Pandit Deendayal Upadhyaya
संदर्भ:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि वे भारत के “विकसित भारत” के सफर में एक मार्गदर्शक शक्ति रहे हैं।
पंडित दीनदयाल उपाध्याय (1916–1968):
व्यक्तित्व और शिक्षा:
- राजनीतिक विचारक, अर्थशास्त्री और भारतीय जनता संघ (BJS) के नेता।
- एक असाधारण विद्वान और समर्पित राष्ट्रभक्त।
- कानपुर में पढ़ाई की और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े।
- 1942 में पूर्णकालिक प्रचारक बने।
वैचारिक दृष्टिकोण (Ideology):
- एकात्म मानव दर्शन (Integral Humanism)
- आध्यात्मिक और भौतिक विकास के बीच संतुलन पर जोर।
- विकेन्द्रीकरण और स्वावलंबी, गाँव आधारित अर्थव्यवस्था का समर्थन।
- रचनात्मक राजनीति (Constructive Politics)
- सरकार के सही कदमों का समर्थन और गलत कदमों का विरोध।
- हमेशा राष्ट्रीय हित को प्राथमिकता दी।
प्रमुख योगदान (Contributions):
- वैचारिक पत्रकारिता: ‘राष्ट्र धर्म’ (मासिक), ‘पंचजन्य’ (साप्ताहिक), और ‘स्वदेश’ (दैनिक) पत्रिकाओं की शुरुआत।
- राजनीतिक संगठन
- 1951 में उत्तर प्रदेश के लिए भारतीय जनता संघ का पहला महासचिव।
- बाद में सर्वो भारतीय महासचिव भी रहे।
- उनकी संगठनात्मक क्षमता और समर्पण ने डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी सहित अन्य नेताओं को प्रभावित किया।
- 1953 में मुखर्जी की मृत्यु के बाद पार्टी को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।