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भारत–EFTA मुक्त व्यापार समझौता (India–EFTA Free Trade Agreement) | UPSC

India–EFTA Free Trade Agreement

India–EFTA Free Trade Agreement

संदर्भ:

भारत और EFTA देशों (आइसलैंड, लिकटेंस्टीन, नॉर्वे और स्विट्ज़रलैंड) के बीच लैंडमार्क ट्रेड एंड इकोनॉमिक पार्टनरशिप एग्रीमेंट (TEPA) 1 अक्टूबर 2025 से लागू हो गया, जो दोनों पक्षों के बीच व्यापार और आर्थिक संबंधों में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो रहा है।

भारतEFTA मुक्त व्यापार समझौते के मुख्य बिंदु

  1. बाजार पहुंच (Market Access):
  • EFTA ने गैर-कृषि उत्पादों पर 100% टैरिफ समाप्ति और संसाधित कृषि उत्पादों पर कुछ रियायतों का वादा किया है, जिससे भारत के 99.6% निर्यात को कवर किया जाएगा।
  • समझौते का लक्ष्य अगले 15 वर्षों में 100 अरब अमेरिकी डॉलर का विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) आकर्षित करना और भारत में 1 मिलियन प्रत्यक्ष रोजगार सृजित करना है।
  1. भारत की पेशकश (India’s Offer):
  • भारत ने EFTA के निर्यात के 95.3% टैरिफ लाइनों में 82.7% कवर प्रदान किया है।
  • संवेदनशील क्षेत्रों जैसे फार्मा, खाद्य, डेयरी और सोना की सुरक्षा सुनिश्चित की गई है।
  1. सेवाएँ और पेशेवर गतिशीलता (Services & Mobility):
  • भारत और EFTA ने 100+ उप-क्षेत्रों में बाजार पहुंच प्रदान की है।
  • समझौता डिजिटल सेवा, व्यावसायिक उपस्थिति और पेशेवरों के अस्थायी प्रवास की अनुमति देता है।
  • पेशों जैसे नर्सिंग और अकाउंटेंसी में आपसी मान्यता समझौते (Mutual Recognition Agreements) लागू होंगे।
  1. बौद्धिक संपदा अधिकार (Intellectual Property):
  • समझौता TRIPS स्तर के IPR मानकों का पालन करता है।
  • भारत की जेनेरिक दवा उद्योग के हितों की रक्षा करता है और सतत विकास को प्रोत्साहित करता है।
  1. सतत विकास और कौशल: स्वास्थ्य विज्ञान, नवीकरणीय ऊर्जा और अनुसंधान एवं विकास (R&D) जैसे क्षेत्रों में तकनीकी सहयोग और व्यावसायिक प्रशिक्षण को बढ़ावा देता है।
  2. क्षेत्रीय लाभ: मशीनरी, रसायन, वस्त्र और संसाधित खाद्य निर्यातकों को कम टैरिफ और EFTA बाजारों तक आसान पहुंच का लाभ मिलेगा।

यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (EFTA) का परिचय

यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (EFTA) एक अंतर-सरकारी संगठन है, जो अपने चार सदस्य देशों — आइसलैंड, लिकटेंस्टीन, नॉर्वे और स्विट्जरलैंड — के बीच मुक्त व्यापार और आर्थिक समेकन को बढ़ावा देता है।

  • EFTA यूरोपीय संघ (EU) की तरह कस्टम्स यूनियन नहीं है, इसलिए प्रत्येक सदस्य देश अपने बाहरी शुल्क (External Tariffs) और गैर-EFTA देशों के साथ व्यापार समझौतों को स्वतंत्र रूप से निर्धारित कर सकता है।

इतिहास:

  • स्थापना: EFTA की स्थापना 1960 में स्टॉकहोम कन्वेंशन के तहत की गई थी। इसका उद्देश्य उन यूरोपीय देशों के लिए एक वैकल्पिक व्यापार समूह बनाना था, जो तत्कालीन यूरोपीय आर्थिक समुदाय (EEC) में शामिल नहीं होना चाहते थे।
  • प्रारंभिक सदस्य (Outer Seven): ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, नॉर्वे, पुर्तगाल, स्वीडन, स्विट्जरलैंड और यूनाइटेड किंगडम।

सदस्यता में परिवर्तन:

  • समय के साथ अधिकांश प्रारंभिक सदस्य EU में शामिल हो गए। उदाहरण के लिए, 1970-80 के दशक में डेनमार्क, यूनाइटेड किंगडम और पुर्तगाल, और 1995 में ऑस्ट्रिया, फिनलैंड और स्वीडन
  • वर्तमान में केवल नॉर्वे और स्विट्जरलैंड ही मूल संस्थापक सदस्य हैं।

वर्तमान सदस्य:

  • EFTA के वर्तमान चार सदस्य: आइसलैंड, लिकटेंस्टीन, नॉर्वे और स्विट्जरलैंड।
  • ये सभी खुले और प्रतिस्पर्धात्मक अर्थव्यवस्था वाले देश हैं और व्यापार उदारीकरण का समर्थन करते हैं।

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