Union Public Service Commission
संदर्भ:
1 अक्टूबर को संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) अपनी स्थापना की शताब्दी मनाया। यह मील का पत्थर भारतीय सिविल सेवा प्रणाली और सार्वजनिक प्रशासन में UPSC की महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है।
संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) क्या है?
- UPSC भारत की केंद्रीय भर्ती एजेंसी है, जो ऑल इंडिया सर्विसेज (IAS, IPS, IFS) और Group A और Group B पदों के लिए भर्ती करती है।
- यह एक संविधानिक स्वतंत्र निकाय है, जो पारदर्शी और मेरिट आधारित चयन प्रक्रिया सुनिश्चित करता है।
संविधानिक स्थिति और इतिहास:
- संविधानिक प्रावधान:Articles 315–323 (Part XIV) के तहत UPSC का गठन, जिसमें इसकी संरचना, कार्य और सदस्यों की सेवा शर्तें निर्धारित हैं।
- ऐतिहासिक उद्गम:ब्रिटिश शासन में पहला पब्लिक सर्विस कमीशन 1 अक्टूबर 1926 को Lee Commission की सिफ़ारिश पर स्थापित हुआ। स्वतंत्रता के बाद इसे संवैधानिक दर्जा मिला और 26 जनवरी 1950 को इसे UPSC नाम दिया गया।
- मुख्यालय:Dholpur House, नई दिल्ली।
संरचना और नियुक्ति:
- UPSC में एक अध्यक्ष और 9–11 सदस्य होते हैं, जिन्हें भारत के राष्ट्रपति नियुक्त करते हैं।
- सदस्यों का कम से कम आधा 10 साल के सरकारी सेवा अनुभव वाला होना चाहिए।
- सेवा अवधि: 6 साल या 65 वर्ष की आयु तक।
- सदस्य या अध्यक्ष को सुप्रीम कोर्ट जांच के बाद ही हटाया जा सकता है।
UPSC के कार्य (Article 320 के अनुसार):
- परीक्षा संचालन– ऑल इंडिया और सेंट्रल सर्विसेज के लिए।
- सीधा भर्ती– साक्षात्कार के माध्यम से।
- प्रमोशन और ड्यूटेशन– प्रबंधन और सलाह देना।
- भर्ती नियमों का निर्माण– सहायता करना।
- अनुशासन और अन्य मामले– राष्ट्रपति द्वारा रेफर किए गए मामलों में परामर्श।
- संयुक्त भर्ती में राज्य सहायता– यदि अनुरोध किया जाए।
- वार्षिक रिपोर्ट– राष्ट्रपति और संसद को प्रस्तुत करना।
संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) का विकास:
ब्रिटिश औपनिवेशिक जड़ें:
- प्रारंभिक इंडियनाइजेशन (1858 के बाद): ईस्ट इंडिया कंपनी के अंत के बाद सिविल सेवा नियुक्तियां प्रतियोगी परीक्षाओं के आधार पर होने लगीं। लेकिन ये परीक्षाएं लंदन में आयोजित होती थीं, जिससे भारतीयों की भागीदारी सीमित थी। 1863 में सत्येंद्रनाथ टैगोर ICS में सफल हुए और ब्रिटिश एकाधिकार तोड़ा।
- ली कमीशन (1924): रॉयल कमीशन ऑन द सुपरियर सिविल सर्विसेज ने भारत में प्रशासन में नस्लीय संरचना सुधारने के लिए सिफारिशें दीं और सार्वजनिक सेवा आयोग स्थापित करने की सलाह दी।
- पहला पब्लिक सर्विस कमीशन (1926): ली कमीशन की सिफारिशों के आधार पर पहला आयोग 1 अक्टूबर 1926 को स्थापित हुआ, अध्यक्ष सर रॉस बार्कर थे।
- फेडरल पब्लिक सर्विस कमीशन (1935): भारत सरकार अधिनियम, 1935 ने इसे संघीय आयोग में बदल दिया और प्रांतीय आयोगों का निर्माण सुनिश्चित किया
स्वतंत्र भारत में विकास:
- संवर्धन काल (1950–1970): स्वतंत्रता के बाद UPSC ने सक्षम प्रशासकों की भर्ती पर ध्यान केंद्रित किया, जो भूमि सुधार और विकास कार्यक्रमों को लागू कर सकें।
- क्षेत्र का विस्तार (1970–1990): गरीबी उन्मूलन और औद्योगिकीकरण के बढ़ते प्रयासों के चलते UPSC ने विविध शैक्षणिक पृष्ठभूमि के उम्मीदवारों को शामिल करना शुरू।
- आर्थिक सुधार (1990–2010): उदारीकरण और वैश्वीकरण ने तकनीकी और नियामक दक्षता वाले अधिकारियों की मांग बढ़ाई। UPSC ने परीक्षाओं में पर्यावरण, अर्थव्यवस्था और प्रशासन जैसे विषय जोड़े।
- डिजिटल युग और शासन (2010–वर्तमान): ई-गवर्नेंस और डेटा-आधारित नीतियों के लिए तकनीकी और सार्वजनिक-निजी साझेदारी में कुशल अधिकारियों की जरूरत बढ़ी। UPSC ने सिविल सर्विसेज एटिट्यूड टेस्ट (CSAT) और नैतिकता, ईमानदारी, और योग्यता पेपर जैसी सुधारित रूपरेखाएं पेश की।