्वाड्रन मिग–21 खरीद रहा है।
- अंततः अप्रैल 1963 में भारतीय वायुसेना ने मिग-21 को अपने बेड़े में शामिल कर लिया। यह भारत का पहला सुपरसोनिक लड़ाकू विमान बना।
HAL को टेक्नोलॉजी ट्रांसफर:
- 1967 से हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को भारत में मिग-21 को असेम्बल करने और तकनीक हासिल करने का अधिकार मिला।
- इसके बाद HAL ने लाइसेंस के तहत बड़े पैमाने पर मिग-21 का उत्पादन किया।
मिग–21 की युद्ध में भूमिका:
1965 भारत–पाक युद्ध–
- पहली बार युद्ध में इस्तेमाल हुआ।
- पाकिस्तान के अमेरिकी लड़ाकू विमानों को कड़ी टक्कर दी।
1971 भारत–पाक युद्ध–
- मिग-21 भारतीय वायुसेना का सबसे बड़ा हथियार साबित हुआ।
- पाकिस्तान के कई एयरबेस तबाह कर दिए।
- युद्ध का रुख बदलने और भारत की जीत सुनिश्चित करने में निर्णायक भूमिका निभाई।
1999 कारगिल युद्ध–
- कारगिल की ऊँची पहाड़ियों पर दुश्मन के ठिकानों पर सटीक हमले किए।
- कठिन परिस्थितियों में भी भरोसेमंद साबित हुआ और भारतीय सेना को बढ़त दिलाई।
2019 बालाकोट एयरस्ट्राइक के बाद–
- हवाई झड़प में ग्रुप कैप्टन अभिनन्दन वर्धमान ने मिग-21 बायसन उड़ाते हुए पाकिस्तान के एफ–16 को मार गिराया।
- यह मिग-21 की क्षमता और भारतीय पायलटों की बहादुरी का बड़ा सबूत था।
2025 ऑपरेशन सिंदूर–
- पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में चलाए गए अभियान में मिग-21 का उपयोग हुआ।
- इसे मिग-21 का आखिरी बड़ा अभियान माना जाता है।